कथा
महोत्सव २००२
प्रवासी हिन्दी लेखकों
की कहानियों के संकलन वतन
से दूर में प्रस्तुत है यू के से उषा राजे सक्सेना की कहानी-
बीमा बीस्माट
मैंने
मन–ही–मन निर्णय लिया। इस बालक बीमा को मैं एक केस हिस्ट्री
की तरह स्टडी करूंगी। आठ वर्ष की उम्र तक पहुँचते – पहुँचते
हम उसे कॉन्फिडेन्ट एवं आत्मसम्मान से युक्त एक साधारण बालक बना
देंगे।
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फुलवारी में
बच्चों के लिये चित्र–कथा
कौन जोड़ेगा चित्र
तथा
कविता
दिवाली
सामयिकी में
दीपावली के अवसर पर
महेश चंद्र
कटरपंच का आलेख
दीपावली का दार्शनिक पक्ष
घर परिवार में
वास्तु विवेक के अंतर्गत
विमल झाझरिया का आलेख
दीपावली और वास्तु
हास्य–व्यंग्य में
के पी सक्सेना के
दगे
पटाखों की महक
पर्व परिचय
में
प्रमिला कटरपंच बता रही हैं
दीपदान के लोकपर्व
दीवाली
के विषय में
संस्मरण
में
परदेस से डा प्रेम जनमेजय की
भावभीनी रचना
त्रिनिडाड की जगमगाती दीवाली और अकेलेपन से
लड़ता मैं
सप्ताह का विचार
जिस तरह
एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है, उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे
कुल का दरिद्र दूर कर देता है—कहावत |
अनुभूति में
जारी
हैं
दीपावली की जगमग
कविताएँ
संकलन
ज्योति पर्व में
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।।आभार
व आमंत्रण
।।
वतन
से दूर बसे हिन्दी के लेखकों की हृदयस्पर्शी कहानियों का संकलन
वतन से दूर
इस अंक में पूरा हो रहा है।
परदेसी लेखकों को सहयोग के लिए
हार्दिक आभार!
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लेकिन
उत्सवों का सिलसिला जारी रहेगा पहली जनवरी से प्रारंभ करेंगे भारत
के प्रतिष्ठित एवं उदीयमान लेखकों की अप्रकाशित कहानियों का
महोत्सव जिनमें होगी अपनी
'माटी की गंध'
याद यह रखना है कि
रचनाएं 31 दिसंबर तक हमें मिल जानी चाहिये। पता है—
teamabhivyakti@abhivyakti-hindi.org
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