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लेखकों से
१. ११. २०२०

इस माह-

अनुभूति में-
दीप और दीपावली के पर्व पर केंद्रित विभिन्न विधाओं में विविध रचनाकारों की अनेक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- दीपावली के अवसर हमारी रसोई संपादक शुचि लिये विशेष रूप से मेहमानों के लिये प्रस्तुत कर रही हैं- मिठाइयाँ और नमकीन

स्वास्थ्य के अंतर्गत- दिल की आवाज सुनो- बारह उपाय जो रखें आपके दिल की सेहत को दुरुस्त- ११- मद्यपान कितना सुरक्षित।

बागबानी- आयुर्वेद की दृष्टि से उपयोगी बारह पौधे जो हर घर में उगाए जा सकते हैं। इस अंक में प्रस्तुत है- ११- मेंहदी का पौधा।

बचपन की आहट- शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु- तैंतालीस से अड़तालीस सप्ताह तक

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (नवंबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- डॉ.राजेन्द्र गौतम की  कलम  से  बाबूराम शुक्ल  के  नवगीत संग्रह- संवेदन के मृगशावक का परिचय। 
वर्ग पहेली- ३३१
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति के अंतर्गत- 

समकालीन कहानियों में संयुक्त राज्य अमेरिका से
अनिल प्रभा कुमार की कहानी बस पाँच मिनट

"वह नाच रही थी। देह जैसे तूलिका। मंच के कैनवास पर कलाकृति उकेरती हुई। देह-यष्टि की भंगिमाएँ, हाथों की मुद्राएँ और आँखों के भाव, सब रंग भर रहे थे कल्पना के इस सुंदर चित्र में। थिरकती जा रही थी वह। पाँव जैसे रंगों के कटोरों को हल्का सा टोहका लगाकर वातावरण में जादुई-सा इंद्र-धनुष रचते। दर्शकों को वह देख नहीं पाती। उन पर अँधेरा और उस पर छेड़खानी करता उजाले का गोला। वह आत्मलीन-सी नाचती रही। देह-आत्मा सब एक। दर्शक भी बँधे थे। मंत्र-बिद्ध या नृत्य-बिद्ध। शायद सौंदर्य-बिद्ध। समय कहीं बहक गया। होश आया तब, जब दोनों हाथ जोड़ वह अभिवादन के लिए झुकी। तालियों की गड़गड़ाहट। वह भीगती रही उस पल में जो उसका था। पर्दा गिर गया। तालियाँ बजती रहीं। वह धीरे से ग्रीन-रूम की ओर बढ़ी। कोने में वह खड़ा था। टकटकी लगाकर उसे देखता, मुस्कुराता हुआ। वह भी मुस्कुरा दी।... आगे...
*

नरेन्द्र कोहली का
व्यंग्य- अड़ी हुई टाँग
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श्रीराम परिहार का
ललित निबंध- कौन तम के पार
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संस्कृति में रमा चक्रवर्ती से सुनें
झाड़ू देवी की कथा
 
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पूर्णिमा वर्मन का
पुनर्पाठ- दीप ज्योति नमस्तुते

विशेषांक में अन्य लेख-

लेख

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रामगाथा और दंडकारण्य

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दीपदान का लोकपर्व

हास्य-व्यंग्य

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लक्ष्मी तुम ऐसे क्यों आईं

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दगे पटाखों की महक

कहानियाँ-

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दिये की लौ

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उसकी दीवाली

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चयन

ललित निबंध 

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कार्तिक हे सखि पुण्य महीना

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ज्योतिपर्व की जय

पर्व परिचय

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गोवर्धन और अन्नकूट

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दीपोत्सव के प्रारंभ का इतिहास

लघुकथा

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शुभकामनाएँ एक चिंतन

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दीपों की बातें

फुलवारी में बच्चों के लिए

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रंग भरने के लिए दीपावली का सुंदर चित्र

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बना कर देखें- काग़ज़ की कंदील और बंदनवार

दृष्टिकोण 

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तुलसी कथा रघुनाथ की

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी