कहानियों में
जानीमानी कथाकार ममता कालिया
की सहज अभिव्यक्ति
परदेसी
इस बार भाभी ने फोन पर कहा,
"भावना, हमारा बहुत अच्छा दोस्त
रिचर्ड भारत जा रहा है। एक हफ्ते
राजस्थान घूमकर वह इलाहाबाद
पहुंचेगा। एक हफ्ते वह वहाँ रहेगा।
उसके आराम का पूरा ध्यान रखना।
घर की सफाई कर लेना। कहीं भी
गन्दगी, मच्छर, छिपकली न दिखने
पाये। रिचर्ड डॉक्टर है। तुम्हारे भाई
उसे साथ लेकर आते, पर उन्हें अभी
छुट्टी नहीं मिल रही हैं।
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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार
के अंतर्गत बृजेशकुमार
शुक्ला पस्तुत कर रहे हैं, भारत से गत माह की घटनाओं का लेखाजोखा
पुतिन की भारत यात्रा
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कनाडा कमान के अंतर्गत कैनेडा के
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक मोहक
झलक सुमन घेई की कलम से
हिन्दी साहित्य सभा की
वार्षिक सांस्कृतिक संध्या
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रसोई घर में
मिठाइयों के क्रम में रसीले
गुलाब जामुन
और चटपटी
भेल पूरी
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सप्ताह का विचार
द्वेष बुद्धि को
हम द्वेष से नहीं मिटा
सकते . प्रोम की शक्ति ही उसे मिटा
सकती है ।
— विनोबा
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महानगर की कहानियाँ
में सूरज प्रकाश की लघुकथा
ग्लोबलाइज़ेशन
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निबंध में
आशीष गर्ग का विचारोत्तेजक लेख
भारतीय भाषाओं का पुनरून्थान कैसे?
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धारावाहिक
में
सुपचरित लेखक अभिज्ञात
की आत्मकथा का अगला भाग
मैं तो बस लिखता हूं और शेर समझ लेता हूं
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गौरवगाथा में
लोकप्रिय लेखक अमरकांत की
कहानी
दोपहर का भोजन
मुंशी जी के निबटने-के पश्चात सिद्धेश्वरी उनकी जूठी थाली लेकर चौके की
जमीन पर बैठ गई। बटलोई की दाल को कटोरे में उड़ेल दिया, पर वह पूरा
भरा नहीं। छिपुली में थोड़ी–सी चने की तरकारी बची थी, उसे पास खींच
लिया। रोटियों की थाली को भी उसने पास खींच लिया। उसमें केवल
एक रोटी बची थी।
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हास्य व्यंग्य में
महेश द्विवेदी का लेख
सू पुराण
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फुलवारी
के पाठकों के लिये शिशुगीतों का
एक पूरा संकलन
जग का मेला
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निमंत्रण
अभिव्यक्ति
की ओर से 'कथा महोत्सव 2003' के लिये भारत के नागरिक व भारत के
निवासी हिन्दी कथाकारों की कहानियाँ आमंत्रित की जाती हैं।
चुनी हुयी कहानियों को अभिव्यक्ति के जाल संकलन 'माटी की गंध'
में संकलित किया जायेगा।
विस्तृत सूचना
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पिछले
अंक से-
पर्यटन में
मंडी के पर्यटन स्थलों से परिचय गुरमीत बेदी के शब्दों में
श्रद्धा और सौंदर्य का संगम : मंडी
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संस्मरण में
हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि,
लेखक व नाटककार डा रामकुमार
वर्मा परशंकुंतला सिरोठिया का
आलेख
स्नेहसिक्त मेरे अग्रज
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फिल्म इल्म में
नयी हिन्दी फिल्मों,
दिल–विल प्यार–व्यार, हथियार,
वाह तेरा क्या कहना और दीवानगी
की समीक्षा कर रही हैं दीपिका जोशी
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कहानियों में
यू के से अरूण अस्थाना की कहानी
तर्पण,
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सहित्य संगम के अंतर्गत
गुजराती के सुप्रसिद्ध लेखक रजनी कुमार पंड्या
की कहानी का हिन्दी रूपांतर
कंपन ज़रा ज़रा
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तथा
तेरह प्रवासी हिन्दी लेखकों की
कहानियों का संग्रह
वतन से दूर
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कलादीर्घा में
कला और कलाकार
के अंतर्गत
कृष्णजी हौवाल जी आरा
का परिचय उनकी
कलाकृतियों
के साथ
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परिक्रमा में
लंदन पाती
के अंतर्गत
यूके से शैल अग्रवाल पस्तुत कर रही हैं
खुद की तलाश में हिन्दी
क्यों और कैसे
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