अनुभूति

16. 6. 2004

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पिछले सप्ताह

सस्मरण में
शेरजंग गर्ग की यादें पुराने दिन और
साहित्यिक मित्रों के साथ

एक था टी हाउस
°

वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की कलम से
सौर देवता
°

रसोईघर में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में
पुदीना पुलाव
°

परिक्रमा में
कनाडा कमान के अंतर्गत
मिसीसागा से सुमन कुमार घई की रपट
अभ्युदय विमोचन संध्या 
और कवि सम्मेलन

°

कहानियों में
कैनेडा से सुरेश कुमार गोयल की कहानी
ग़लतफ़हमी

दिल्ली में मुझे मामाजी और मामीजी की बहुत याद आई। बार–बार उनको फोन करने का मन किया परन्तु मैंने उनको फोन नहीं किया। पहले जब भी कभी दिल्ली आता था, मामाजी को अवश्य फोन करता था। फिर या तो उनके घर आकर उनसे मिल आता था या फिर करोलबाग में मामाजी और मामीजी अपनी बड़ी बेटी के घर आ जाते थे। वहीं उन सबसे मिल लेता था। इस बार न जाने क्यों मैं उनको फोन करके लिए उत्साहित नहीं था। मामाजी ने बाबूजी के स्वर्गवास पर मुझे पत्र न लिख कर जिस बेरूखाई का परिचय दिया उसको मैं नहीं भुला सका। मामाजी की बड़ी बेटी आभा के घर के पास से न जाने कितनी बार गुजरा हूंगा परन्तु मैं स्कूटर रिक्शा वाले को उसके घर की ओर चलने को न कह सका।1

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!इस सप्ताह

गौरवगाथा में
सुप्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर की
बहुचर्चित लंबी कहानी

राजा निरबंसिया

"एक राजा निरबंसिया थे," मां कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार–पांच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक–से बैठ जाते थे। आटे का सुन्दर–सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः गौरें रखी जातीं, जिनमें से ऊपरवाली के बिन्दिया और सिन्दूर लगता, बाकी पांचों नीचे दबी पूजा ग्रहण करती रहतीं। एक ओर दीपक की बाती स्थिर–सी जलती रहती और मंगल–घट रखा रहता, जिस पर रोली से सथिया बनाया जाता। सभी बैठे बच्चों के मुख पर फूल चढ़ाने की उतावली की जगह कहानी सुनने की सहज स्थिरता उभर आती।

°

प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का जानकारीपूर्ण आलेख
अभावों का ऋणजल

°

आज सिरहाने में
नईम के नवीनतम कविता संग्रह
लिख सकूं तो
से परिचय करवा रहे हैं प्रदीप मिश्र

°

हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी सुना रहे हैं
हकीम नुसर की खुसर पुसर

°

साहित्य समाचार में
घोषित हुए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के
पुरस्कार
!°!

!सप्ताह का विचार!
रित्रहीन शिक्षा, मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं। —सत्यसाईं बाबा

 

अनुभूति में

देवेन्द्र रिणवा,
डा पद्मा सिंह, विजय ठाकुर,
डा अजय पाठक व स्वर्णा दीक्षित की
22 नई कविताएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
चरमराहट तेजेन्द्र शर्मा
चोरी–प्रत्यक्षा
कोठेवाली(उपन्यास)स्वदेश राणा
पीठ–ममता कालिया
बादल छंट गए–अलका प्रमोद
गौरैया–रवीन्द्र कालिया
°

नगरनामा में
निर्मल वर्मा द्वारा डायरी शैली में लिखा गया हार्वर्ड का वृतांत
सीढ़ियों पर सिगरेट
°

साक्षात्कार में
शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां से
डा दामोदर खड़से की बातचीत
संगीत सारा झगड़ा खत्म कर देगा
°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर प्रस्तुत कर रहे हैं
सखाभाव की साख—नीरज
°

फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला में जानकारी 
याक के बारे में, याक का एक सुंदर सा चित्र रंगने के लिए और 
कविता —
याक
°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप प्रस्तुत कर रहे हैं
दो माँओं की बेटी ‘कागुया’
°

नगरनामा में
ग़ज़ाल ज़ैग़म का इलाहाबाद
मौसम मेरे शहर के
°

परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की लंदन पाती
यात्रा और पड़ाव
तथा
सुमन कुमार घई की कनाडा कमान
टोरोंटो में छाया प्रो अशोक चक्रधर का जादू

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
        सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया   साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला