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पिछले सप्ताह
होली के अवसर पर
और महेश कटरपंच का आलेख ° कहानियों
में हमें उन दिनों अपना
देश बहुत अच्छा लगता था और देश में अपना गांव °
हास्यव्यंग्य
में °
धारावाहिक में °
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इस सप्ताह कहानियों
में आज लगभग दो वर्ष
होने जा रहे हैं। दिलीप ने काम धाम छोड़ रखा है। घर में भी
शराब और शाम को 'पब' मे भी शराब। नाश्ते और भोजन मे
केवल शराब ही शराब। ऐसा क्या दुख है दिलीप को? वह क्यों नहीं
समझ पा रहा है कि उसके इस व्यवहार से जया को कितना दुख पहुंच रहा
है? वह बेचारी दिन भर नौकरी करती है, घर आ कर अपनी बेटी पलक की
पढ़ाई में सहायता करती है, और रात को भोजन बना कर दिलीप की
प्रतीक्षा करती है। . . .अब तो प्रतीक्षा करना भी बन्द कर दिया है
. . . सामयिकी
में परिक्रमा
में विज्ञान
वार्ता में साक्षात्कार
में
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° पिछले अंकों से° कहानियों
में
रसोईघर
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शाकाहारी मुगलई का प्रेरक
प्रसंग में
कलादीर्घा
में
कला और कलाकार के परिक्रमा
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कहानियां।कविताएं।साहित्य संगम।दो पल।कला दीर्घा।साहित्यिक निबंध।उपहार।परिक्रमा।आज सिरहाने |
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प्रकाशन : प्रवीन सक्सेन परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी
सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार
शुक्ला