पुरालेख तिथि-अनुसार। पुरालेख विषयानुसार हिंदी लिंक हमारे लेखक लेखकों से
SHUSHA HELP // UNICODE HELP / पता-


८. ३. २०१०

सप्ताह का विचार- आतंक का जन्म असंतोष से होता है असमानता से इसे हवा मिलती है और यह अपनी आग में हज़ारों को लेकर जल मरता है -मुक्ता

अनुभूति में-
ओमप्रकाश सिंह, आलम खुर्शीद, प्रतिभा सक्सेना, हेमंत रिछारिया और पराग मांदले की रचनाएँ

कलम गहौं नहिं हाथ- आज के अखबार में नोरा की तस्वीर मुखपृष्ठ पर है। नोरा पाँच साल की एक बिल्ली है जो पियानो बजाती है। ...आगे पढ़ें

सामयिकी में- छब्बीस फरवरी को प्रस्तुत भारतीय बजट पर पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के विचार- आँकड़ों का मकड़जाल

रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - गुनगुने पानी में नीबू और शहद मिलाकर रोज़ सुबह खाली पेट पीने से पेट साफ़ रहता है और चेहरे पर निखार आता है।

पुनर्पाठ में- ९ अप्रैल २००१ के अंक में विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरव गाथा के अंतर्गत प्रकाशित प्रेमचंद की चर्चित कहानी - कफ़न

क्या आप जानते हैं? कि नौकायन की कला का आविष्कार विश्व में सबसे पहले ६००० वर्ष पूर्व भारत की सिंधु घाटी में हुआ था।

शुक्रवार चौपाल- चौपाल में आजकल प्रति सप्ताह नाटकों के अभिनय पाठ का क्रम चल रहा है। इस सप्ताह मौलियर के नाटक कंजूस का... आगे पढ़ें

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-७ में वसंत और होली के रंगों से सराबोर गीतों-नवगीतों का मौसम अब भी प्रतिदिन जारी है।


हास परिहास

1
सप्ताह का कार्टून
कीर्तीश की कूची से

इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
पुष्पा सक्सेना की कहानी- विकल्प नहीं कोई

बम्बई से गोआ जाने वाले जहाज़ का अन्तिम साइरन बज चुका था। लंगर उठा। जहाज़ के चलते ही हर्ष-ध्वनि के साथ विदा के स्वर गूँज उठे नीचे डेक पर दरी-चादर बिछाए लोग अपेक्षाकृत प्रकृतिस्थ-से दीख रहे थे। केबिन में मनीष सामान सहेजने, उसे व्यवस्थित करने में व्यस्त थे। नन्हा राहुल उनका सहयोगी बना सहायता कर रहा था। रेलिंग पर टिकी सौम्या दूर तक फैले निस्सीम सागर को देखती कहीं खो चुकी थी। जहाज़ से टकराती लहरें मानो उसके सीने पर सिर पटक-पटक हाहाकार कर रही थीं। समानान्तर पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से जुड़े अरब सागर के साथ दस वर्षों पूर्व की सागर-यात्रा सजीव हो उठी थी। ''सुनो, तुम्हारा वो छोटा ब्रीफ़केस कहाँ है?'' मनीष की आवाज पर चौंककर सिर उठाती सौम्या की खोई-सी दृष्टि देख मनीष खीज उठे थे। ''क्या बात है? ठीक तो हो?  न जाने कहाँ खो जाती हो!  शायद कहानी का कोई प्लाट मिल गया है!'' स्वर में व्यंग्य घुल गया था। पूरी कहानी  पढ़ें...
*

अविनाश वाचस्पति का व्यंग्य
अब मैं रिक्शा खरीद ही लूँ
*

डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव से जानें-
पंचवटी- इतिहास से विज्ञान तक
*

गीता शर्मा के सौजन्य से साक्षात्कार में
हंगरी में हिंदी की गंगोत्री : मारिया नेज़्यैशी

*

गणगौर के अवसर पर प्रमिला कटरपंच
के साथ-
भँवर म्हाने खेलण दो गणगौर

पिछले सप्ताह होली विशेषांक में

अनूप कुमार शुक्ला का व्यंग्य
भीगे चुनर वाली
*

अवधेश कुमार शुक्ल का आलेख
ऋतु वसंत फूली सरसों

*

डॉ. दीपक आचार्य की कलम से
घोटिया अंबा में झरता नव वर्ष का संगीत
*

उपहार में- एक दो तीन
जावा आलेख होली की शुभकामनाओं के साथ

*

समकालीन कहानियों में यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी- ऐसी भी होली

लैब का काम जल्दी- जल्दी निपटा कर, वह एयरपोर्ट पहुँचा, तो पता चला कि न्यूयार्क से राले-डरहम की फ्लाईट विलंब से है, चलने से पहले तो उसने कई बार कंम्प्यूटर पर अमेरिकन एयर लाईन के सूचना विभाग से पता किया था, फ्लाईट समय पर थी. प्रत्यावर्तन के परिवर्तन से यह रोज़ की बात हो गई है.. कभी देर से, तो कभी फ्लाइट्स पहुँचतीं ही नहीं..उसकी दादी और माँ पहली बार अमेरिका आ रहीं हैं और वह उद्विग्न है, कोई उत्साह नहीं है उसमें... जिनको अपने पास बुलाने के लिए वह कभी बहुत उत्सुक था...आज उन्हीं रिश्तों से निर्लिप्त हो गया है वह... बस एक कर्तव्य की तरह सब कार्य कर रहा है। फ्लाईट एक घंटा देर से आ रही है, इस बीच वह घर वापिस नहीं जा सकता, आने जाने में ज़्यादा समय लग जायेगा, उसे यहीं बैठ कर फ्लाईट के आने की प्रतीक्षा करनी है... पूरी कहानी  पढ़ें...

अपनी प्रतिक्रिया लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

अभिव्यक्ति से जुड़ें आकर्षक विजेट के साथ

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
डाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसरहमारी पुस्तकें

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

पत्रिका की नियमित सूचना के लिए अभिव्यक्ति समूह के सदस्य बनें। यह निःशुल्क है।

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org

hit counter

आँकड़े विस्तार में
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०