प्रोटीन
द्वारा कैंसर की रोकथाम
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वाशिंग्टन
युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में कार्यरत श्रीकान्त अनन्त
एवं उनके सहयोगियों ने साइटिडिन युरिडिन
गुयानोसिन बाइंडिंग प्रोटीन2 की पहचान की है।
भविष्य में यह प्रोटीन
विभिन्न प्रकार की ट्यूमर
कोशिकाओं
को मारने एवं कैंसर की रोकथाम में सहायक सिद्ध हो सकती
है। इसके अतिरिक्त, सेंट जूड चिल्ड्रेन रिसर्च हास्पिटल के
वैज्ञानिकों ने अभी हाल ही में पता लगाया है कि विकिरण
या विषैले पदार्थों के संपर्क में कोशिकाओं के डीएनए
क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिसका प्रभाव म्यूटेशन, कोशिका
मृत्यु, कैंसर आदि के रूप में परिलक्षित होता है। क्षतिग्रस्त
डीएनए 'एटीएम' नामक विशेष एन्ज़ाइम को सक्रिय करता है। एटीएम अन्तत: कुछ अन्य प्रोटीन्स जैसे
Brca1
और
P53
को सक्रिय कर देता है। सक्रिय रूप में ये प्रोटीन्स कैंसर
विशेषकर स्तन कैंसर को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं। यदि एटीएम को सक्रिय होने से
रोका जा सके तो इस प्रकार के कैंसर पर नियंत्रण किया जा सकता
है।
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परड्यू
में कार्यरत डी जेम्स एवं डोरथी मूरे,पतिपत्नी की
अनुसंधान टीम ने जैविक घड़ी के रहस्य का पर्दाफाश करने
में सफलता पाई है। इनके अनुसार वस्तुत: किसी भी कोशिका के
सभी कार्यकलापों का समय नियंत्रण एक प्रोटीन द्वारा
होता है। इस विशेष प्रोटीन के बारे में अच्छी तरह जानकर हम
सोने से ले कर श्वास लेने
की प्रक्रिया, हृदयगति, हार्मोमोन्स का समयबद्ध
उत्पादन आदि सभी जैविक कार्यकलापों
की तारतम्यता एवं एकलयता को न केवल समझ सकते हैं,
बल्कि इनको नियंत्रित भी कर सकते हैं।
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रॉचेस्टर
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के वैज्ञानिक, नासा एवं एन
एस एफ के सहयोग से एक प्रकार के अति सूक्ष्म पदार्थ
नैनोमैटिरियल्स के विकास में जुटे हुए हैं। इस
परियोजना में सफलता का अर्थ है, सौर्यऊर्जा से
संचालित होने वाले सेल्स की नई पीढ़ी का विकास। ये
सोलर सेल्स अत्यंत पतली पट्टी जैसे होंगे, जिनके
मध्य में सेमी कंडक्टर पदार्थ ह्यक्वान्टम डॉट्स के दाने
तथा कार्बन नैनो ट्यूब्स होंगे। इन सेल्स का आकार
फुटबॅाल के मैदान कै बराबर होगा तथा ये काफी हल्के, लचीले
एवं अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों को झेल सकने की
क्षमतायुक्त होंगे। पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत , खनिज ईंधन
के लगातार घटते भंडार आज चिंता के
विषय हैं। सोलर सेल्स की इस नई पीढी को पृथ्वी के
कक्षा में स्थापित कर, भविष्य में हम न केवल पृथ्वी बल्कि
चंद्रमा एवं आसपास के अन्य ग्रहों को भी लगभग मुफ्त
विद्युतवितरण कर सकते हैं।
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टेक्नियॉनइजराइल
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी
से संबद्ध डॉव डॉरी ने आपकैट नामक एक नया
सॉफ्टवेयर विकसित किया है। ऑपकैट के द्वारा कंप्यूटर
प्रोग्रामिंग की भाषा न जानने वाले साधारण उपभोक्ता भी
मातृभाषा में ही मौखिक, लिखित अथवा ग्राफिक रूप से अपने
विचार कंप्यूटर को संप्रेषित कर सकते हैं। ऑपकैट मौखिक
संप्रेषण का चित्रों एवं ग्राफिक संप्रेषण का मौखिक अनुवाद कर
सकता है। इस सुविधा द्वारा साधारण उपभोक्ता भी कंप्यूटर की
प्रोग्रमिंग में मनचाहा परिवर्तन कर सकता है। डॉव डॉरी का
मानना है कि कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में यह एक
क्रांतिकारी परिवर्तन है। भविष्य में यह कंप्यूटर प्रोग्रामर की
भी छूट्टी कर सकता है। कंप्यूटर प्रोग्रामर, सावधान!
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हाल
ही में इन लोगों ने डीएनए को ही इस यंत्र के ऊर्जा स्रोत के
रूप में उपयोग करने में सफलता पाई है, फलत: अब
इसे
किसी बाह्य ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता नही है। इस जैविक
कंप्यूटरसूप की महज पाँच मिली लीटर की मात्रा में ऐसे
लगभग 15,000 खरब कंप्यूटर हो सकते हैं और सामूहिक रूप से
एक सैकेन्ड में लगभग 330 खरब संगणना 99 प्रतिशत सटीकता के
साथ कर सकते हैं। इस यंत्र को सबसे छोटे जैविक कंप्यूटर के
रूप में गिनीज वर्ल्ड रेकॉर्ड द्वारा सम्मानित किया गया है।
अगले
माह नई सूचनाओं के साथ पुन: उपस्थित हांगे, इस बीच
प्रतीक्षा रहेगी आपकी प्रतिक्रिया की।
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