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पिछले
सप्ताह
साहित्यिक निबंध
में
डा हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेख
अशोक के फूल
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हमारी संस्कृति में
मानोशी चैटर्जी का आलेख
भारतीय शास्त्रीय
संगीत
°
दृष्टिकोण
में
डा रति सक्सेना का आलेख
संस्कृति की आड़ में
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रसोईघर
में
पुलावों की श्रृंखला में दक्षिण
भारत से हेमा द्वारा भेजा गया व्यंजन
बिसिबेले भात
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कहानियों में
भारत से कुसुम अंसल की कहानी
पानी
का रंग
"रोज़ी यह
बहुत अच्छी पेन्टर है ... . .कोई मामूली शख्सियत नहीं . . ."
रोज़ी की मुखमुद्रा में तो कोई अन्तर नहीं आता था परन्तु गुल
अवश्य ही ट्रांसफार्म सी होकर उस कगार पर पहुंच जाती जाती थी
जहां बहुत वर्ष पहले समीर के प्रोम में डूब कर बड़ी फिल्मी अदा
से शिमला के 'स्कैन्डल प्वाइंट' से भाग गई थी। आज कौन कह
सकता है कि कभी गुल सुन्दरी रही होगी अमीर बाप की लाड़ली
बेटी गुल? समीर का मध्यम वर्गीय परिवार और एक के बाद एक तीन
बच्चों का जन्म . . .जब से आज तक बस काम ही काम, अंतहीन
व्यस्तता कभी बच्चों का मंहगा स्कूल, कभी मकान की किश्तें
कितना कुछ था जो उसके व्यक्तित्व को तराश रहा था, कुरेद रहा था।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
यू एस ए से सीमा खुराना की कहानी
बूढ़ा
शेर
अपना
चालीसवां जन्मदिन मनाते समय मुझे अपनी बढ़ती
हुई उम्र का इतना एहसास नहीं हुआ था जितना जन्मदिन
के कुछ महीनों बाद पापा को चुपचाप बैठे देखकर हुआ
था। उस दिन दिनेश पापा और मम्मी से बात कर रहा था।
दिनेश मेरा छोटा भाई, हम सब का लाड़ला, यहां तक
मेरा भी लाड़ला। मुझसे चौदह साल छोटा होने के
कारण वह मुझे हमेशा अपना भाई कम और बेटा जैसा
ज्यादा लगता है। दिनेश उस दिन अपनी शादी की बात कर
रहा था मौनिका के साथ। मम्मी उससे सवाल
जवाब कर रही थी। भैया भी बैठे थे और पापा भी। पर
मेरा ध्यान नहीं गया तब तक, दिनेश ने झुंझला कर
यह नहीं कहा, "पापा अगर आप को मेरे जिंदगी में
कोई दिलचस्पी है, तो यह अखबार छोड़ दो . . ."
°
सामयिकी में
हिन्दी दिवस के अवसर पर उषा राजे
सक्सेना का आलेख
यू के में हिन्दी भाग1 और कोलंबो
से श्री शरणगुप्त वीरसिंह
का आलेख
श्रीलंका हिंदी निकेतन की हिंदीयात्रा साथ
ही विजय कुमार
मल्होत्रा का आलेख
ऑफ़िस हिंदीःमाइक्रोसॉफ्ट की नई
सौगात
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आज सिरहाने में
डा सतीश दुबे परिचय करवा रहे
हैं
'वाकिंग पार्टनर' से
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सप्ताह का विचार
विश्वास हृदय की वह कलम
है जो
स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती
है अज्ञात |
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अनुभूति
में
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यू
एस ए से
प्रो हरिशंकर आदेश,
जापान से प्रो सुरेश
ऋतुपर्ण और
भारत से प्रदीप मिश्र की 15 नई कविताएं
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° पिछले अंकों से°
कहानियों में
मातमपुरसीसूरज प्रकाश
चिड़ियाअमरेन्द्र कुमार
झूमरभीष्म
साहनी
मौखिकीदेवेन्द्र सिंह
कोसी
का घटवारशेखर जोशी
अनोखी रातविद्याभूषण धर
°
नगरनामा
में
स्वदेश राणा का आलेख
न्यूयार्क
का नगरनामा
तआरूफ़ अपना बकलम ख़ुद
°
पर्यटन में
सैरसपाटे को निकलते हैं
माया
नगरी
मुंबई
विभा प्रकाश श्रीवास्तव के साथ
°
मंचमचान
में
अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
क्या
होती है थेथरई मलाई
°
फुलवारी में
जानकारी के लिए
आविष्कारों की कहानी
और शिल्प कोना में कुछ करने के लिए
आओ
मिलें गले
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव का
आलेख
अब कंप्यूटर
पूरी तरह हिन्दी में
°
प्रकृति
में
विश्वनाथ सचदेव की कलम से
बिन चिड़िया का जंगल
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विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप सुना
रहे हैं
कथा डी
एन ए की खोज की
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