४ अप्रैल को टोरोंटो
के लगन बैंक्युट हाल में हिन्दी टाईम्स की प्रथम
वर्षगांठ पर चार भारतीय कवियों को आमन्त्रित किया
गया। हिन्दी टाइम्स टोरोंटो से प्रकाशित होने वाला
हिन्दी का दूसरा समाचार पत्र है ओर एक वर्ष के
थोड़े से समय में ही इस समाचार पत्र ने भारतीय
समाज में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।
यह समारोह
सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजनों का अनूठा संगम
था। समारोह का आरम्भ ज्योति प्रज्वलन से हुआ।
आमन्त्रित अतिथियों में ब्रैम्पटन की मेयर (हिन्दी
टाईम्स का मुख्यालय ब्रैम्पटन में है), श्री
गुरूबख्श मल्ली (कैनेडा के हाऊस आफ कामन्स के
सांसद) तथा भारतीय कौंसलावास से श्री कृष्ण
खेतरपाल (उप कौंसल) उपस्थित थे। समारोह की
अध्यक्षता महाकवि प्रो. हरिशंकर आदेश ने की।
उन्होंने अतिथि कवियों का कवितामय स्वागत किया।
मेयर सूजन फैनल ने अपने सम्बोधन का अन्त हिन्दी के
एक वाक्य से किया। उनके इस प्रयास का श्रोतागणों
द्वारा भरपूर स्वागत किया गया। श्री गुरूबख्श
मल्ली ने प्रो. अशोक चक्रधर को कैनेडा शासन की तरफ
से एक अभिनन्दन पत्र भेंट किया। बहुत से अन्य लोग
भी सम्मानित किए गए, जिनमें हिन्दी के लिए
सम्मानित किए हिन्दी लेखक व कार्यकर्ताओं में से
निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं— महाकवि प्रो. हरिशंकर
आदेश, डा. भारतेन्दु श्रीवास्तव, श्री श्याम
त्रिपाठी (हिन्दी चेतना के सम्पादक व प्रकाशक),
श्री सुमन कुमार घई (साहित्य कुंज के सम्पादक),
डा. शैलजा सक्सेना, श्री जगदीश शारदा शास्त्री
(हिन्दू स्कूल के संस्थापक), श्रीमती भुवनेश्वरी
पांडे और डा.देवेन्द्र मिश्रा।
कार्यक्रम का
आरम्भ फिल्मी धुनों पर नृत्यों से हुआ जो कि 'ताल
अकादमी' के बाल कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए।
इन प्रस्तुतिओं में से देशभक्ति के गीतों और
नृत्यों के माध्यम से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
के संघर्ष का विवरण बहुत ही श्रेष्ठ था जो दर्शकों
द्वारा बहुत सराहा गया।
इसके पश्चात
कार्यक्रम का मुख्य भाग आरम्भ हुआ और माइक्रोफोन
चक्रधर जी के हाथ में दे दिया गया जिन्होंने कवि
सम्मेलन का संचालन किया। सबसे पहले उन्होंने अपनी
धर्मपत्नी डा. बागेश्वरी चक्रधर को आमन्त्रित
किया। बागेश्वरी जी जो स्व काका हाथरसी जी की
सुपुत्री भी हैं, ने अपनी कुछ नई व पुरानी रचनाएँ
सुनाईं। जब उन्होंने अपनी लक्ष्मी वन्दना
काका की शैली में ही सुनायी तो सारा हाल हँसी से
गूँज उठा। इस के पश्चात डा.मधुप मोहता को काव्य
पाठ के लिए आमन्त्रित किया गया। मधुप जी ने अपनी
नवप्रकाशित पुस्तक 'समय, सपना और तुम' में से कुछ
हृदय स्पर्शी रचनाएँ सुनायीं। डा. मधुप के पश्चात
सुश्री नेहा शरद ने अपनी संवदेनशील कविताओं से
श्रोताओं का मन मोह लिया। नेहा जी एक कुशल
अभिनेत्री हैं तथा सुप्रसिद्ध लेखक शरद जोशी की
सुपुत्री हैं। उन्होंने अपने कविता पाठ के बाद शरद
जोशी जी का लिखित एक व्यंग्य लेख सुनाया जिसमें
उनकी वाणी में उनकी अभिनय प्रतिभा की झलक देखने को
मिली।
अन्त में प्रो.
अशोक चक्रधर की बारी आई। उन्होंने ने अपनी
सम्मेहिनी कला से पूरे श्रोतावर्ग को अपनी मुठ्ठी
में कर लिया। चक्रधर जी ने कई कविताएँ सुनायीं।
जंगल में चुनाव से लेकर यन्त्र तक। पूरे हॉल में
निरन्तर हँसी के फव्वारे छूट रहे थे। एक भी क्षण
उन्होंने व्यर्थ नहीं होने दिया। कविताओं के
अन्तराल को उन्होंने कई रोचक संस्मरणों से पूरित
किया। उनकी हर रचना श्रोताओं द्वारा सराही गई। शाम
के सात बजे से आरम्भ हुआ यह कार्यक्रम रात्रि के
साढ़े दस बजे भोजन के साथ समाप्त हुआ।
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