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पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
मनोहर पुरी प्रस्तुत कर रहे हैं
तोहफ़ा
टमाटरों का
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
खेल
एलपीएमसीपीएम का
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नाटक
में
मिलिंद तिखे के नाटक का
अंतिम भाग
फिर
दीप जलेगा
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चिठ्ठापत्री
में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
अप्रैल
महीने के चिठ्ठों पर
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कहानियों में
भारत से गुरमीत बेदी की कहानी
बुधवार का
दिन
'मैं सवा पांचसाढ़े पांच बजे तक
ऑफ़िस में ही हूं। आप इसी बीच कभी भी आ सकती हैं।' कह कर
रिसीवर रखते हुए उसके
होठों पर मुस्कराहट खिल उठी। दोपहर के दो बज रहे थे। साढ़े
चार बजने में अभी अढ़ाई घंटे बाकी थे। जिस जगह
वह नौकरी करती थी, उस जगह से उसके ऑफ़िस का पैदल
रास्ता मुश्किल से दस मिनट का था। अगर वह साढ़े चार
बजे अपने ऑफ़िस से निकल पड़े तो ज़्यादा से ज़्यादा
पौने पांच बजे तक यहां पहुंच सकती है। वह
हिसाब किताब लगाने लगा। फिर उसने
घंटी बजा कर चपरासी हेमराज को बुलाया और उसे
सौ रूपए का नोट थमाते हुए कहा 'देखो मुझ से
मिलने कोई आ रहा है। तुम साढ़े चार बजे जाकर कोल्ड
डि्रंक ले आना और साथ ही बढ़िया से बिस्कुट भी।'
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इस
सप्ताह
मातृ दिवस
विशेषांक के अवसर पर
कहानियों में
भारत से गिरिराज किशोर की कहानी
मां
आकाश है
उस
आवाज़ ने न उसे रूलाया और न डराया पर सहमा ज़रूर दिया। मां को अपना ठिकाना खोजना पड़ा।
बेटी बीचोंबीच अकेली थी। बाप पास था। लेकिन
बच्चे के लिए पिता कितना भी बड़ा हो कितना भी
शक्तिशाली हो मां के मुकाबले तब तक नगण्य रहता है
जब तक इतर कारणों से वह पिता की विशिष्टता को
स्वीकार करने लायक नहीं होता। बच्चा कहता था मुझे
मां चाहिए। पिता कहता था मां बीमार है। उसकी समझ
में नहीं आता था कौन बीमार है। धीरेधीरे बच्चे
ने अपने अंदर दो घर बना लिए। अंदर वाला मां को दे
दिया। बाहर वाला पिता के लिए रख लिया। जब पिता आते
तो बच्चा पूछता, "पापा, क्या मां कभी नहीं आएगी?"
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सामयिकी
में
रोचक तथ्यों के साथ अर्बुदा ओहरी का
एक
दिन मां के लिए
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संस्मरण
में
प्रख्यात लेखिका चंद्रकांता की स्मृतियां
देखना,
जानना और होना
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महानगर
की कहानियों में
राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी
'बंधु' की लघुकथा
मां
! मां
!!
°
कला
दीर्घा में
भारतीय कलाकारों की
तूलिका से
मां के विभिन्न रूप
सप्ताह का
विचार
विश्व
के निर्माण में जिसने सबसे अधिक संघर्ष किया है और
सबसे अधिक कष्ट
उठाए हैं वह मां है। हर्ष मोहन
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मातृ दिवस के
अवसर पर नयी
कविताएं
साथ ही
अन्य स्तंभों में
नयी कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
धूप के मुसाफ़िर
मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी
सेल
इला प्रसाद
अब
कहां जाओगे ए असफल
जेबकतरे
भूपेन्द्र कुमार
दवे
टेढ़ी उंगली और
घी
जयनंदन
एक दो तीन मथुरा कलौनी
°
हास्य
व्यंग्य में
फैशन
शो में . . .शास्त्री नित्यगोपाल कटार
हमारे पतलू
भाईनीरज त्रिपाठी
इतने पदक
कैसेƖगुरमीत बेदी
ऑपरेशन
मंजनू . . . महेशचंद्र द्विवेदी
°
प्रकृति
में
गुरमीत बेदी दिखा रहे हैं
कांटों में खिलता सौंदर्य
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नाटक
में
दो किस्तों में मिलिन्द तिखे
का नाटक
फिर
दीप जलेगा
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फुलवारी
में
ललित
कुमार से जानकारी की बातें
अमेरिका,
कैनेडा, मेक्सिको
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव से जानकारी
कंप्यूटर पर गीतसंगीत :
सहगल
से सावंत तक
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साहित्यिक
निबंध में
निर्मला जोशी याद कर रही
हैं मंच के हंस
बलबीर
सिंह रंग को
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साहित्य
समाचार में
अभिनव शुक्ल और अलका प्रमोद के
दो
नये संग्रहों का विमोचन
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