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कहानियों में दिनेश लगभग दस वर्षों से कुवैत में चार्टड अकाउंटेंट है। गांव के गुरमीत को परदेस में भी एक जानकार तो मिल ही गया था। गुरमीत ने अपने सरल स्वभाव और व्यवहार से शीघ्र ही अपने आपको वहां सुव्यवस्थित भी कर लिया था। उसे रहने के लिए हिल्टन होटल के पीछे ही एक जगह मिल गई थी। उसने स्वयं ही यह स्थान पसंद किया था। कुछ गांव के घरों जैसा घर था। आंगन के मुख्य द्वार से घर तक पहुंचने तक ही तीन मिनट तो चलना ही पड़ता था। चारों ओर ऊंची दीवार और बीच मध्य में उसका तीन कमरे का वातानुकूलित घर! जी जान से मेहनत कर रहा था गुरमीत और वहां जगरांव में कुलवंत ने एक फूल सी बेटी को जन्म दिया। ° |
इस
सप्ताह
सावित्री ने ऐसे रो हाउस पहली बार इंग्लैंड में देखे थे। उसे एक बार भाटिया साहब अपने साथ विदेश ले गए थे। लंदन के एक दूरदराज के उपनगर सिटिंगबोर्न में विद्यार्थी जीवन का उनका एक दोस्त रहता था। उसी के घर ठहरे थे वे दोनों। ऐसे घर को रो हाउस कहते हैं, बताया था भाटिया साहब ने। पर वे सभी घर बहुत साफ़ और खूबसूरत थे। लॉन की घास भी खूब हरी थी और लॉन में पानी देने का एक फव्वारासा था जिसे स्प्रिंकलर कहते थे वे लोग। जब पानी की टोंटी खोल दी जाती तो वह फव्वारा नाचने लगता था और नाचनाच कर लॉन की घास को सींचता था। सावित्री को वह बहुत अच्छा लगता और वह जितनी देर भी वहां रही, खाली वक्त निकाल कर उसे नाचते हुए देखती रही थी। °
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