पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE  HELP / पता-


१८. १. २०१०

सप्ताह का विचार- कहानी जहाँ खत्म होती है, जीवन वहीं से शुरू होता है।'  -- संजीव

अनुभूति में-
टी महादेव राव, रामेश्वर दयाल कांबोज हिंमांशु, हेमंत श्रीवास्तव, रश्मिप्रभा और ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ

कलम गहौं नहिं हाथ- कहते हैं अति सर्वत्र वर्जयेत लेकिन कीर्तिमान तो तभी बनते हैं जब कोई किसी अति का अतिक्रमण करे।...आगे पढ़ें

सामयिकी में- विश्व व्यापार पर छाई मंदी के कारण मीडिया पर मंडराते संकट का खुलासा करता संजय द्विवेदी का आलेख- मीडिया की मंडी में

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव- रात में सोने से पहले नाभि में तीन बूँद जैतून का तेल डालें तो सर्दियों में ओंठ नहीं फटते।

पुनर्पाठ में- १ जुलाई २००१ के अंक में विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरवगाथा के अंतर्गत प्रकाशित जयशंकर प्रसाद की कहानी- आकाशदीप

क्या आप जानते हैं? १९८२ में भारतीय सेना द्वारा लद्दाख घाटी में सुरु और द्रास नदी के बीच निर्मित बेली ब्रिज विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर बना पुल है।

शुक्रवार चौपाल- शुक्रवार १५ जनवरी को चौपाल में लंदन से ज़किया जी पधारीं। थियेटरवाला ने उनके सम्मान में संक्रमण का मंचन किया। ... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- जारी है कुहासा या कोहरा विषय पर रोज़ एक गीत का प्रकाशन, पाठकों की प्रतिक्रिया का स्वागत  है।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में भारत से
राजेन्द्र त्यागी की कहानी अनजान रिश्ते

असगर आज अपने गाँव चला गया। जाते-जाते खुद तो रोया ही हमारी आँखें भी नम कर गया। जाते-जाते ही क्यों, जाने के एक दिन पहले से ही वह इस तरह सुबक रहा था, मानों अपने अपने प्रियजनों से हमेशा-हमेशा के लिए बिछुड़ रहा हो। नहीं, साल-छह महीने बाद फिर उसे रोजी-रोटी की तलाश में अपना गाँव छोड़कर फिर उसे इस शहर की किसी झुग्गी को आबाद करना है! फिर भी हमसे बिछुड़ने के गम ने उसे रोने के लिए मजबूर कर दिया था। जब कभी असगर की मासूम सूरत मन में उतर आती है, मैं उसके साथ अपने रिश्तों के बारे में विश्लेषण करने लगता हूँ। सोचने लगता हूँ, अनजान रिश्तों के बारे में। और, कुछ अनजान रिश्ते भी होते हैं, इस मान्यता को स्वीकारने के लिए मजबूर हो जाता हूँ। असगर गंभीर प्रकृति का इनसान था। उसे कभी हँसते हुए नहीं देखा, मगर कभी उदास भी नहीं। हाँ, एकबार मेरे कुछ सवालों पर वह मुस्कराया अवश्य था और फिर मौन हो गया था। पूरी कहानी  पढ़ें...
*

रामकिशन भँवर का व्यंग्य
हाय मेरी प्याज़
*

आज सिरहाने- अरविंद कुमार सिंह की पुस्तक
भारतीय डाक: सदियों का सफरनामा

*

रंगमंच पर- हृषिकेश सुलभ द्वारा
विदूषक की तलाश

*

संस्कृति में रमेश चंद्र द्विज का आलेख-
पोंगल- संक्रांति का महा उत्सव

पिछले सप्ताह

प्रमोद ताम्बट का व्यंग्य
यह साम्राज्यवादी थपथपाहट

*

लक्ष्मीकांत नारायण के साथ चलें
भारत कला भवन

*

आर के श्रीनिवासन की रपट
जब शौच से उपजे सोना

*

कुँवरपाल सिंह का संस्मरण
मेरी यादों के पयाले में भरो फिर कोई मय

*

समकालीन कहानियों में भारत से
पावन की कहानी एक भीगती हुई शाम

महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन
चर्चगेट जाने वाली लोकल महालक्ष्मी स्टेशन पर रुकी। लेडीज कम्पार्टमेन्ट से ढेर सारी महिलाओं के रेले के साथ वह भी बारिश से भीगते हुए प्लेटफार्म पर उतरी। आज सुबह से बारिश हो रही थी लेकिन बारिश की वजह से मुम्बई की जिन्दगी थम नहीं जाती। उतरने के साथ ही वह रेसकोर्स की ओर जाने वाले गेट की ओर चल पड़ी। आज उसने साड़ी पहनी थी। जब भी वह विदित के साथ जाती है तो अधिकतर साड़ी पहनती है क्योंकि विदित को वह साड़ी में बहुत अच्छी लगती है हालाँकि नियमित रूप से साड़ी न पहनने के कारण उसे उलझन महसूस होती है पर ग्राहक ग्राहक है, उसके मन मुताबिक तो करना ही पड़ता है फिर वह बिल्कुल अलग किस्म का ग्राहक है। तभी उसके पर्स में रखा उसका मोबाइल फोन थरथराया। उसके चेहरे पर मुस्कराहट खेल गई। पूरी कहानी  पढ़ें...

अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें   आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसर हमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए अभिव्यक्ति समूह के सदस्य बनें। यह निःशुल्क है।

Google  
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०