इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
भारत भूषण, आदम गोंडवी,
अनिल मिस्त्री, रामेश्वर कांबोज हिमांशु,
और घनश्याम तिवारी की रचनाएँ। |
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साहित्य एवं
संस्कृति में- |
1
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी-
परिचय की खोज
मेरी भारत
यात्रा के दौरान अक्सर अजय भनोट जालंधर में अपने घर पर गोष्ठी
रख लेते हैं। उनकी गोष्ठियों में पुराने मित्रों से मिलना हो
जाता है और नए उभरते रचनाकारों से परिचय। इस बार भी बहुत सी नई
प्रतिभाओं से मिलना हुआ। उभरते उपन्यासकार मयंक भारती को देख
कर लगा कि इसे पहले कहीं देखा है। पूरी गोष्ठी में याद नहीं
आया कि उसे कहाँ देखा है..बहुत सोचती रही। गोष्ठी की समाप्ति
उपरांत वह मेरे पास आकर बोला, ''मैडम, पूरी गोष्ठी मैंने महसूस
किया कि आप बार- बार मुझे देख रही थीं, जिस चेहरे को आप मेरे
चेहरे में ढूँढ रही हैं...मैं उन्हीं का बेटा हूँ...अंत तक वे
अपनी कहानी का इंतज़ार करती रहीं, आप ने भी औरों की तरह उनका
विश्वास नहीं किया। इसी बात का दुःख उन्हें मरते दम तक रहा। वे
आप को दूसरों से भिन्न समझती थीं। मरने से पहले वे मुझे अपने
बारे में और आप के बारे में सब कुछ बता गईं।'' यह कह कर मयंक
तो चला गया।
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समीर लाल का व्यंग्य
कड़वा वाला हनी
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आज सिरहाने- विमलेश कुमार त्रिपाठी
का कविता संग्रह-
हम बचे रहेंगे
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दिवंगत गीतकार को श्रद्धांजलि
गीतों के चितेरे भारत भूषण
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पुनर्पाठ में- अंबरीश मिश्र का
संस्मरण- सुनंदा भाभी |
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पिछले सप्ताह- |
1
शरद तैलंग की लघुकथा
कंबल
*
विजय कुमार से सामयिकी में
शिक्षा वहाँ राजनीति यहाँ
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इंदिरा गोस्वामी की लेखनी से
मैं और मेरा लेखन
*
पुनर्पाठ में- पर्यटक के साथ देखें
स्पानी स्थापत्य का सौंदर्य मैड्रिड
*
समकालीन कहानियों में भारत से
मनमोहन सरल की कहानी-
जमी हुई झील
हमारी कैब को
चेक पोस्ट पर रोक दिया गया। मैंने तो समझा था कि यह महज
औपचारिकता भर होगी। पासपोर्ट, विसा वगैरह जाँच कर जाने दिया
जायेगा। सिक्योरिटी पर बेहद लम्बी और बेहद स्मार्ट औरत थी।
उसने मेरा पासपोर्ट तो तुरंत लौटा दिया पर कैट का पासपोर्ट
अपनी कठोर मुट्ठी में दबा कर उसे कार से उतरने को कहा। कैट,
यानी कैथरीन, के पासपोर्ट में तकनीकी आपत्ति थी। वह डाइवोर्सी
थी और पासपोर्ट में अभी तक उसके पूर्व पति का नाम काटा नहीं
गया था। पूर्व पति अमेरिकी था पर साथ में मुझे देख कर उस ऑफिसर
ने मान लिया था कि मैं कैट का पति हूँ। उस जिद्दी ऑफिसर को यह
समझाने में हमें काफी मशक्कत करनी पडी़ कि हम दोनों का रिश्ता
क्या है। पर आखीर में वह समझ गई और हम दोनों पर शरारती मुस्कान
फेंक कर बोली, 'ओके, एनज्वाय योरसेल्फ!' वहाँ से चलने के बाद
और होटल के रास्ते तक...
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