इस सप्ताह- |
अनुभूति
में-
शीलेन्द्र सिंह चौहान,
प्रवीण पंडित, नियति वर्मा, कुमार रवीन्द्र और
सुभाष चौधरी की रचनाएँ। |
-
घर परिवार में |
मसालों का महाकाव्य- देश-विदेश में लोकप्रिय
चटपटे मिश्रणों के बारे में प्रमाणिक जानकारी दे रहे हैं शेफ
प्रफुल्ल श्रीवास्तव। इस अंक में-
आलियोली |
बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात
में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के
पन्नों से-
शिशु का
२०वाँ
सप्ताह। |
स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में
शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से-
मधुमेह के लिये आँवला और करेला। |
अभिव्यक्ति का २० जून का अंक टेसू या पलाश विशेषांक होगा। इस अंक
के लिये हर विधा में गद्य रचनाओं का स्वागत है। रचनाएँ हमें १० जून
से पहले मिल जानी चाहिये। पता इसी पृष्ठ पर ऊपर है। |
- रचना और मनोरंजन में |
कंप्यूटर की कक्षा में-
अपने कंप्यूटर पर फाइलों
(डॉक्यूमेंट) को गोपनीय रखने के लिए हम दो प्रकार के
कूटशब्द का प्रयोग कर सकते हैं-
|
नवगीत की पाठशाला में-
कार्यशाला- १६ के लिये नवगीत का विषय है टेसू या पलाश। रचना
भेजने की अंतिम तिथि २० मई है।
|
वर्ग
पहेली-०२९
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल
और रश्मि आशीष के सहयोग से |
शुक्रवार चौपाल- के साहित्य सत्र में
पिछले कुछ दिनों से इसमें हाइकु कार्यशालाएँ चलती रही हैं।...
इस बार यहीं से काम आगे बढ़ा।
आगे पढ़ें... |
सप्ताह
का कार्टून-
कीर्तीश
की कूची से |
अपनी प्रतिक्रिया
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साहित्य और संस्कृति में- |
1
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए से
उमेश अग्निहोत्री की कहानी-
बनियान
‘पिछले जन्म
में जो आपके दुश्मन होते हैं, वे आपकी औलाद बन कर पैदा होते
हैं।‘
न जाने पापा जी से यह बात किसने कही थी, लेकिन यह बात उन्हें
इतनी पसंद आयी थी कि अगले-पिछले जन्मों में यकीन न होने के
बावजूद उनके दिमाग में रह गई थी, और उस वक्त तो खासतौर पर याद
हो आती थी जब वह अपने बेटे को बनियान उलटी पहने देखते।
तब वह उन्नीस-बीस साल का रहा होगा। उन्होंने उसे एक बार टोका
था - तूने बनियान उलटी पहन रखी है। वह दिन और आज का दिन, वह तीस का हो चला था उसने फिर कभी बनियान
सीधी पहन कर नहीं दी थी। पापा जी ने कहा – तू बनियान उलटी पहनता है, यह जताने के लिये
कि मेरी बात की परवाह नहीं है। बेटा
कुछ नहीं बोला। वह अक्सर पापा जी के सामने नहीं बोलता था। उसकी
कोशिश रहती थी कि उनके सामने न ही पड़े।
पूरी कहानी पढ़ें...
*
प्रवीण शर्मा की लघुकथा
राजनीतिक बाप
*
दिविक शर्मा का आलेख
२१वीं सदी का बाल-साहित्य: विभिन्न भाषाओं से अनुवाद के संदर्भ
में
*
डॉ राजेन्द्र गौतम की कलम से
नवगीत और जातीय
अस्मिता
*
पुनर्पाठ में कृपाशंकर तिवारी के विचार
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा |
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