महालक्ष्मी
रेलवे स्टेशन
चर्चगेट जाने वाली लोकल महालक्ष्मी स्टेशन पर रुकी। लेडिज
कम्पार्टमेन्ट से ढेर सारी महिलाओं के रेले के साथ वह भी बारिश
से भीगते हुए प्लेटफार्म पर उतरी। आज सुबह से बारिश हो रही थी
लेकिन बारिश की वजह से मुम्बई की जिन्दगी थम नहीं जाती। उतरने
के साथ ही वह रेसकोर्स की ओर जाने वाले गेट की ओर चल पड़ी। आज
उसने साड़ी पहनी थी। जब भी वह विदित के साथ जाती है तो अधिकतर
साड़ी पहनती है क्योंकि विदित को वह साड़ी में बहुत अच्छी लगती
है हालांकि नियमित रूप से साड़ी न पहनने के कारण उसे उलझन
महसूस होती है पर ग्राहक ग्राहक है, उसके मन मुताबिक तो करना
ही पड़ता है फिर वह बिल्कुल अलग किस्म का ग्राहक है।
तभी उसके
पर्स में रखा उसका मोबाइल फोन थरथराया। उसके चेहरे पर
मुस्कराहट खेल गई। उसे विदित का अधीर चेहरा याद आया। वह स्टेशन
के बाहर उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। वह मोबाइल निकालने के लिए
पर्स खोलने ही लगी थी कि उसकी थरथराहट रुक गई। किसी ने मिस कॉल
छोड़ी थी। उसने मोबाइल निकालकर नम्बर देखा जो पहचाना था। उसने
उसी नम्बर पर कॉल लगाई।
''कैसी है अपुन का सेहर
बाई?'' दूसरी ओर से कॉल मिलते ही कहा गया। |