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अभिव्यक्ति हिंदी पुरस्कार- २०१२ //  तुक कोश  //  शब्दकोश //
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१३. . २०१२

इस सप्ताह- स्वाधीनता दिवस विशेषांक में

अनुभूति में-
विभिन्न रचनाकारों की विभिन्न विधाओं में लिखी गई देश भक्ति की भावना को समर्पित ढेर-सी रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- अंतर्जाल पर सबसे लोकप्रिय भारतीय पाक-विशेषज्ञ शेफ-शुचि के रसोईघर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा सैंडविच

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु- दूध से अरुचि

रक्षक फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित
देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता
"गौरवगाथा २०१२" में हिस्सा लें।
अधिक जानकारी - गौरवगाथा फ़ेसबुक पर

भारत के अमर शहीदों की गाथाएँ- स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रारंभ इस पाक्षिक शृंखला के अंतर्गत- इस अंक में पढें खुदीराम बोस की अमर कहानी।

- रचना और मनोरंजन में

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें।

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला-२२ - में प्रकाशित नवगीतों पर समीक्षा प्रकाशित हो गई है। नए विषय की घोषणा सितंबर के प्रथम सप्ताह में होगी।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है- १५ अगस्त २००४ के अंक में प्रकाशित भीष्म साहनी की कहानी- झूमर

वर्ग पहेली-०९४
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-


समकालीन कहानियों में भारत से
मनोहर पुरी की कहानी एक रास्ता और

खुदाबख्श बहुत ही चिन्तित था। अचानक यह क्या हो गया? बड़े मजे की जिन्दगी चल रही थी। आज तक किसी ने उसकी ओर ऊँगली तक नहीं उठाई थी। अब अचानक क्या हो गया? क्यों हो गया? सोच सोच कर वह परेशान था। उसके विचारों के तार इस एक क्यों पर आ कर अटक जाते और वह अपने हाथ में पकड़े आदेश पत्र को फिर से देखने लगता । उसमें साफ साफ उसके तबादले के बारे में लिखा था। उसे यहाँ से बदल कर किसी बड़े रेलवे स्टेशन पर भेजा जा रहा था। उसके स्थान पर कोई और होता तो प्रसन्नता से नाच उठता। खुदाबख्श केबिन मैन के रूप में पिछले दस सालों से यहीं टिका हुआ था। यह रेलवे क्रासिंग शहर के पास ही पड़ता था। शहर से राज मार्ग तक आने जाने का यह एक मात्र रास्ता था। मुख्य रेल लाइन पर होने के कारण दिन भर यहाँ से रेलगाड़ियाँ आती जाती रहतीं थीं। उसका पूरा दिन रेल लाइन के बैरियर को उठाने गिराने में व्यतीत होता था। विस्तार से पढ़ें
*

हरिशंकर परसाईं का व्यंग्य
खोज एक देशभक्त कवि की
*

सुरेश अग्निहोत्री का आलेख-
बुंदेल केसरी छत्रसाल

*

शशि पाधा का संस्मरण
राष्ट्रनेता के नाम पत्र
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पुनर्पाठ में दीपिका जोशी का
संस्मरण- जादू की खिड़की से सच की दुनिया में

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पिछले-सप्ताह-


संजीव सलिल की
लघुकथा- मोहन भोग
*

बीनू भटनागर का आलेख-
राष्ट्रकवि की काव्य साधना

*

डॉ. उषा गोस्वामी की कलम से
संस्कृत भाषा और साहित्य का महत्त्व
*

पुनर्पाठ में रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति का
संस्मरण- मनोहर श्याम जोशी

*

समकालीन कहानियों में भारत से
पुष्पा सक्सेना की कहानी अनाम रिश्ता

“ये पोटली बाँध कर कहाँ चलीं, माँजी?”जस्सी के घर से बाहर जाने के उपक्रम पर निम्मो बहू ने आवाज़ लगाई।
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“आज सरसों का साग पकाया था, भाई जी को बहुत अच्छा लगता है। थोड़ा सा साग और चार मकई की रोटी ले जा रही हूँ।“ जस्सी ने धीमी आवाज़ में कहा।
“बहुत सेवा कर ली भाई जी की, अच्छा हो उन्हीं के घर रहकर उनकी पूरी देखभाल कर लीजिए।“
“ये क्या कह रही है, निम्मो, अपना घर छोड़ कर उनके घर जा कर रहूँ? विस्मित जस्सी समझ नहीं पाई, निम्मो क्या कहना चाहती थी।
“ठीक ही तो कह रही हूँ, अपने बेटे के समझाने पर भी बात समझ में नहीं आती। ये रोज़-रोज़ भाई जी के घर के चक्कर लगाने पर मुहल्ले-पड़ोसी कितनी बातें बना रहे हैं। कुछ तो अपने बेटे की इज्ज़त का ख्याल कीजिए। क्यों हमारी नाक कटाने पर तुली हैं?”
विस्तार से पढ़ें

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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