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116.  12.  2006 

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पिछले सप्ताह
1
हास्य व्यंग्य में
डॉ अखिलेश बार्चे की समस्या
झूठ के नामकरण

°

महानगर की कहानियों में
हरिवल्लभ कुमार की रचना
बुश्शर्ट

°

घर परिवार में
पालतू पशु : भावना कुंअर के सुझाव
छोटा–सा पप्पू

°

रसोईघर में
गरमा गरम पक कर तैयार है
सब सब्ज़ी पुलाव

°

कहानियों में
भारत से नरेन्द्र मौर्य की कहानी
इच्छामृत्यु

पी .जी .के रिज़ल्ट के साथ ही मुझे स्टेटस के लिए चान्स मिल गया। पिताजी से मैंने बात की तो उन्होंने सहर्ष सहमति दे दी। फिर उन दिनों फारेन रिटर्न डॉक्टर का क्रेज़ था। किंतु वहां व्यस्त ज़िंदगी में फंसकर मैं रिटर्न भूल गया और केवल 'क्रेज़' के आस–पास घूमता रहा। इसी बीच सहयोगी नैंसी से विवाह कर लिया। नैंसी वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ थी। शहर के सभी पंजाबी–गुजराती परिवारों से हिंदी में ही बात करती थी। यह उन्हें बड़ा अच्छा लगता। हालांकि वे स्वयं बेचारे हिंदी से इतने परिचित नहीं रह गए थे। हिंदुस्तान में रहते हुए भी पंजाबी, गुजराती उनकी मातृभाषा थी जिसके माध्यम से विदेशों में बसने के लिए अंग्रेज़ी उन्होंने सीख ली थी।

°°

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इस सप्ताह

कहानियों में 
भारत से सूरज प्रकाश की कहानी
सही पते पर

याद आया‚ अरे‚ बनानी से भी तो मिलना है। मन एकदम रोमांचित हो आया। सारे रास्ते तो उसके ख्यालों ने व्यस्त रखा लेकिन मेरा सारा रोमांच क्षण भर में गायब हो गया। इस समय तीन बजे हैं। वैसे भी जब पूरा मद्रास बंद है तो युनिवर्सिटी भी तो बंद होगी। उसके घर का पता कहां है मेरे पास। डाइरेक्टरी देखता हूं। युनिवर्सिटी के नंबरों में न तो अंग्रेज़ी विभाग का डाइरेक्ट नंबर है‚ न ही विभाग के हेड का नाम या उसका रेसिडेंशियल नंबर। बनानी के नंबर का तो सवाल ही नहीं उठता। काश! उससे आज मुलाकात हो जाती तो कितने अच्छे कट जाते ये दो दिन। अब तो परसों तक इंतज़ार करना पड़ेगा।

°

हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी का विश्लेषण
मैं कुता और इंटरनेट

°

साक्षात्कार में
एक मुलाकात भाषा सेतु के भगीरथ
जगदीप डांगी से

°

संस्मरण में
दिवंगत रचनाकार को श्रद्धांजलि
जनकवि कैलाश गौतम

°

ललित निबंध में
उमाशंकर चतुर्वेदी का आलेख
रस आए रस जाए
1

 सप्ताह का विचार
च्छी तरह सोचना बुद्धिमता है, अच्छी योजना बनाना उससे बड़ी बुद्धिमता है और ठीक से काम को पूरा करना सबसे बड़ी बुद्धिमता है। —कहावत

 

जारी हैं
नव वर्ष महोत्सव
में
नित नवीन
नव वर्ष कविताएं

ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
काला लिबास–सुषम बेदी
मानिला की योगिनी–महेशचंद्र द्विवेदी

बबलू–बच्चन सिंह
तार–डॉ प्रतिभा सक्सेना
पानी–मनमोहन सरल
ढिबरी टाइट – तेजेन्द्र शर्मा

°

हास्य व्यंग्य में
गोलगप्पे में शराब–मनोहर पुरी 
बुद्धिजीवी बनाम बुद्धूजीवी–राजेन्द्र त्यागी

वे बच्चे . . .–शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
अपुन आजकल . . .– गुरमीत बेदी

°

आज सिरहाने में
शास्त्री नित्यगोपाल कटारे का व्यंग्य संग्रह
नालायक होने का सुख
°

दृष्टिकोण में
अजय ब्रहमात्मज का आलेख
हम ही हैं हिंदू और मुलसलमान
°

फुलवारी में
मौसम के विषय में जानकारी की बातें
हवा क्यों बहती है
°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव के साथ
ऑन-लाइन खोज वेबारू से
°

विज्ञान वार्ता में
इतिहास के झरोखे से विज्ञान का कमाल
दिल्ली का लौहस्तंभ
°

साहित्य समाचार में
विश्व के हर कोने से इस माह के
नये समाचार

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 
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