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विशेष पृष्ठ:
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शिवानी
जन्म:
१७ अक्तूबर १९२३ गुजरात के राजकोट शहर में।
शिक्षा: शांति निकेतन पश्चिम बंगाल से बी. ए.।
कार्यक्षेत्र: मूलरूप में उत्तर प्रदेश के
कुमाऊँ क्षेत्र की निवासिनी, शिक्षा शांति निकेतन में
और जीवन का अधिकांश समय लखनऊ में बिताया। माँ गुजराती
की विदुषी, पिता अंग्रेज़ी के लेखक, पहाड़ी पृष्ठभूमि
और गुरुदेव की शरण में शिक्षा ने शिवानी की भाषा और
लेखन को बहुआयामी बनाया। बंगला साहित्य और संस्कृति का
शिवानी पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी 'आमादेर शांति
निकेतन' और 'स्मृति कलश' इस पृष्ठभूमि पर लिखी गई
श्रेष्ठ पुस्तकें हैं।
'कृष्णकली'
उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसके दस से भी अधिक
संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी साहित्यिक सेवाओं
के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री की उपाधि से
सम्मानित किया है। 'करिये छिमा' पर विनोद तिवारी ने
फिल्म बनाई थी। 'सुरंगमा', 'रतिविलाप', 'मेरा बेटा' और
'तीसरा बेटा' पर टीवी धारावाहिक बन चुके हैं।
निधन : २१ मार्च २००३
प्रमुख कृतियाँ -
उपन्यास -
कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि,
पूतों वाली, चल खुसरों घर आपने, श्मशान चंपा,
मायापुरी, कैंजा, गेंदा, भैरवी, स्वयंसिद्धा,
विषकन्या, रति विलाप, आकाश।
कहानी संग्रह - शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ,
शिवानी की मशहूर कहानियाँ, झरोखा, मृण्माला की हँसी।
संस्मरण - अमादेर शांति निकेतन, समृति कलश,
वातायन, जालक।
यात्रा विवरण - चरैवैति, यात्रिक।
आत्मकथ्य - सुनहुँ तात यह अमर कहानी
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