मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


सामयिकी


नया साल मोदी और चुनौतियाँ

- ब्रह्मानंद राजपूत


नया वर्ष हर व्यक्ति के लिये बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिये योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिये नये लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नये साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिये नये लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्ष में अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएँ भी पायी हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए। बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिये रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष में जिस प्रकार से अनेक चुनौतियों का सामना किया, उसी प्रकार भावी वर्ष में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जाए तो साल २०१७ में नरेंद्र मोदी को अनेक अग्नि परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। सबसे पहली अग्नि परीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये नोटबंदी के बाद ५ राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) में विधानसभा चुनाव होगा। इन पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा की सफलता और असफलता सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख को प्रभावित करेगी। पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर सजेगा और हार का ठीकरा भी मोदी के मत्थे मढ़ा जाएगा। इन पाँच राज्यों में से गोवा में भाजपा की सरकार है। पंजाब में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल की गठबंधन सरकार है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार है और उत्तराखंड व मणिपुर में कांग्रेस पार्टी की सरकारें हैं। गोवा और पंजाब में भाजपा के लिये सरकार बचाने की चुनौती होगी। और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और मणिपुर में सरकार बनाने की चुनौती होगी। इन चुनावों के नतीजों का सीधा-सीधा असर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे ज्यादा साख उत्तर प्रदेश के चुनावों में लगी है।

एक तो नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं, साथ-साथ २०१४ के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की रही है। अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो नरेंद्र मोदी की साख बढ़ेगी। अगर भाजपा का लचर प्रदर्शन रहता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चारों तरफ से दवाब बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद जैसी धुरंधर पार्टियों से भिड़ना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिवर्तन रैलियों में उमड़ रही भीड़ से तो उत्तर प्रदेश में भाजपा का रंग लग रहा है। लेकिन जनता का रुख बदलते देर नहीं लगती। इन चुनावों में मोदी सरकार द्वारा देश से काले धन खत्म करने के लिये १००० और ५०० के नोटों के विमुद्रीकरण की भी परीक्षा होगी। अगर भाजपा पाँचों राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करती है तो नरेंद्र मोदी द्वारा ८ नवम्बर २०१६ को की गया बड़े नोटों की नोटबंदी पर जनता की मुहर लगेगी और विपक्ष को मुँह की खानी पड़ेगी। लेकिन भाजपा का थोड़ा सा भी लचर प्रदर्शन रहा तो विपक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलने का अवसर मिल जाएगा। इसलिये वर्ष २०१७ में पाँचों राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर) के चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये काफी अहम हैं।

वर्ष २०१७ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये देश को नकदमुक्त अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाना भी एक चुनौती होगी। जिस देश में ९० प्रतिशत से ज्यादा लेन-देन कैश से होता हो उस देश को एकदम से नकदमुक्त अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाना भी एक कठिन और साहसिक कदम है। ये सच है कि कोई भी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नकदमुक्त नहीं हो सकती है और न ही डिजिटल लेनदेन असल में नकदी लेनदेन का विकल्प है, बल्कि एक समानान्तर व्यवस्था है, लेकिन नरेंद्र मोदी जिस तरह से लोगों को कैशलेस के प्रति लोगों को जागरूक करने लगे हुए है, उससे लगता है कि इसके परिणाम सुखद होंगे। अगर किसी देश की ५० प्रतिशत अर्थव्यवस्था भी कैशलेस होती है, तो वहां भ्रष्टाचार होने के जोखिम बहुत कम होते हैं। अगर आने वाले साल में प्रधानमंत्री देश की २५ प्रतिशत अर्थव्यवस्था को भी कैशलेस करा पाए तो यह मोदी सरकार के साथ-साथ खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

वर्ष २०१७ में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश में लागू करा पाना भी मोदी सरकार के लिये बहुत बड़ी चुनौती है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भारत की सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है। जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बाँध कर रखना है। इसके माध्यम से सम्पूर्ण देश में वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान कर लगाया जाएगा। यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को मोदी देश में २०१७ में लागू करा पाए तो जीएसटी विसंगतियों को दूर करके कर प्रशासन को अत्यंत सरल बना देगा। केंद्र और राज्य सेवाओं और वस्तुओं पर समान दरों पर कर लगाएँगे। उदाहरण के लिये यदि किसी वस्तु पर ३० प्रतिशत कर लगाया जाता है तो केंद्र और राज्य दोनों १५-१५ प्रतिशत कर संग्रहीत करेंगे। अगर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) २०१७ में देश में लागू होता है तो यह मोदी सरकार के लिये बड़ी उपलब्धि होगी। कहा जाए तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये बड़ी सफलता होगी।

वर्ष २०१६ में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के जरिये देश के आन्तरिक काले धन पर तो चोट कर दी है। लेकिन वर्ष २०१७ में विदेशों में जमा काला धन को लाना नरेंद्र मोदी के लिये एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने चुनावी घोषणापत्र में विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की बात कही थी। राजनीतिक दलों और एनजीओ के काला धन पर पर रोक लगाना भी प्रधानमंत्री के लिये एक बहुत बड़ी चुनौती है। देश में सबसे ज्यादा काला धन राजनीतिक दलों और एनजीओ में चंदे के रूप में खपाया जाता है।

देश में हजारों राजनीतिक दल हैं। लेकिन उनमे से नाम मात्र के कुछ बड़े दल चुनाव लड़ते हैं। कहा जाए तो अधिकतर पार्टियाँ तो काले धन का सफेद करने के काम तक ही सीमित हैं। कहा जाए तो अधिकतर पार्टियाँ चुनाव भी काले धन के बूते ही लड़ती हैं। आज के समय में राजनीतिक पार्टियों के खाते में ही अधिकतर कला धन है। यह काला धन पार्टियों को साँठगाँठ से बड़े बड़े कॉर्पोरेट घरानों, प्रॉपर्टी डीलरों और बड़े-बड़े अधिकारियों से मिलता है, जो कि वो अनुचित रूप से कमाते हैं। यही हाल देश में लाखों की संख्या में कुकुरमुत्तों की तरह खुले पड़े गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष २०१७ में राजनीतिक दलों और एनजीओ को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता के लिये कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो यह बहुत बड़ी बात होगी। इसके बारे में मोदी खुद बोल भी चुके हैं।

वर्ष २०१७ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये बेनामी संपत्तियों पर कार्यवाही सबसे बड़ी चुनौती है। नोटबंदी के बाद से लगातार नरेंद्र मोदी बेनामी संपत्तियाँ पर कार्यवाही की बात कर रहे हैं। अगर बेनामी सम्पतियों पर कार्यवाही होती है तो नरेंद्र मोदी का सबको छत देने का सपना पूरा हो सकता है। बेनामी सम्पतियों पर कार्यवाही का कदम बदनाम प्रॉपर्टी सेक्टर में पारदर्शिता लाने में और बेतहाशा बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकता है, बशर्ते नये कानून को ठीक ढँग से लागू किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार देखकर तो लगता है वर्ष २०१७ में मोदी बेनामी सम्पतियों को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था में से अधिकतर काला धन समाप्त हो जाएगा और प्रधानमंत्री मोदी के लिये यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

२०१६ में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनेक नई शुरूआतें की गईं हैं तथा कई महत्वपूर्ण योजनाएँ आरंभ की गई हैं। अब मोदी सरकार को इन योजनाओं को इनकी परिणति तक पहुँचाना होगा। और अच्छे परिणाम देने होंगे। जिससे देश के हर व्यक्ति तक विकास पहुँच सके। नरेंद्र मोदी सरकार को शासन को सभी स्तरों पर कुशल, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल बनाना होगा। जिसके लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से प्रयासरत हैं।

वर्ष २०१७ में मोदी सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित करनी होगी। कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र को उपलब्धियों की नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिये तहेदिल से और एकाग्रचित होकर प्रयास करना होगा, जो कि उनके हर प्रयास में दिखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये वर्ष २०१७ में अनेक उपलब्धियाँ गढ़ने का अवसर है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सम्पूर्ण देश का नागरिक एक सशक्त, एकजुट एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।

१ जनवरी २०१७

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।