इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
जगदीश पंकज, मधुप मोहता,
शिज्जू शकूर, कैलाश झा किंकर और
पवन कुमार शाक्य की रचनाएँ। |
- घर परिवार में |
रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा प्रस्तुत है-
भुट्टों के मौसम में मक्के के स्वादिष्ट व्यंजनों के क्रम में-
दिलरुबा चावल। |
गपशप के अंतर्गत- क्या बच्चे खिलौनों
के बीच ठीक से सो सकते हैं या फिर उन्हें सोते समय इनसे दूर कर देना सही
है? जाने विस्तार से... |
जीवन शैली में-
शाकाहार एक लोकप्रिय जीवन शैली है। फिर भी
आश्चर्य करने वालों की कमी नहीं।
१४
प्रश्न जो शकाहारी सदा झेलते हैं- ३
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सप्ताह का विचार में-
विश्व में अग्रणी भूमिका निभाने की-आकांक्षा
रखनेवाला-कोई
भी-देश शुद्ध-या दीर्घकालीन अनुसंधान की उपेक्षा नहीं
कर सकता।- होमी भाभा |
- रचना व मनोरंजन में |
क्या आप जानते हैं कि
आज के दिन
(७ जुलाई को) १६५६ गुरू हर सिंह किशन जी, १८८३ में चंद्रधर शर्मा गुलेरी,
१९१४ में संगीतकार अनिल बिस्वास...
|
लोकप्रिय
उपन्यास
(धारावाहिक) -
के
अंतर्गत प्रस्तुत है २००५
में
प्रकाशित
सुषम बेदी के उपन्यास—
'लौटना' का दूसरा भाग। |
वर्ग पहेली-१९२
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि-आशीष
के सहयोग से |
सप्ताह
का कार्टून-
कीर्तीश
की कूची से |
अपनी प्रतिक्रिया
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साहित्य एवं
संस्कृति में-
|
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है
भारत से
सुरभि बेहेरा की-कहानी--
पान की डिबिया
सुबह से नीता का यह तीसरा फ़ोन
था। कल उसकी शादी की सालगिरह थी। बार-बार वह फ़ोन पर एक ही बात
कह रही थी कि- ‘अगर तू मेरी पार्टी में नहीं आयेगी तो मैं केक
ही नहीं काटूँगी। भला इस प्यार भरे अपनत्व को नीरू कैसे ठुकरा
सकती थी? नीता उसकी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली थी। उन दोनों
की ज़िन्दगी एक-दूसरे के लिए खुली किताब की तरह थी। जीवन की हर
छोटी-बड़ी ख़ुशियों में वे दोनों किसी न किसी बहाने एक दूसरे को
शामिल करना नहीं भूलतीं। अचानक उसकी सालगिरह की ख़बर पाते ही
नीरू के पैर ज़मीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसे जिस दिन का इन्तज़ार
था, वह दिन एकदम करीब आ गया था। अतुल के उठने से पहले वह पूरे
घर में चहलक़दमी करने लगी। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि पार्टी
में जाने से पहले उसे किन-किन चीज़ों की तैयारी कर लेनी चाहिए।
समय पर पहुँचने के लिए उसे अभी से ही तैयारी करनी पड़ेगी। आख़िर
उसकी सबसे प्यारी सहेली की पार्टी में सबकी बारीक नज़र उस पर भी
तो पड़ेगी। ... आगे-
*
मुक्ता की लघुकथा
अंतिम अनुबंध
*
पर्यटन में अनंत राम गौड़ के साथ देखें
बंगाल के प्रमुख
पर्यटन स्थल
*
रंगमंच के अंतर्गत
निमाड़ का लोकनृत्य-
काठी
*
पुनर्पाठ में- डा गुरू दयाल प्रदीप
का आलेख
डी.एन.ए. की खोज- फ्रेंसिस क्रिक को
श्रद्धांजलि
1 |
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पिछले
सप्ताह-
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सुभाषचंद्र लखेड़ा की
लघुकथा- साँप
*
शिवचरण चौहान की कलम से
लाल डब्बे की
आत्मकथा
*
वैद्य अनुराग विजयवर्गीय का आलेख
दूब तेरी महिमा न्यारी
*
पुनर्पाठ में- शैल अग्रवाल
की कलम से- सुर सावन
*
समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है
भारत से
प्रतिभा की-कहानी--
अपराध बोध
मैं हवाई जहाज से उतरते ही एक अजीब चिपचिपाहट में घिर गया था।
बस बंबई की सबसे खराब चीज़ मुझे यही लगती है। एयरपोर्ट से बाहर
निकलते ही सामने कंपनी की गाड़ी थी। मैं फटाफट उसमें बैठ गया और
वह दुम दबाकर भाग खड़ी हुई। बंबई में कुछ नहीं बदला था फिर भी
बहुत कुछ बदल गया था। कार कालिमा में लिपटी सड़क को रौंदती हुई,
बंबई के लोगों को पीछे धकेलती हुई भागे जा रही थी। बीच,
इमारतें, पेड़, लोग सब पीछे छूटते जा रहे थे।
दोपहर के दो बजे थे। बीच सुस्ता रहा था। सूरज और समुद्र
में द्वंद्व युद्ध चल रहा था। लहरें आ-आकर बार-बार झुलसी रेत
को लेप कर रही थीं, उसके ज़ख्मों को सहला रही थीं। बंबई की
रफ्रतार शाम और रात की बजाय इस समय कुछ कम थी या शायद
चिपचिपाहट की नदी ने सबकी रफ्तार को कुछ कम कर दिया था।
कितनी अजीब बात है, मेरे लिए बंबई नया नहीं है, मैं हर
महीने यहाँ आता हूँ, लेकिन आज बंबई-बिल्कुल-नया-शहर-लग-रहा-है-जैसे...
आगे- |
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