मनसाराम
भारत
में आधुनिक चित्रकला में असली जान साठ के दशक में आती है और
उस दौर की एक कड़ी हैं मुम्बई के श्री पी. मनसाराम जो पिछले
चालीस वर्षों से भारत और कनाडा में कला की दुनिया में अपना
स्थान बना चुके हैं। पी. मनसाराम की कला भी उन्हीं की तरह
एक बंजारे की तरह कभी भी एक स्थान पर स्थायी नहीं हुई है।
हर नए सवेरे की तरह उनकी कला नए रूप में बिखरती है। कोलॉज
और मिक्समिडिया उनकी कला का माध्यम रहा है। आजकल वह
मिक्समिडिया को कंप्यूटर की सहायता से एक नया रूप देते हैं
जो कि उनकी गुप्त विधि है और उसे
वह मनसामिडिया का नाम देते हैं।
माऊंट आबू में पले बड़े हुए मनसाराम ने मुम्बई के सर जे.जे.
स्कूल ऑफ आर्ट में शिक्षा प्राप्त की और बाद में हॉलैंड
में स्टेट अकैडमी ऑफ फाईन आर्ट में गवर्नमैन्ट फैलोशिप पर
अध्ययन किया। कनाडा में प्रवास करने के पश्चात रॉयरसन
पॉलीटैक्निक से मोशन पिक्चर प्रोडक्शन की भी विद्या
प्राप्त की। अनगिनित व्यक्तिगत और सामूहिक प्रदर्शनियाँ कर
चुके पी. मनसाराम चार वर्ष तक कलर ऐन्ड फॉर्म सोसाइटी के
अध्यक्ष के पद पर भी रहे। इस संस्था का गठन द्वितीय
महायुद्ध के पश्चात् यूरोप से आये हुए कलाकारों ने १९५२
में किया था। यह संस्था औन्टेरियो प्रान्त ही नहीं अपितु
पूरे कनाडा के कला जगत में वरिष्ठ स्थान रखती है।
पिछले छह
वर्ष से माऊँट आबू में अपनी पैतृक भूमि पर वे चट्टानों पर
कला बिखेर रहे हैं। उनका कहना है कि चट्टानें उनसे बात
करती हैं और वह उन्हीं के अनुसार उनको रंग देकर, कंक्रीट
से नया रूप देकर या उसे गढ़ कर नया जीवन देते हैं। यह पैतृक
पार्क जनता के लिए खुला है और उनका कहना है कि एक बार यह
परियोजना पूरी हो जाने पर, इसे जनता को ही समर्पित कर
देंगे।
मनसाराम
कहते हैं—
आँखों देखा दृश्य या अनुभव की हुई वारदात
यादों के सोच में होके या सपनों की गहराइयों से गुज़र के
और स्वादिष्ट हो जाता है
या फिर कला की कारीगरी
उसमें थोड़ा कड़वापन ला देती है
फिर से स्वप्नों की परतों में गुज़र के
कई बार बदलाव, उसके बाद ठहराव
वहीं कहीं
मेरा ऑर्ट हाज़िर है
मनसाराम से इस पते पर संपर्क किया जा सकता है—
pmansaram@yahoo.ca
— सुमन कुमार घई |