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 १. १. २०१७

इस पखवारे-

अनुभूति-में-
नव वर्ष के स्वागत में विभिन्न विधाओं में अनेक रचनाकारों की मनभावन रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- अगले पखवारे संक्रांति के पावन पर्व के लिये हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- तिल, अखरोट और खजूर की पट्टी

स्वास्थ्य में- मस्तिष्क को सदा स्वस्थ, सक्रिय और स्फूर्तिदायक बनाए रखने के २४ उपाय- १- कलेवे पर ध्यान दें

बागबानी- के अंतर्गत घर की सुख स्वास्थ्य और समृद्धि के लिये शुभ पौधों की शृंखला में इस पखवारे प्रस्तुत है- १- तुलसी

भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव- जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं- १- मावलिन्नांग- एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (जनवरी में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ... विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- राहुल देव की कलम से डॉ. प्रदीप शुक्ल के नवगीत संग्रह- अम्मा रहतीं गाँव में का परिचय।

वर्ग पहेली- २८२
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
डॉ.-सरस्वती-माथुर-की-कहानी- नये-साल-का-पहला-दिन

कल नये साल का पहला दिन है। यह दिन प्रसादी देवी को एक अजीब सी बैचेनी से जकड़ लेता है। जब भी वह आज के दिन के बारे में सोचती है तो मन की ख़ाली दीवारों पर अतीत की असंख्य तस्वीरें उभर कर उनके वजूद पर प्रहार करने लगती है। वे अपनी खोजती निगाहों से इधर-उधर देखने लगती हैं। मन के अंधेरे में एक तीखी आवाज़ से वह पगलाने लगती हैं, तब उन्हें लगता है कि कोई पाखी अपना घरोंदा भूल गया है और उसे ढूँढता हुआ एक डाल से दूसरे डाल पर घूमते हुअे गहरी पीड़ा से करहा रहा है, यह पीड़ा प्रसादी देवी के मन की दिवारों पर खरोंचें लगाती हुई हवा में तैरने लगती हैं, प्रसादी देवी की आँखों से दो बूँदें लुढ़क जाती हैं। हर साल नये साल का यह दिन उन्हें ऐसी ही टीसें देता है। एक हफ़्ते पहले से उन्हें अपनी सांसें घुटती सी जान पड़ती हैं। आज दिसंबर का आख़िरी दिन है, बाहर कड़ाके की ठंड पड़ रही है, शायद पहाड़ों पर बर्फ़ गिरी होगी इसलिये ठंडी हवाएँ चल रही थी। यह हवाएँ प्रसादी देवी को बहुत उदास कर जाती है। न जाने क्यों इस उदासी में ख़ामोशी को बाँधती हुई कुछ आवाज़ें...आगे-
*

मुक्ता पाठक की लघुकथा
फिर आएगा नया साल
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अमृत राय का निबंध
नया साल मुबारक
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ब्रह्मानंद राजपूत से सामयिकी में
नया साल, मोदी और चुनौतियाँ

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पुनर्पाठ में नव वर्ष से संबंधित
विविध विधाओं में अनेक रचनाएँ

पिछले पखवारे-

पुरानी बस्ती की लघुकथा-
क्रिसमस का उपहार
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चीन से गुणशेखर की पाती
क्रिसमस के कलंदर
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सतीश जायसवाल का संस्मरण
क्रिसमस की रात में शोक-गीत

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पुनर्पाठ में अतुल अरोरा के संस्मरण
''बड़ी सड़क की तेज गली में'' का छठा भाग

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है यू.के. से
नीना पॉल की कहानी- सिगरेट बुझ गई

घर के चारों ओर पुलिस ने पीले रंग की टेप का घेरा डाल दिया।
सामने से निकलने वाला प्रत्येक राहगीर कुछ पल के लिए खड़ा होकर सोचने लगता कि इस घर मे क्या हुआ है? इस घर में किसी की मृत्यु हुई है जिसकी सूचना डाकिये से मिली है। जब डाकिया लैटर बॉक्स में चिट्ठी डाल रहा था तो उसे अंदर से एक अजीब प्रकार की महक आई। उसने दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर कोई हलचल न हुई। डाकिये को किसी अनहोनी की शंका होने लगी। उसने जेब से मोबाइल निकाल कर ९९९ पुलिस का नम्बर घुमा दिया। पुलिस का नम्बर क्या घुमाया कि शोर मचाती हुई दो पुलिस गाड़ियाँ व एक एंबुलेंस कुछ ही पलों में वहाँ पहुँच गईं। अपने चेहरे पर मास्क पहन कर पुलिस ऑफ़िसर ने दरवाजे को ज़ोर से धकेला परंतु वह अंदर से बंद था। पहले पुलिस ने मास्टर की सहायता से ताला खोलना चाहा। कई डबल गलेज ताले मास्टर की से भी नहीं खुलते। अंत में हार कर वे दरवाजे का ताला तोड़कर अंदर घुसे। अंदर घुसते ही उन्हें बहुत ज़ोर की महक आई।...आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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