-
दमे के लिये
तुलसी और वासा
दमे के रोगियों को तुलसी की १० पत्तियों के साथ वासा
(अडूसा या वासक) का २५० मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा
बनाकर दें। लगभग २१ दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ
जाता है।
१९
दिसंबर २०११
-
अरुचि
के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल
दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह
ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर
खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।
१२
दिसंबर २०११
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मौसमी
खाँसी के लिये सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग
पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने
लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल
लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा
नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी,
विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को
सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता
है।
५
दिसंबर २०११
-
बदन के दर्द
में कपूर और सरसों का तेल
१० ग्राम कपूर, २०० ग्राम सरसों का तेल - दोनों को शीशी
में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब
दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की
मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और,
माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
२८
नवंबर २०११
-
बैठे हुए
गले के लिये मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को
पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता
है। या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर
कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रखकर जाएँ।
प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में
भी आराम आ जाता है।
२१
नवंबर २०११
-
फटे हाथ
पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन
सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ
मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और
खुश्की दूर हो जाती है।
१४
नवंबर २०११
-
सर्दी बुखार
और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी-
तुलसी की २१ पत्तियाँ
स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर
चटनी की भाँति पीस लें और १० से ३० ग्राम मीठे दही में
मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा
न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें।
छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर
दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट
लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं।
७
नवंबर २०११
-
मुँह और गले
के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा
चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी
दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की
ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।
३१
अक्तूबर २०११
-
जोड़ों के
दर्द के लिये बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों
का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है।
इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली
पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो
घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।
२४
अक्तूबर २०११
-
अधिक क्रोध
के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंद
बहुत क्रोध आता हो तो सुबह
आँवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन खाएँ और शाम को गुलकंद एक
चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें। क्रोध आना शांत हो जाएगा।
१७
अक्तूबर २०११
-
पेट में
कीड़ों के लिये अजवायन और नमक
आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में
स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल
से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होते हैं। बडों के
लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना
चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी
के साथ लेना चाहिये।
१०
अक्तूबर २०११
-
घुटनों में
दर्द के लिये अखरोट
सवेरे खाली पेट तीन या चार
अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो
जाता है।
३
अक्तूबर २०११
-
पेट में
वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन-
पेट में वायु बनने की अवस्था
में भोजन के बाद १२५ ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम
अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस
मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन
के पश्चात लें।
२६ सितंबर २०११
-
काले धब्बों
के लिये नीबू और नारियल का तेल
चेहरे व कोहनी पर काले धब्बे दूर करने के लिये आधा चम्मच
नारियल के तेल में आधे नीबू का रस निचोड़ें और त्वचा पर
रगड़ें, फिर गुनगुने पानी से धो लें।
१९ सितंबर २०११
-
शारीरिक
दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनी
दो
ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से
शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर स्वस्थ हो जाता है।
दो ग्राम दालचीनी के स्थान पर एक ग्राम जायफल का चूर्ण भी
लिया जा सकता है।
१२
सितंबर २०११
-
मसूढ़ों की
सूजन के लिये अजवायन
मसूढ़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें
पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन में आराम आ जाता है।
५
सितंबर २०११
-
हृदय रोग में आँवले का मुरब्बा
आँवले का मुरब्बा दिन में तीन बार सेवन करने
से यह दिल की कमजोरी, धड़कन का असामान्य होना तथा दिल के रोग में अत्यंत लाभ
होता है, साथ ही पित्त, ज्वर, उल्टी,
जलन आदि में भी आराम मिलता है।
२९
अगस्त २०११
-
हकलाना या तुतलाना दूर करने के
लिये दूध और काली मिर्च
हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये
१० ग्राम दूध में २५० ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख
लें। २-२ ग्राम चूर्ण दिन में दो बार मक्खन के साथ मिलाकर
खाएँ।
२२
अगस्त २०११
-
श्वास रोगों के लिये दूध और पीपल
एक पाव दूध में ५
पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने
से साँस की नली के रोग जैसे खाँसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की
कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं।
१५
अगस्त २०११
-
अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़।
रात में नींद न आती
हो तो मलाई में गुड़ मिलाकर खाएँ और पानी पी लें। थोड़ी
देर में नींद आ जाएगी।
८
अगस्त २०११
-
कमजोरी को
दूर करने का सरल उपाय
एक-एक चम्मच अदरक व
आंवले के रस को दो कप पानी में उबाल कर छान लें। इसे दिन
में तीन बार पियें। स्वाद के लिये काला नमक या शहद मिलाएँ।
१
अगस्त २०११
-
पेट के रोग
दूर करने के लिये मट्ठा
मट्ठे में काला नमक
और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा
पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। यह
बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये।
२५ जुलाई २०११
-
घमौरियों के
लिये मुल्तानी मिट्टी
घमौरियों पर मुल्तानी
मिट्टी में पानी मिलाकर लगाने से रात भर में आराम आ जाता
है।
१८ जुलाई २०११
-
खुजली की घरेलू दवा
फटकरी के पानी से
खुजली की जगह धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल
मिलाकर लगाएँ लाभ होगा।
११
जुलाई २०११
-
मुहाँसों के लिये संतरे के छिलके
संतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी
ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से ५ मिनट तक रोज संतरों के
छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के
धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है।
४
जुलाई २०११
-
बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भाप
एक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और
उसकी भाप में साँस लें। कुछ ही मिनटों में आराम मालूम
होगा।
२७ जून २०११
-
चर्मरोग के लिये टेसू और नीबू
टेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के
रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता
है।
२० जून २०११
-
माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूध
एक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी
के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार
रहें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा।
१३ जून २०११
-
गले
में खराश के लिये जीरा
एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक
डालें ५ मिनट तक उबलने दें। इसे ठंडा होने दें। हल्का
गुनगुना दिन में दो बार पियें। गले की खराश और सर्दी दोनों
में लाभ होगा।
६ जून २०११
-
सर्दी
जुकाम के लिये दालचीनी और शहद
एक ग्राम पिसी दालचीनी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर
खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
३०
मई २०११
-
टांसिल्स के
लिये हल्दी और दूध
एक प्याला (२०० मिलीली.) दूध
में आधा छोटा चम्मच (२ ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें।
छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने
पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के
बात मुँह साफ करना चाहिये लेकिन कुछ खाना पीना नहीं
चाहिये।
२३
मई २०११
-
मधुमेह के
लिये आँवला और करेला
एक प्याला करेले के रस में
एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिलाकर रोज पीने से दो महीने
में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है।
१६
मई २०११
-
मधुमेह के लिये कालीचाय-
मधुमेह में सुबह खाली पेट एक प्याला काली चाय
स्वास्थ्यवर्धक होती है। चाय में चीनी दूध या नीबू नहीं
मिलाना चाहिये। यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को लाभ पहुँचाती
है जिससे मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है।
९
मई २०११
-
माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब-
सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक
सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा।
२
मई २०११
-
अपच
के लिये चटनी-
खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूक न लगना इनमें से
किसी चीज से परेशान हैं तो सिरके में प्याज और अदरक पीस कर
चटनी बनाएँ इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक
प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा।
२५
अप्रैल २०११
-
उच्च
रक्तचाप के लिये मेथी
सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से
उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है।
१८
अप्रैल २०११
-
कोलेस्ट्राल
पर नियंत्रण सुपारी से
भोजन के बाद कच्ची सुपारी २० से ४० मिनट तक चबाएँ फिर मुँह
साफ़ कर लें। सुपारी का रस लार के साथ मिलकर रक्त को पतला
करने जैसा काम करता है। जिससे कोलेस्ट्राल में गिरावट आती
है और रक्तचाप भी कम हो जाता है।
११
अप्रैल २०११
-
जलन की चिकित्सा चावल से
कच्चे चावल के ८-१० दाने
सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। २१ दिन तक नियमित ऐसा
करने से पेट और सीन की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह
पूरी तरह ठीक हो जाएगी।
४
अप्रैल २०११
-
दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोग
तिल को पानी में ४ घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी से
मुँह को भरें और १० मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी
तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने
वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है।
२८
मार्च २०११
-
विष से
मुक्ति
१०-१० ग्राम
हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा ५ ग्राम देसी घी अच्छी तरह
मिला लें। इसे खाने से कुत्ते, साँप, बिच्छु, मेढक,
गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष उतर जाता है।
१४ मार्च
२०११
-
स्वस्थ
त्वचा का घरेलू नुस्खा
नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस
लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना
लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और ५ मिनट बाद
नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों,
फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है।
७
मार्च २०११
-
ल्यूकोरिया
से मुक्ति
ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी, चिडचिडापन, के साथ चेहरे की
चमक उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक
पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के
साथ खा जाएँ ११-१२ दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग
को २१ दिनों तक जारी रखना चाहिए।
२८
फरवरी २०११
-
खाँसी में
प्याज
अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर
रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा
दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम
मिलता है।
२१
फरवरी २०११
-
पेट
साफ रखे अमरूद-
कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार
बजे कम से कम २०० ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाएँ, फायदा
अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। १० दिन लगातार खाने से
पुराने कब्ज में लाभ होगा। बाद में जब आवश्यकता महसूस हो
तब खाएँ।
१४
फरवरी २०११
-
बीज
पपीते के स्वास्थ्य हमारा
पके पपीते के बीजों को खूब
चबा-चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को
सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक
बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेन पर अनेक प्रकार के
रोगाणुओं से रक्षा होती है।
७
फरवरी २०११
-
मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये-
मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार
में भी मिल जाती है। पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण
अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चाय का चम्मच
पानी से निगल जाएँ। यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की शक्ति भी
बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा
अधिक पानी के साथ लेना चाहिये।
३१ जनवरी २०११
-
भोजन से
पहले अदरक-
भोजन करने से दस मिनट
पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर
[थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लें। दिन में
दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय
मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी
नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी।
२४ जनवरी २०११
-
मुहाँसों से
मुक्ति-
जायफल, काली मिर्च और
लाल चन्दन तीनो का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें।
रोज सोने से पहले २-३ चुटकी भर के पावडर हथेली पर लेकर
उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और
फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी
से चेहरा धो लें। १५ दिन तक यह काम करें। इसी के साथ
प्रतिदिन २५० ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और
अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। १५- २० दिन में
मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी।
१७ जनवरी २०११
-
सरसों का तेल केवल पाँच दिन-
रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद सरसों
का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी-सर्दी और साँस
की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद
हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन
मालूम होगा।
१० जनवरी
२०११
-
अजवायन
का साप्ताहिक प्रयोग-
सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन
मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यह सर्दी,
खाँसी, जुकाम, बदनदर्द, कमर-दर्द, पेटदर्द, कब्जियत और
घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। १० साल से नीचे के बच्चों को
आधा चम्मच २ ग्राम और १० से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी ५
ग्राम लेना चाहिए।
३ जनवरी
२०११