कथा
महोत्सव
२००२
प्रवासी भारतीय लेखकों
की कहानियों की श्रृंखला में प्रस्तुत है
त्रिनिडाड से
प्रेम जनमेजय की कहानी
क्षितिज पर उड़ती स्कार्लेट आयबिस
श्रुति
ने काटने को आते अकेले घर की चुप्पी पर ताला जड़ा। गॅरेज में खड़ी
अपनी मन पसन्द कार, होंडा एकार्ड का दरवाजा खोला, उसे बैक गेयर में
डाला। रिमोट से मेन गेट खोला और कार को धीरे–धीरे सड़क पर सरका
दिया। लगा जैसे उससे किसी ने कहा हो, "श्रुति कम से कम गाड़ी बैक
तो धीरे से किया करो, इतनी तेजी ठीक नहीं," पर उसने ध्यान
नहीं दिया हो और फुर्र करती चिड़िया–सी वो ये उड़ वो उड़।
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यू ए ई से पूर्णिमा वर्मन की कहानी
यों ही चलते हुए
सच
पूछो तो शायद यही इस देश की पहचान है। लोग– भाषा – जगहें –
परिस्थितियाँ सब कुछ पहचाना हुआ सा फिर भी सब कुछ अनजाना सा! यहाँ
घर बनाने कोई नहीं आया है। सबको लौट जाना है एक दिन।
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वतन से दूर में अन्य कहानियाँ
रौनी
यू के उषा वर्मा
मंजिल के करीब
नार्वे से सुरेशचंद्र
शुक्ल 'शरद आलोक'
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जड़ों से कटने पर
यू ए ई से कृष्ण बिहारी
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वापसी
यू के से शैल
अग्रवाल
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उपलब्धियाँ
यू एस ए से सुरेन्द्रनाथ
तिवारी
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अनजाना सफर
कनाडा से अश्विन गांधी
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अगले अंक में
कुवैत से दीपिका जोशी की कहानी 'सदाफूली'°°°
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दो पल में
कुदरत की करामात के अंतर्गत
अश्विन गांधी के कैमरे से
दो चित्र
झरना–१
झरना–२
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परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल अग्रवाल का
आलेख
चलते–चलते–शब्द चित्र
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उपहार में
पूर्णिमा वर्मन की नयी कविता
जावा आलेख के साथ
अबकी बार
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संस्मरण में
अंबरीश मिश्रा का
संस्मरण
सुनंदा भाभी
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पर्व
परिचय में
दीपिका जोशी का आलेख
गणेश चतुर्थी
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अनुभूति
में |
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जारी है देश भक्ति की कविताओं का सिलसिला
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पिछले
अंक से-
तेरे बगैर
शीर्षक से अभिज्ञात की
आत्मकथा
की अगली किस्त
त्रिलोचनःअनंत से थोड़ा सा
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लघु कथाओं की नयी श्रृखला
महानगर की कहानियाँ में
सूरज प्रकाश की लघुकथा
बीच का रास्ता
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संस्मरण में
नार्वे से सुरेश चंद्र
शुक्ला की ब्रिटेन
यात्रा के संस्मरण
जिसने लन्दन को नही जिया उसने जीवन को
नहीं जिया
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रसोईघर में
मिठाइयों में सदाबहार
खीर
और
नमकीन में लज्जतदार
उपमा
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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार
के अंतर्गत भारत से बृजेशकुमार शुक्ल की कलम से
नया करिश्मा,
और
कनाडा कमान
के अंतर्गत सुमन कुमार घेई का आलेख
कैनेडा पर छाया इंद्रधनुष
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कला दीर्घा
में
कला और कलाकार के अंतर्गत
राजा रवि वर्मा
अपने दो प्रसिद्ध चित्रों के
साथ
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