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अभिव्यक्ति हिंदी पुरस्कार- २०१२ //  तुक कोश  //  शब्दकोश //
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१०. . २०१२

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
हिंदी दिवस के अवसर पर अनेक विधाओं  में विभिन्न रचनाकारों की हिंदी को समर्पित रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- अंतर्जाल पर सबसे लोकप्रिय भारतीय पाक-विशेषज्ञ शेफ-शुचि के रसोईघर से शीतल सलादों की शृंखला में- फलों का सलाद

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम से जानें एक साल का शिशु- शिशु का पहला जन्मदिन

रक्षक फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित
देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता
"गौरवगाथा २०१२" में हिस्सा लें।
अधिक जानकारी - गौरवगाथा फ़ेसबुक पर

भारत के अमर शहीदों की गाथाएँ- स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रारंभ इस पाक्षिक शृंखला के अंतर्गत- इस अंक में पढें बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की अमर कहानी।

- रचना और मनोरंजन में

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें

नवगीत की पाठशाला में- ार्यशाला-२३ के विषय की घोषणा  हो गई है। विस्तार से जानने के लिये नवगीत की पाठशाला पर जाएँ।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- प्रस्तुत है पुराने अंकों से ९ मार्च २००३ को प्रकाशित भारत से सुधा अरोड़ा की कहानी—"औरतः दो चेहरे"।

वर्ग पहेली-०९८
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-             
          कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में- हिंदी दिवस के अवसर पर


समकालीन कहानियों में भारत से रजनी गुप्त की कहानी यों हुआ राज्याभिषेक हिंदी का

आज तो इस ऑफिस में बड़ी चहल-पहल नजर आ रही है। ऑफिस की तरह से एक बड़ा-सा हॉल बुक कराया गया है। दरअसल सितंबर माह चल रहा है न। यानि सर्वत्र हिंदी दिवस, हिंदी सप्ताह, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी मास के बैनर देखे जा सकते हैं। यही वजह है कि इस ऑफिस में भी ‘हिंदी दिवस’ का आयोजन किया जा रहा है। दरअसल सरकार के सख्त निर्देश आए हैं कि हिंदी दिवस समारोह को जोर-शोर से मनाया जाए। आज के दिन राजभाषा अधिकारी महोदय तो कुछ ज्यादा ही व्यस्त नजर आ रहे हैं। कभी चीफ गैस्ट के लिए फूल-मालाएँ लेने जाना है तो कभी फोटोग्राफर को फोन कर रहे हैं, आखिरकार उनके कंधों पर इस भव्य आयोजन के संचालन का गुरूतर दायित्व जो है। दुबले-पतले मँझोले कद और साँवले से दिखनेवाले के. एन. त्रिपाठी उर्फ पंडितजी यानि राजभाषा विभाग प्रमुख बड़ी ही मुदित मुद्रा में यहाँ-वहाँ प्रबन्ध संचालन करते घूम रहे हैं। इन्हें आज के दिन ही तो अपना प्रभामंडल गौरवान्वित होता महसूस होता है। आगे-
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रमाशंकर श्रीवास्तव का व्यंग्य
हिंदी का हठ
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जनान एर्देमीर का आलेख
तुर्की में हिंदी

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डॉ. सुरेन्द्र गंभीर का आलेख
अमेरिका मे हिन्दी शिक्षण की लहर
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शीलभूषण का दृष्टिकोण
हिंदी एक सशक्त भाषा

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पिछले-सप्ताह-


कृष्ण शर्मा की लघुकथा
लेन-देन
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कुमुद शर्मा का आलेख
आचार्य नरेन्द्र देव

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शशि पुरवार से स्वास्थ्य चर्चा
गेहूँ में गुन बहुत हैं
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पुनर्पाठ में विभा श्रीवास्तव के साथ
पर्यटन- मायानगरी मुम्बई में
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समकालीन कहानियों में
पद्मा शर्मा की कहानी जलसमाधि

बोलेरो जीप शहर की फोरलेन सपाट सड़कों को पीछे छोड़ती हुई तहसील की उथली सड़कों पर थिरकने लगी थी। कभी किसी बड़े गड्ढे में पहिया आ जाता तो जीप जोर से हिचकोला खाती और परेश का समूचा शरीर हिल जाता। उसने अपनी नजरें सड़क पर जमा दीं...किसी बड़े गड्ढे को देखकर वह अपने शरीर को संयत करता और गेट के ऊपर बने हैण्डल पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेता। छोटे-बड़े गड्ढे सपाट सड़क का भूगोल बिगाड़े हुए थे जैसे गोरे चेहरे पर मुहाँसे या चेचक के निशान। कभी धुएँ का गुबार उठता तो कभी कचरे का ढेर दिखायी देता। शीशे चढ़े होने के बावजूद परेश रुमाल नाक पर रखता माथे पर शिकन गहरी हो जाती । यहाँ तक आने में ट्रेन का सफर तो ठीक रहा पर अब यह सफर परेशान कर रहा है। परेश एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत है। चार दिन पहले मैनेजर ने एक लिफाफा थमाते हुए कहा था, ‘‘यह तुम्हारा नया प्रोजेक्ट है। कम्पनी वाटर फिल्टर का नया कारखाना खोलने जा रही है। आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

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