होली
विशेषांक
कहानियों
में
यू एस ए से स्वदेश राणा की
कहानी
हो
ली
पास ही एक
लंबी मेज़ पर चमचमाती स्टेनलैस स्टील की
थालियों में अबरक, गुलाल की लाल, नीली, पीली,
हरी ढेरियां। कुछ दूरी पर अमरूद के पेड़ के तने को घेरे
बालटीनुमा टबों में ऊदे, काशनी, जामुनी
रंगों का घोल। सामने बरामदे में जाली से ढकी
मोतीचूर के लड्डुओं और कलाकंद बर्फी की प्लेटों के
साथ शीशे के जगों में खसखस, इलायची, बादाम
वली दूधिया ठंडाई और इन सब से अलग घने
बरगद की छांव में खड़ी अंगीठी के उपर गोभी, पालक
के ताज़ा पकौड़े बनाने की कढ़ाही। कर्नल कपूर ने तड़के उठकर
खुद सारा इंतज़ाम होते
देखा था और अब अपने उजले पजामे कुरते के सलवट
निकालते यहां वहां घूम रहे थे।
हास्य
व्यंग्य में
डा
नरेन्द्र कोहली के तार्किक विश्लेषण
कट्टरता
°
संस्कृति
में
प्रभा पंवार
का जानकारी भरा लेख
अल्पना
क्या हैउपहार
में
होली की शुभकामनाएं व जावा आलेख में
रंगों
की बौछार °
संस्मरण
में
सुरेन्द्रनाथ तिवारी की सरस स्मृतियां
बहुत
दिनों बाद देस में
1
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इस
सप्ताह
साहित्यिक
निबंध में
बृजेशकुमार
शुक्ला की कलम से
होली
खेलें रघुवीरा
महानगर
की कहानियों
में
प्रमोद
राय की लघुकथा
कानूनन
°
पर्व
परिचय में
सत्यवान शर्मा बता रहे हैं
होली
के विविध आयाम
होली
के हुड़दंग में
डा रति सक्सेना की चेतावनी
सावधान
ब्लॉगिए आ रहे हैं
°
साहित्य
संगम में
कमला
सरूप की नेपाली कहानी
यादों
की अनुभूतियां
मैं अब याद कर
रही हूं, कैसे शामको तुम मेरे लिए गुरांस के फूलों का
गुच्छा ले आए थे और साथ में शुभकामना कार्ड भी। मैं
वैसे भी झूम उठी थी और सच कहूं, तुम्हारा दिया हुआ कार्ड
व सूखे हुए ही सही वे गुरांस के फूल, अब भी कमरे भर
सजाकर रखे हैं मैंने। शायद वो कार्ड व फूल ही आखिरी उपहार
थे मेरे लिए तुम्हारे तरफ़ से। दूसरे
दिन सवेरे ही हम साथसाथ घूमने निकल गए थे। शायद
वही आखिरी सुबह थी हमारे साथ की। उसके बाद बहुत वर्षों
तक हमारी मुलाकात नहीं हुई थी। सवेरे का ओस, हाथ भर
गुरांस के फूल और मीठी सी ठंडी हवा के साथ हमने कैसे
तीन घंटे लंबा रास्ता पार किया, पता ही नहीं चला था।"मैं
चाहता हूं, इस सुबह जैसा ताज़गी भरा और इन गुरांस के
फूल जैसा सुंदर हो तुम्हारा जीवन।"
!सप्ताह का विचार!
दुख
और वेदना के अथाह सागर
वाले इस संसार में प्रेम की
अत्यधिक
आवश्यकता है।
डा रामकुमार वर्मा
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अनुभूति
में
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नए
पुराने कवियों की 20 से अधिक वसंती रचनाएं अलग अलग
संकलनों में
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पिछले
होली विशेषांकों
से
उपहार
में
होली की
शुभकामना कविताएं व जावा आलेख
होली
है तथा होली के मौसम में
°
कहानियों
में
अलग
अलग तीलियांप्रभु जोशी
होली
मंगलमय होओमप्रकाश
अवस्थी
कलादीर्घा
में
कलाकृतियों में
होली
°
रसोईघर
में
होली पर मेहमानों के स्वागत के
लिए पकवानों की भरमार
अन्य
लेखों में
बृज में हरि होली
मचाई
राम
नारायण सिंह मधुर
बृज में होली का त्योहारमहेश
कटरपंच
मन बहलाव वसंत केपूर्णिमा वर्मन
यह पगध्वनिउमाकांत मालवीय
लेकिन
मुझको
फागुन
चाहियेदामोदर
पांडेय
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होली और गीत संगीत आस्था
सुनिये
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छंद वसंत केश्यामनारायण
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रोको
यह
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न
पाएश्यामसुंदर
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वसंत
ऋतुमहेद्र सिंह रंधावा
त्रिनिडाड में छूटती
'पिचकारी' का नया रंग
डा प्रेम जनमेजय
एक और रंग रंगोली
और
रंग बरसे
रंग
रंग की होलीदीपिका जोशी
फुलवारी
में
कहानीहोली वाला रोबोट
कविताएंहोली
आई और हंगामा
साथ में एक होली का चित्र
रंगने
के लिये
और
बनाने के लिए होलिका
और प्रहलाद
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