मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


परिक्रमा कनाडा कमान

 हिन्दी साहित्य सभा की वार्षिक सांस्कृतिक संध्या
सुमन कुमार घई

अभिषेक की नृत्य प्रस्तुति

अन्य वर्षों की तरह इस वर्ष भी १९ अक्तूबर, २००२ को हिन्दी साहित्य सभा द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरपूर संध्या का आयोजन  हुआ। यह कार्यक्रम नॉर्थ यॉर्क पुस्तकालय के सभागार में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि भारतीय कौंसलावास से श्री कृष्ण खेत्रपाल थे। डिप्टी कौंसलर श्री खेत्रपाल हिन्दी भाषा के विशेष प्रेमी हैं और भारतीय संस्कृति को उत्तरी अमेरीका में बढ़ाने में कार्यरत हैं। अपने अध्यक्षीय भाषण में हिन्दी भाषा को भारतीय संस्कृति का अटूट अंग बताया और कहा कि  भारतीय संस्कृति में जो विशेष स्थान विनम्रता और लज्जा का है वो संसार की किसी भी अन्य संस्कृति, विशेष रूप से उत्तरी अमेरीका की संस्कृति में नहीं है।सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले लॉबी में दर्शक और 'हिन्दी साहित्य सभा' के सदस्य एकत्रित हो कर अल्पाहार का आनन्द उठाया। वहीं एक ओर छोटी सी पुस्तक प्रदर्शनी भी की गई।

कार्यक्रम साढ़े सात बजे आरम्भ हुआ।  समारोह की अध्यक्षता श्री सुरेन्द्रनाथ तिवारी ने की। श्री सुरेन्द्रनाथ तिवारी न केवल विख्यात कवि और कहानीकार हैं बल्कि यू एस ए में 'अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति' के भूतपूर्व प्रधान भी हैं। जहाँ भी सम्भव होता है वे हिन्दी भाषा के प्रोत्साहन में व्यस्त रहते हैं।  कार्यक्रम के संचालन का भार टोरोंटों क्षेत्र की नयी पीढ़ी की कवियत्री डॉ. शैलजा सक्सेना को सौंपा गया। महाकवि प्रो. हरिशंकर आदेश अस्वस्थ होने के कारण इस संध्या में सम्मिलित नहीं हो सके।

श्रीमती अरूणा भटनागर (हिन्दी साहित्य सभा की अध्यक्षा) के स्वागतीय शब्दों के पश्चात इस कार्यक्रम की पद्धति के अनुसार, आरम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ।

श्री सुरेन्द्रनाथ तिवारी

उसके बाद डॉ. इन्द्रापाल ने गुरू नानक देव जी द्वारा रचित राम भजन का गायन प्रस्तुत किया। इस शास्त्रीय रचना की संगत डॉ. शिव पाल ने हारमोनियम और  श्री मनु पाल ने तबले पर की। ओटवा से हाल में आयी कुमारी जया प्रसाद ने भरतनाट्यम में अपने ही द्वारा रचित एक नृत्य प्रस्तुत किया। श्रीमती राज कश्यप ने हरियाणा के एक लोकगीत द्वारा कुँवारे रहने के लाभ बताए। श्री विकी वेंकटाचलम् ने राग यमन पर आधारित एक गीत सुनाया। तत्पशचात् श्रीमती सुभाषिनी खेत्रपाल और श्रीमती अंशु चक्कू ने कविता पाठ किया। इस सांस्कृतिक संध्या में सबका मन मोहने वाला था बाल नर्तक अभिषेक वेंकटाचलम। अभिषेक ने भरतनाट्यम में श्री कृष्ण की भूमिका में स्वरचित नृत्य किया। विशेष बात यह है कि अभिषेक की आयु केवल ९ वर्ष है और उसने अभी कुछ महीने पहले ही नृत्य सीखना आरम्भ किया है। इससे पहले श्री देवन्द्र मिश्रा ने अपना एक गीत प्रस्तुत किया।

कुमारी जया प्रसाद 

बंगाली कहानी पर आधारित अनशन शीर्षक नाटक 'हिन्दी साहित्य सभा' के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया गया। हिन्दी रूपांतर था श्री अमर मुखर्जी का और नाट्य रूपांतर श्रीमती आशा बर्मन तथा श्रीमती दीप्ती 'अचला' कुमार का। 'अनशन' की कथा एक ऐसे भारतीय अवकाश प्राप्त वृद्ध अध्यापक की थी जो कनाडा में बसे अपने पुत्र के यहां रहते हुए महसूस करते  हैं  कि वे वृद्ध व बेकार हैं तथा परिवार उनकी उपेक्षा करने लगा है। इस स्थिति से बचने का एक ही रास्ता है – अनशन! अध्यापक प्रकाश चन्द्र यह भूल जाते हैं कि उनके अनशन करने से परिवार पर क्या बीतेगी जो कि वास्तव में उनका सम्मान व उनसे प्रेम करता है। 

अनशन का एक दृश्य

जब उन्हें इस बात का अनुभव होता है तो अनशन स्वयमेव स्माप्त हो जाता है। पिता की भूमिका डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव ने निभाई। उनकी पत्नी की भूमिका में श्रीमती अरूणा भटनागर थीं। पुत्र का अभिनय श्री विजय विक्रान्त, बहू का श्रीमती आशा बर्मन और पौत्र का विनीत गुप्ता ने किया। सभी का अभिनय श्लाघा योग्य था परन्तु इस प्रस्तुति में डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव और श्रीमती अरूणा भटनागर का अभिनय छाया रहा, जो बहुत ही सजीव था। नाटक के पटाक्षेप के साथ ही इस स्मरणीय सांस्कृतिक संध्या की भी इति हुई। 'हिन्दी साहित्य सभा' इस सफल सांस्कृतिक संध्या के लिए बधाई की पात्र है। 

ग्रीष्म ऋतु की अन्य साहित्य गतिविधियाँ

टोरोंटों क्षेत्र में इस वर्ष की ग्रीष्म ऋतु की गतिविधयाँ कुछ इस प्रकार रहीं।

महाकवि प्रो. आदेश हरिशंकर बज्म–ए–अदब किचनर में–

६ सितम्बर, २००२– बज्म–ए–अदब, किचनर (ओंटेरीयो, कनाडा) द्वारा आयोजित मुशायरे में महाकवि प्रो. आदेश को मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया गया। उर्दू शायरी की यह साहित्य संस्था हर बार अपने सदस्यों को एक 'मिसरा' देती है जिसकी पूति करना सब शायरों के लिए अनिवार्य होता है। इस मुशायरे का आयोजन किचनर क्षेत्र के जाने माने शायर श्री यश 'शारद' द्वारा किया गया और उन्हीं के घर पर आयोजित इस मुशायरे में श्री भगवत शरण श्रीवास्तव, श्रीमती कामनी चव्हर, श्री महेश नन्दा और कई अन्य अनेक शायरों ने भाग लिया। महाकवि आदेश ने बड़े प्रभावशाली तरन्नुम में लोगों की मांग पर कई गज़लें पढ़ीं जो कि बहुत सराही गईं। उनकी गज़ल 'दर्द बदनाम है, मस्ती ने रूलाया मुझको' बहुत पसन्द की गयी।

कैम्ब्रिज, ओंटेरीयो (कनाडा) में विराट कवि गोष्ठी–

७ सितम्बर, २००२– कैम्ब्रिज में एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन प्रसिद्ध कवि श्री भगवत शरण श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कैरीबियन, कनाडा और अमेरीका में प्रसिद्ध महाकवि प्रो. हरि शंकर आदेश ने की। इस गोष्ठी का संचालन 'चेतना' के प्रधान सम्पादक और 'हिन्दी प्रचारणी सभा' के अध्यक्ष श्री श्याम त्रिपाठी ने किया। कवि गोष्ठी का आरम्भ महाकवि आदेश द्वारा रचित सरस्वती वन्दना से हुआ। इसको स्वर दिया श्री रमेश गोस्वामी ने और तबले पर संगत की श्रीमती इन्द्रा वर्मा ने। इस कवि गोष्ठी में श्रोताओं में उल्लेखनीय थे कनाडा के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. ओंकार प्रसाद द्विवेदी, श्रीमती निर्मला आदेश (चेतना की सह संपादिका), श्रीमती अरूणा भटनागर (हिन्दी साहित्य सभा की अध्यक्षा), श्रीमती सुरेखा त्रिपाठी ( चेतना की कोषाध्यक्ष)। 

इस गोष्ठी में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करने वाले थे, सर्व श्री डॉ.ब्रजराज किशोर कश्यप, राज महेश्वरी, सुरेन्द्र पाठक, विजय विक्रान्त, सुमन कुमार घेई, कैलाश भटनागर, यश 'शारद', महेश नन्दा, भगवत शरण श्रीवास्तव, श्याम त्रिपाठी तथा महाकवि प्रो. आदेश; सर्व श्रीमती डॉ.शैलजा सक्सेना, आशा बर्मन, स्नेह ठाकुर, इन्द्रा वर्मा, राजकुमारी, राज कश्यप, सरोज भटनागर तथा कामनी चव्हर आदि। गोष्ठी के आरम्भ में महाकवि आदेश ने कनाडा में हिन्दी कविता के उत्थान पर संतोष प्रकट किया परन्तु कहा कि हिन्दी साहित्य को समर्पित साहित्यकारों के अभाव पर अभी भी बना हुआ है। गोष्ठी के अन्त में गोष्ठी की सफलता के लिए श्री भगवत शरण श्रीवास्तव ने सभी को धन्यवाद दिया और स्वादिष्ट भोजन के साथ ही यह स्मरणीय कार्यक्रम समाप्त हुआ।

भारत के प्रधान कौंसलावास में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन–

२२ सितम्बर, २००२– टोरोंटो में भारत के प्रधान कौंसलावास के हॉल में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि भारत के प्रधान कौंस जरनल श्री दिव्याभ मनचन्दा थे। सम्मेलन के संचालन का भार श्रीमती स्नेह ठाकुर और श्री संदीप त्यागी ने सम्भाला और अध्यक्षा थीं श्रीमती कान्ता अरोड़ा। कवि सम्मेलन का आरम्भ सरस्वती वंदना से हुआ, जिसकी संस्कृत में रचना और प्रस्तुतीकरण डॉ. रत्नाकर नराले ने किया। सम्मेलन बहुभाषीय था और इसमें लगभग २४ कवियों ने भाग लिया।तीन घंटे के काव्य पाठ के पश्चात अल्पाहार के साथ सम्मेलन का सफल समापन हुआ।

इन्टरनेशनल सीनियरज़ क्लब द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन–

२९ सितम्बर २००२– टोरोंटो के डॉन मिल्स कम्युनिटी सेन्टर में इन्टनेशनल सीनियर क्लब द्वारा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। डॉ. ब्रजराज किशोर इस सम्मेलन के आयोजक और सफल संचालक थे। महाकवि आदेश को मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया गया। डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव ने अध्यक्ष का पद भार सम्भाला।

सम्मेलन का आरम्भ सितार और तबला वादन से हुआ। सम्मेलन में हिन्दी साहित्य सभा के कवियों के अतिरिक्त सीनियरज़ क्लब के बहुभाषी कवियों ने भी अपनी रचनायें प्रस्तुत कीं। सम्मेलन लगभग दो घन्टे चला और अन्त में सीनियरज़ क्लब द्वारा अल्पाहार का भी प्रबन्ध था।

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।