|  | यहाँ उसके घर में उसकी विधवा के सामने बैठकर मेरे भीतर 
						भावुकता उमड़ रही हैं। मुझे तकलीफ इस बात की ज्यादा है कि 
						उसकी मृत्यु की खबर मुझे इतनी देर से क्यों दी गयी और मैं 
						इस बात के लिए भाभी से शिकायत करना चाहता हूँ - अब यहाँ 
						आने के पीछे एक मकसद ये भी जरूर हैं।
 आखिर वह मेरा पुराना 
						और अज़ीज़ दोस्त था।
 मुझे अफसोस है कि मेरा वह बहुत प्यारा, बेहद अंतरंग दोस्त 
						अब नहीं रहा। मुझे इस बात का भी बेहद गम है कि उसकी पत्नी 
						और पांच साल का बेटा बेसहारा हो गए उ़न्होंने अपना पति और 
						पिता खो दिया। लेकिन सच बताऊँ तो इस मौत से मुझे कोई भारी 
						शॉक लगा - ऐसा भी नहीं। वैसे उसे कोई जानलेवा बीमारी नहीं 
						थी, वह उम्र के उस मुकाम पर भी नहीं पहुँचा था जहाँ लोग 
						मौत का इंतजार करते है। फिर भी
 
 हाँ, मैं विचलित जरूर हूँ। मौत तो मौत है और वह विचलित हर 
						उस शख्स को करती ही है जो मरने वाले से किसी न किसी तरह 
						जुड़ा हो। पर विचलित भी तो मैं लम्बे समय से हूँ। आखिर वह 
					मेरा पुराना और अज़ीज़ दोस्त था, तब का दोस्त जब वह बहुत 
					जिंद़ादिल हुआ करता था।
 
 हम एक ही स्कूल से निकल कर अलग अलग कॉलेजो में पहुँच चुके 
					थे पर उसके चटपटे-रंगीन-काले-सफेद चर्चों की खबरे मुझ तक 
					पहुँचा ही करती थी।
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