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अभिव्यक्ति हिंदी पुरस्कार- २०१२ //  तुक कोश  //  शब्दकोश //
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१७. १२. २०१२

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
डॉ. मुकेश श्रीवास्तव अनुरागी, कुमार विनोद, लालित्य ललित, अशोक रक्ताले और लावण्या शाह की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- पर्वों के दिन शुरू हो गए हैं और दावतों की तैयारियाँ भी। इस अवसर के लिये विशेष शृंखला में शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- साग पनीर।

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु- क्रिसमस की तैयारी

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- संगीत की धुन

- रचना और मनोरंजन में

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला- २५ की रचनाओँ का प्रकाशन प्रारंभ हो गया है। रचनाएँ अभी भी भेजी जा सकती हैं।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है पुराने अंकों से १६ दिसंबर २००५ को  प्रकाशित राजेन्द्र सिंह बेदी की कहानी— "गर्म कोट"।

वर्ग पहेली-११२
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
          कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में भारत से
मधुलता अरोरा की कहानी- फोन का बिल

शानू को आज तक समझ में नहीं आया कि फोन का बिल देखकर कमल की पेशानी पर बल क्यों पड़ जाते हैं? सुबह-शाम कुछ नहीं देखते। शानू के मूड की परवाह नहीं। उन्हें बस अपनी बात कहने से मतलब है। शानू का मूड खराब होता है तो होता रहे। आज भी तो सुबह की ही बात है। शानू चाय ही बना रही थी कि कमल ने टेलीफोन का बिल शानू को दिखाते हुए पूछा, ‘शानू! यह सब क्या है?’शानू ने बालों में क्लिप लगाते हुए कहा, ‘शायद टेलीफोन का बिल है। क्या हुआ?’ कमल ने झुँझलाते हुए कहा, ‘यह तो मुझे पता है और दिख भी रहा है, पर कितने हज़ार रुपयों का है, सुनोगी तो दिन में तारे नज़र आने लगेंगे।‘ शानू ने माहौल को हल्का बनाते हुए कहा, ‘वाह! कमल, कितना अजूबा होगा न कि तारे तो रात को दिखाई देते हैं, दिन में दिखाई देंगे तो अपन तो टिकट लगा देंगे अपने घर में दिन में तारे दिखाने के।‘ कमल बोले, ‘मज़ाक छोड़ो, पूरे पाँच हज़ार का बिल आया है। फोन का इतना बिल हर महीने भरेंगे तो... आगे-
*

शिल्पा अग्रवाल का व्यंग्य
तेनालीराम से साक्षात्कार
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डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ’यायावर‘ का रचना प्रसंग
समकालीन नवगीत में नवीन छन्

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दिनकर कुमार से रंगमंच में
भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा): जन्म और विकास
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पुनर्पाठ में- प्रभात कुमार से जानकारी
पर्यावरण प्रदूषण एवं आकस्मिक संकट

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पिछले-सप्ताह-


दीपक मशाल की लघुकथा
शक्तिशाली
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कादम्बरी मेहरा का यात्रा विवरण
खदानों के शहर की अमर प्रेम कहानी

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डॉ. अशोक उदयवाल से जानें
सर्दियों में स्वास्थ्यवर्धक फूलगोभी
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पुनर्पाठ में- डॉ. गुरुदयाल प्रदाप से विज्ञानवार्ता
स्टेम कोशिकाओं में छिपा मानव कल्याण

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समकालीन कहानियों में भारत से
राकेश कुमार सिंह की कहानी- समुद्रपाखी

क्योंकि शादी का मतलब होता है एक अदद बीबी, बीबी के बाद बच्चे, दोनों का योग होता है परिवार और इन सबका जमा मतलब होता है जिम्मेवारियाँ...। याने जिन्दगी में एक ठहराव, और्र फिर आदमी की रोमांचप्रिय प्रकृति का स्वर्गवास...।
अजहर अपनी कल्पना ऐसे व्यक्ति के रूप में कभी नहीं कर पाता था जो बुडापेस्ट के ’कैसीना’ (जुआघर) में ऊँचे दाँव लगाने की बजाय उस रकम से अपने जीवन-बीमे की किस्तें भरने के बारे में सोच रहा हो या फिर वेनिस के किसी उम्दा ’बार’ में बेहतरीन शराब खरीदने की बजाय उन पैसों की पाई-पाई भविष्य के, लिये जोड़ रहा हो। परन्तु शादी के बारे में उसके ख्यालात बदल चुके थे। वह नम समुद्री हवा की महक से भरी सर्द शाम थी। सितारों के बूटों जडा साफ-शफ्फाक नौ दिसंबर उन्नीस सौ छियानवे का आसमान था, जब ‘ग्लोब शिपिंग कारपोरेशन’ का यात्रीवाहक जहाज ‘सी-बर्ड’ रंगून, जार्जटाउन... आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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