हास्य व्यंग्य | |
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यह
साम्राज्यवादी थपथपाहट |
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अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने हमारे
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को अपने परिवार का सदस्य बताया है। उनकी पत्नी
‘मिशेल’ और बच्चे एक ‘सरदारजी’ को अपने बीच में पाकर कैसा महसूस करेंगे यह तो
जिज्ञासा का विषय है, मगर भारतीय होने के नाते मेरे लिए तो यह बड़ी खुशी की बात है।
यूँ तो ओबामा स्वयं एक अमरीकी माता और केन्याई मुसलमान पिता की संतान हैं, और अब
उनके परिवार का एक सदस्य पगड़ीधारी भारतीय सरदार निकल आया है। दुनिया के लिए यह
एक बड़े आश्चर्य की घटना हो सकती है क्योंकि बेसिर-पैर की ही सही ‘धर्मनिरपेक्षता’
का अखंड ठेका तो पूरी दुनिया में सिर्फ भारतीयों के ही पास है, अमरीका में यह
परम्परा कब पलायन कर गई, किसी को पता ही नहीं चल पाया। भारतीय वामपंथियों ने राज-पाट के मामले में वह
दर्जा हासिल कर लिया है कि एक धुर दक्षिणपंथी ताकत को उन्हें भी अपने परिवार का
सदस्य बताने में कोई दिक्कत नहीं होती यदि उनका प्रधानमंत्री होता। जहाँ तक मेरी
व्यक्तिगत पसंद का सवाल है, कोई माने या ना माने, जब ओबामा मायावती बहन को अपने
परिवार का सदस्य बनाते तब मुझे जितनी खुशी होती वह डॉ. मनमोहन सिंह या किसी और के
लिए होने वाली खुशी से लाख गुणा ज़्यादा होती। इसी बहाने बहनजी अपना एक पुतला
व्हाइट हाउस में भी ठोक आतीं और अपनी ओबामा परिवार की सदस्यता पक्की और दीर्घजीवी
कर लेतीं। जो भी हो, मुझे तो घोर आश्चर्य
होगा अगर भारतीय प्रधानमंत्री को अमरीकी राजकीय अतिथि का यह सम्मान मिलने के बाद
पाकिस्तानी नेतागण दाना-पानी लेकर ओबामा पर ना चढ़ बैठें कि - ऐसे कैसे तुमने हमारे
पुश्तैनी दुश्मन को अपने परिवार का सदस्य बना लिया! हम क्या मर गए हैं! जो भी हो
बाप-दादों की तरफ से हो तो मुसलमान ही! तो पाकिस्तानी मुसलमानों को छोड़कर किसी
भारतीय सिख-हिन्दु को अपने परिवार का सदस्य बनाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?
फौरन से पेश्तर हमें भी अपने परिवार का सदस्य बनाओं या मनमोहन सिंह को अपने परिवार
से बेदखल करों! वर्ना, हमसे बुरा इतिहास में न कोई हुआ है, ना होगा! हम भारतीय सीमा
पर गोलीबारी तेज़ करके तुम्हारे परिवार के इस नए सदस्य की ऐसी-तैसी कर देंगे। |
११ जनवरी २०१० |