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१८. ११. २०१३

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
देवेन्द्र सफल, चंद्रभान भारद्वाज, मधुर त्यागी, शशि पुरवार और अंजल प्रकाश की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा त्यौहारों के अवसर पर अतिथि सत्कार और प्रीतिभोज के लिये के लिये प्रस्तुत हैं रोटियाँ और पराठे

रूप-पुराना-रंग नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें पुरानी हो जाने पर फिर से सहेजें रूप बदलकर- पुराने स्ट्रा का नया उपयोग

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- कैमरा

- रचना और मनोरंजन में

नवगीत की पाठशाला में- नई कार्यशाला नया साल, नया जीवन, नया उत्साह आदि नये पन पर आधारित होगी। तिथि की प्रतीक्षा करें।

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- इस सप्ताह प्रस्तुत है इस सप्ताह प्रस्तुत है ९ जून २००६ को प्रकाशित सुषमा जगमोहन की कहानी— 'शहादत'।

वर्ग पहेली-१६०
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में सूरीनाम से
भारतेन्दु मिश्र की कहानी काकरोचों की दुनिया

जीवनलाल ठीक समय पर आफिस पहुँचा उसकी मेज चमक रही थी चपरासी घनश्याम ने हमेशा की तरह एक ग्लास पानी जीवनलाल की मेज पर रख दिया पानी पीकर उसने घनश्याम को चाय के लिए आर्डर दिया घनश्याम गया तो वह अपनी मस्ती में गाने लगा "मैंने चाँद और सितारों से मोहब्बत की थी ..." इसी बीच फोन की घंटी बजी-
'हैलो ...कौन?'
'मैं जीवनलाल बोल रहा हूँ...आप?'
'मैं सतपाल...।'
'और सुना भाई?'
'मेरी छोड़ तू सुना ...तेरी ब्रांच में ने जे.डी. की पोस्टिंग हो गयी?'
'सुना तो है यार मगर आर्डर नहीं देखा।'
'आई.पी.शर्मा के आर्डर हुए हैं..आज ज्वाइन करेगा, ...महिलालु है साला ज़रा ध्यान रखना कायदे कानून का पक्का है मगर लंगोटे का कच्चा है...कॉफी का शौकीन है।'
'यार महिलालु क्या होता है?'
अरे, जैसे दयालु, कृपालु वैसे ही महिलाओं के चक्कर में रहने वाले को महिलालु कहते हैं।'... आगे-

*

प्रेरक प्रसंग
चावल और अंगूर
*

संतोष सिंह का आलेख
सरस धारा सरस्वती
*

डॉ. उदयवाल से स्वास्थ्य चर्चा
सर्दियों का स्वाद सरसों का साग
*

पुनर्पाठ में- डॉ. गुरुदयाल प्रदीप से जानें
रोबोट और अंतरिक्ष की खोज

*

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पिछले सप्ताह-


हरीश नवल का व्यंग्य
छपती का नाम कहानी
*

अवधेश मिश्र की कलम से श्रद्धांजलि
लखनऊ वाश और बद्रीनाथ आर्

*

प्रो. हरिमोहन का आलेख
उत्तरांचल का लोक नाट्य पांडवनृत्य
*

पुनर्पाठ में- सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक
का आलेख- करुणा की मूर्ति महादेवी

*

समकालीन कहानियों में सूरीनाम से
नीलमणि शर्मा की कहानी ड्रैसिंग टेबल

“आ गया सारा सामान श्यामली का! कुछ छूटा तो नहीं !” .....शांतनु ने अपने बेटे से पूछा।
’’जी पापा... सब कुछ ले आया हूँ... माँ की विदाई में कोई कमी नहीं रहने देंगे!...आखिर माँ को जीते-जी जब कोई कमी नहीं होने दी...तो अब भला अंतिम यात्रा में क्यों रहे...!‘‘ सिद्धार्थ सुबकते हुए अपने पापा के गले लग गया।
उसकी पीठ पर सांत्वना भरा हाथ फेरते हुए शांतनु ने फिर पूछा-’’ड्रैसिंग टेबल कहाँ है...बाहर रखी है क्या....?‘‘
सिद्धार्थ बार-बार अपने आँसू पोंछता। फिर बह आते....अपने आँसुओं के बाँध को रोकने की असफल कोशिश करते हुए सिद्धार्थ ने बताया-‘‘पापा, ड्रैसिंग टेबल तो नहीं लाया....!’’
अपराधी-सा महसूस करता सिद्धार्थ अभी अपने बचाव में कुछ कहता कि अंदर औरतों की भीड़ में से उसकी दादी बाहर आ गई-‘‘मति भरष्ट हो गई दीखे तेरी, जो छोरे को डाँट रया है ऐसे बखत में....मैंने मना करी थी डिरेसिंग टेबल लाने को...भला क्या याँ शादी-बिया हो रया है जो तू डिरेसिंग टेबल... आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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