मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है
यू.एस.ए. से पुष्पा सक्सेना की कहानी— अनाम रिश्ता


“ये पोटली बाँध कर कहाँ चलीं, माँजी?”जस्सी के घर से बाहर जाने के उपक्रम पर निम्मो बहू ने आवाज़ लगाई।
1
“आज सरसों का साग पकाया था, भाई जी को बहुत अच्छा लगता है। थोड़ा सा साग और चार मकई की रोटी ले जा रही हूँ।“ जस्सी ने धीमी आवाज़ में कहा।
1
“बहुत सेवा कर ली भाई जी की, अच्छा हो उन्हीं के घर रहकर उनकी पूरी देखभाल कर लीजिए।“
1
“ये क्या कह रही है, निम्मो, अपना घर छोड़ कर उनके घर जा कर रहूँ? विस्मित जस्सी समझ नहीं पाई, निम्मो क्या कहना चाहती थी।
1
“ठीक ही तो कह रही हूँ, अपने बेटे के समझाने पर भी बात समझ में नहीं आती। ये रोज़-रोज़ भाई जी के घर के चक्कर लगाने पर मुहल्ले-पड़ोसी कितनी बातें बना रहे हैं। कुछ तो अपने बेटे की इज्ज़त का ख्याल कीजिए। क्यों हमारी नाक कटाने पर तुली हैं?”
1
“किन मुहल्ले वालों की बात कर रही है, निम्मो? मेहर की मौत के बाद कहाँ थे ये मुहल्ले वाले? अकेली जान को अगर भाई जी और अमिया ने सहारा न दिया होता तो मेरे साथ दो नन्हे बच्चों को मेरी विधवा माँ क्या सम्हाल पाती?”

पृष्ठ : . .

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।