कथा
महोत्सव
२००२
प्रवासी भारतीय लेखकों
की कहानियों के संकलन वतन से दूर में प्रस्तुत है यू.ए.ई. से
पूर्णिमा वर्मन की कहानी -
यों ही चलते हुए
सच
पूछो तो शायद यही इस देश की पहचान है। लोग, भाषा जगहें,
परिस्थितियाँ सब कुछ पहचाना हुआ सा फिर भी सब कुछ अनजाना सा! यहाँ
घर बनाने कोई नहीं आया है। सबको लौट जाना है एक दिन। इस फुटपाथ के
चौकोर टाइलों की तरह, जो हर चलने वाले के साथ हैं पर किसी के साथ
नहीं। जो दूर तक चले गए हैं पर अपनी–अपनी सीमाओं में कैद हैं। जो
आपस में जुड़े हुए हैं फिर भी अलग अलग हैं। जो यहाँ इस धरती का
हिस्सा तो हैं पर हर साल बदल दिये जाते हैं।
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यू के उषा वर्मा की
कहानी
रौनी
रौनी की माँ जेल में थी बाप का पता नहीं था। रौनी फ्रौस्टर पेरेन्ट्स
के पास रहता था, असुरक्षा की भावना ने रौनी के मन में एक ऐसे
विद्रोह को जन्म दिया था जिसे रौनी खुद ही नहीं सँभाल पा रहा था।
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मंजिल के करीब
नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' |
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जड़ों से कटने पर यू ए ई से कृष्ण बिहारी |
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वापसी
यू के से शैल
अग्रवाल |
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उपलब्धियाँ यू एस ए से सुरेन्द्रनाथ तिवारी |
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अनजाना सफर
कनाडा से अश्विन गांधी |
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अगले अंक में
त्रिनिडाड से प्रेम जनमेजय की कहानी
क्षितिज
पर उड़ती स्कार्लेट आयबिस |
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।।हिन्दी
दिवस ।।
के अवसर पर विशेष आलेखों में
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यू एस ए से अजय कुलश्रेष्ठ
का लेख
भारत की भीषण भाषा समस्या और
उसके संभावित समाधान
°
भारत से सुधा अरोड़ा का लेख
'राजभाषा' को 'राज' के चंगुल
से आजाद कर उसे 'जन' भाषा बनाइए
°
त्रिनिडाड से प्रेम जनमेजय
का व्यंग्य
माथे की बिंदी
और
उन्नीसवें अंतर्राष्ट्रीय
हिन्दी सम्मेलन की विस्तृत रपट
त्रिनिडाड में त्रिदिवसीय
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का सफल आयोजन
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साथ ही
धारावाहिक में
तेरे बगैर
शीर्षक
से अभिज्ञात की आत्मकथा
की अगली किस्त
त्रिलोचनः
अनंत से थोड़ा सा
°
और अंत में°
सप्ताह
का विचार
सारा जगत
स्वतंत्रताके लिये लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने
बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह
ग्रंथि और विरोधाभास है।
— श्री अरविंद
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अनुभूति
में |
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गौरव ग्राम में रघुवीर सहाय की चुनी हुयी
18 कविताओं
के साथ
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पिछले
अंक से-
गौरव गाथा में
प्रसिद्ध लेखिका
डा सूर्यबाला की
कहानी
आखिरवीं विदा
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लघु कथाओं की नयी श्रृखला
महानगर की कहानियाँ में
सूरज प्रकाश की लघुकथा
बीच का रास्ता
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संस्मरण में
नार्वे से शरद आलोक
की ब्रिटेन यात्रा के संस्मरण
जिसने
लन्दन को नही जिया उसने
जीवन को नहीं जिया
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रसोईघर में
तैयार है मिठाइयों में सदाबहार
खीर
और नमकीन में लज्जतदार
उपमा
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परिक्रमा में
—
दिल्ली दरबार
के अंतर्गत भारत से बृजेशकुमार शुक्ल की कलम से
नया करिश्मा,
कनाडा कमान के अंतर्गत सुमन कुमार घेई का आलेख
कैनेडा पर छाया इंद्रधनुष
और
लंदन पाती के अंतर्गत यू के से शैल
अग्रवाल की कलम से
धूप छाँव में
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कला दीर्घा
में
कला और कलाकार के अंतर्गत
राजा रवि वर्मा
अपने दो प्रसिद्ध चित्रों के साथ
°
फुलवारी में
सितारों की दुनियाँ के
अंतर्गत इला प्रवीन का आलेख
सूरज
और कविता
इतना सब कुछ
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रत्न रहस्य
के अंतर्गत
रत्नों द्वारा दमा की चिकित्सा श्री वी के जैन द्वारा
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पर्व परिचय में
रक्षाबंधन के विषय में विशेष
जानकारी
बंधन धागों का
एन शाह के शब्दों में
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