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साहित्य समाचार
डा सत्यभूषण वर्मा को मसाओका शीकी अन्तर्राष्ट्रीय हाइकू पुरस्कार

 

महाकवि प्रो. आदेश हरि शंकर
'विश्व कवि' के अलंकार से सम्मानित

इ हाइम सांस्कृतिक संस्था ने सन् 2002 के लिये मासाओका शीकी आंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा कर दी है।  यू•एस•ए• के कॉर वॅन डेन ह्यूवेल और भारत के सत्यभूषण वर्मा, दोनों को  1,000,000 येन (करीब 7,500 अमरीकी डॉलर्स) का यह पुरस्कार भागीदारी में प्राप्त होगा।  हजारों डॉलर्स वाला एक–एक कीमती  हस्तशिल्प भी उन दोनों को सम्मान में दिया जायेगा।  

नई दिल्ली के सत्यभूषण वर्मा को जापानी संस्कृति पर अध्ययन करने और हायकू को हिन्दीमें लिखने तथा प्रकाशित करने के लिये छात्रवृत्ति प्रदान की गयी थी।  हाइकू के विषय में उन्होंने शास्त्रीय व लोकप्रिय दोनों क्षेत्रों व तीन भाषाओं ( हिन्दी, जापानी और अंग्रेजी) में बहुत ही विस्तार से लिखा है ।  हिन्दी में उनकी किताब 'जपानी कवितायें' (1977) में जपानी टंका और हायकू हैं। 'जपानी हायकू और आधुनिक हिन्दी कवितायें' (1983) में जपानी हायकू तथा हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषाओं की छोटी कविताओं को तुलनात्मक रीति से प्रस्तुत किया गया है।  

1970 के दशक में उन्होंने हिन्दी में हाइकू पर पहला और अपनी तरह का अकेला संवाद–पत्र प्रकाशित किया था। जापानी भाषा को सर्वप्रथम भारतीय विश्वविद्यालय में स्नातकीय स्तर पर प्रारंभ करना उनका महत्वपूर्ण कार्य था। उन्होंने अनेक पैन–एशियाई संस्थाओं के शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के सभापतित्व का उत्तरदायित्व निभाने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया।  उन्हें जापान के सम्राट ने सन 1996 में 'द ऑर्डर ऑफ राइज़िंग सन, गोल्ड रेज विथ रोजेट' से सम्मानित किया।

चयन समिति की कार्यपद्धति
इस द्विवर्षीय पुरस्कार के विजेताओं का चयन त्रिचरणीय पद्धति से होता है।  सबसे पहले विश्व के लगभग 100 लोगों की रचनाओं का चुनाव होता है। बाद में एक कार्यकारी समिति जिसमें विद्वान, जापान के हायकू विशेषज्ञ और कम से कम एक या दो जापान में रहने वाले विदेशी विद्वान शामिल रहते हैं।  

"द अमेरिकन बाइयोग्राफिकल इन्सटिच्यूट" ने महाकवि प्रो. आदेश हरि शंकर को 'विश्व कवि' की उपाधि से सम्मानित किया है। चेयरमैन श्री जे.एम. एवन्ज़ ने प्रो.आदेश को संबोधित करते हुए कहा कि "द अमेरिकन बाइयोग्राफिकल इन्सटिच्यूट" व्यक्तिगत उपलब्धियों और समाजिक संवर्धन में योगदान और निष्ठा को मान्यता देते हुए प्रो. आदेश को "विश्व कवि" का अलंकार प्रदान करते हुए गर्व अनुभव करती है।" महाकवि आदेश अभी तक 160 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं और उनमें तीन महाकाव्य सम्मिलित हैं। वे आजकल चौथा महाकाव्य "दमयन्ती" लिखने में व्यस्त हैं। वे भारतीय सरकार द्वारा भी "प्रवासी भारतीय रत्न" और "प्रवासी हिन्दी भूषण" आदि अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किये जा चुके हैं।

इस उपाधि के साथ ही "द अमेरिकन बाइयोग्राफिकल इन्सटिच्यूट" ने 'विश्व कवि' को अपने अध्यक्षीय बोर्ड पर 'डिप्टी गवर्नर' के रूप में आजीवन नियुक्ति पत्र भी दिया। पत्र में अध्यक्ष महोदय ने लिखा –" समिति के पदाधिकारियों के मतानुसार आपकी योग्यता और उपलब्धियों को सार्वजनिक रूप से मान्यता देने की आवश्यकता अनुभव करते हुए समिति आपको इस पद पर नियुक्त करती है और साथ ही आशा करती है कि आप अपने अनुभव और योग्यता से अपने क्षेत्र में समिति को नेतृत्व प्रदान करेंगे। यदि आप इस नियुक्ति को अपनी सहमति दें तो आप की गणना विश्व के कुछ ऐसे चुने हुए व्यक्तियों में होगी जो कि इस समिति के पदाधिकारी हैं। आज के बाद आपको "डिप्टी गवर्नर" के नाम से संबोधित किया जायेगा।"

इस समिति का मुख्य उद्देश्य विश्व के ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करना है जिनकी दार्शनिकता और बुद्धिमत्ता मान्यता पाने की अधिकारी है।

इस समिति द्वारा उनकी रचनाओं का अध्ययन किया जाता है। कार्यकारिणी समिति और चयन समिति की सिफारिशों के आधारपर 15 लोगों का चुनाव होता है।  इस साल यह  बैठक अप्रैल माह में हुयी।  हर सदस्य को अपनी सिफारिशों के विषय में चयन समिति की बैठक में अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया जाता है।  काफी चर्चा के बाद मतदान द्वारा पुरस्कार विजेता का चुनाव किया जाता है।  यह प्रक्रिया हर पुरस्कार के लिये दोहरायी जाती है।

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