जब मैं नीलिमा के घर पहुँची तो उसकी चार साल की
बेटी को बिस्तर में ढेर से खिलौनों के बीच लदे-फँदे सोते हुए
देखकर सोचने लगी कि क्या यह यहाँ ठीक से सो पा रही होगी।
बच्चों के विशेषज्ञ बेंजामिन स्पॉक का कहना है कि ढेर से
खिलौनों के बीच भी बच्चे बड़े मजे से सो सकते हैं। खिलौनों की
उपस्थिति का उनकी नींद पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। केवल यह
ध्यान रखें के खिलौनों के किनारे नुकीले न हों। इसके कारण
उन्हें चोट पहुँच सकती हैं।
सारे दिन
खिलौनों को लेकर परेशान रहने की आवश्यकता नहीं है। न ही बच्चों
को सोते समय खिलौने से अलग करने की कोशिश करनी चाहिये। अगर कोई
खिलौना गंदा हो जाए तो उसे साफ़ कर दें। उधड़े हुए खिलौनों को
सी दें। खिलौनों को लेकर बच्चों के प्रति सख्ती बरतने की
आवश्यकता नहीं है। हो सकता है कि बच्चे की भावनाओं को इससे ठेस
पहुँचे। बच्चे खिलौनों को अपना साथी समझते हैं और यह उनके
अकेलेपन की भावना को दूर करता है। अगर बच्चा सोते समय यह
कल्पना कर लेता है कि उसके साथ उसका कुत्ता, बिल्ली या भालू
सोया हुआ है, जो उसका दोस्त या साथी है तो यह उसके स्वास्थ्य
के लिये बुरा नहीं है।
अधिकतर
बच्चे एक साल की उम्र में अपने किसी खिलौने के प्रति रुझान
प्रदर्शित करते हैं और उसके साथ सोना चाहते हैं। यह स्वाभाविक
है और बच्चों को ऐसा करने से रोकने की आवश्यकता नहीं है। जैसे
जैसे वे बड़े होते हैं अपने आप उनकी रुचियाँ बदलने लगती हैं।
खिलौनों के साथ सोने का मोह छूटने में तीन से पाँच साल तक लग
सकते हैं। |