भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव
जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं
१ मावलिन्नांग-
एशिया-का-सबसे-स्वच्छ-गाँव
कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत की अर्थ व्यवस्था अपने
ग्रामीण संसाधनों पर निर्भर है। सिर्फ इतना ही नहीं हमारे
साहित्य, संस्कृति और फिल्मों में भी गाँवों की छवियाँ हर
ओर दिखाई देती हैं। याद हैं वे सरसों के खेत, चाय बागान,
मिट्टी के घर, खुली हवा, खटिया, माटी और तारों से भरा आकाश
जिसके सामने दुनिया का हर सुख न्योछावर। पर यह सब कुछ
गाँवों के विकास की मंद गति के साथ धूमिल होता चला गया। और
गाँव गरीबी आसुविधा, अशिक्षा और गंदगी के पर्याय हो गये।
आज मेघालय का मावलिन्नांग गाँव इन सारी कमियों से बाहर आकर
२००३ से एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव निर्वाचित किया गया है,
जिसकी गिनती ना ही केवल भारत के बेहतरीन गाँवों में होती
है बल्कि एशिया व दुनिया के सबसे बेहतरीन और साफ़ सुथरे
गाँवों में इसकी गिनती की जाती है। शिलांग से ९० कि.मी.
दूर खासी पहाड़ियों में बसे इस गाँव में कोई भी मीलों तक
पैदल चलने का सुख उठा सकता है, इसकी सुंदरता निहार सकता है
और दूर तक खुला आकाश देख सकता है।
सफाई व्यवस्था के लिए इस गाँव के लोग किसी भी तरह प्रशासन
पर आश्रित नहीं है। बल्कि इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत यह
है की यहाँ की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं ही करते है। यहाँ
की साक्षरता दर शत प्रतिशत है, अर्थात यहां के सभी लोग
पढ़े-लिखे हैं। इस गाँव में सफाई को लेकर लोग बेहद जागरूक
हैं। इसलिए सफाई के बेहद कड़े नियम बनाये गये हैं, जिनका हर
ग्रामवासी को पालन करना होता है। प्लास्टिक का प्रयोग पूरी
तरह से बंद है। पूरे गाँव में हर जगह कचरा डालने के लिए
ऐसे बाँस के खूबसूरत कूड़ेदान लगे है, जो दुनिया में और
कहीं शायद ही देखने को मिलें। गाँव के लोग घर से निकलने
वाले कूड़े-कचरे को भी बाँस से बने कूड़ेदानों में जमा
करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह
प्रयोग करते हैं। पर्यटकों का कहना है कि यहाँ कहीं भी
प्लास्टिक के थैलों या सिगरेट के टोटों का अस्तित्व नजर
नहीं आता।
१
जनवरी २०१७ |