सप्ताह का विचार-
आतंक का जन्म असंतोष से होता है
असमानता से इसे हवा मिलती है और यह अपनी आग में हज़ारों को लेकर
जल मरता है
-मुक्ता |
|
अनुभूति
में-
ओमप्रकाश सिंह, आलम खुर्शीद, प्रतिभा सक्सेना, हेमंत रिछारिया और
पराग मांदले की रचनाएँ |
कलम गहौं नहिं हाथ-
आज के अखबार में नोरा की
तस्वीर मुखपृष्ठ पर है। नोरा पाँच साल की एक बिल्ली है जो पियानो
बजाती है। ...आगे
पढ़ें |
सामयिकी में- छब्बीस
फरवरी को प्रस्तुत भारतीय बजट पर पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा
के विचार- आँकड़ों
का मकड़जाल |
रसोईघर से सौंदर्य सुझाव - गुनगुने पानी में नीबू और शहद
मिलाकर रोज़ सुबह खाली पेट पीने से पेट साफ़ रहता है और चेहरे पर
निखार आता है। |
पुनर्पाठ में- ९ अप्रैल २००१
के अंक में विशिष्ट कहानियों के स्तंभ गौरव गाथा के अंतर्गत
प्रकाशित प्रेमचंद की चर्चित
कहानी - कफ़न |
क्या आप जानते
हैं? कि नौकायन की कला का आविष्कार विश्व में सबसे पहले ६०००
वर्ष पूर्व भारत की सिंधु घाटी में हुआ था। |
शुक्रवार चौपाल- चौपाल में आजकल प्रति सप्ताह नाटकों के अभिनय
पाठ का क्रम चल रहा है। इस सप्ताह मौलियर के नाटक कंजूस का...
आगे पढ़ें |
नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला-७ में वसंत और होली के
रंगों से सराबोर गीतों-नवगीतों का मौसम अब भी प्रतिदिन जारी है। |
हास
परिहास |
1
सप्ताह का
कार्टून
कीर्तीश की कूची से |
|
|
इस सप्ताह
समकालीन कहानियों में
यू.एस.ए. से
पुष्पा सक्सेना की कहानी-
विकल्प नहीं कोई
बम्बई से गोआ
जाने वाले जहाज़ का अन्तिम साइरन बज चुका था। लंगर उठा। जहाज़
के चलते ही हर्ष-ध्वनि के साथ विदा के स्वर गूँज उठे नीचे डेक
पर दरी-चादर बिछाए लोग अपेक्षाकृत प्रकृतिस्थ-से दीख रहे थे।
केबिन में मनीष सामान सहेजने, उसे व्यवस्थित करने में व्यस्त
थे। नन्हा राहुल उनका सहयोगी बना सहायता कर रहा था। रेलिंग पर
टिकी सौम्या दूर तक फैले निस्सीम सागर को देखती कहीं खो चुकी
थी। जहाज़ से टकराती लहरें मानो उसके सीने पर सिर पटक-पटक
हाहाकार कर रही थीं। समानान्तर पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से
जुड़े अरब सागर के साथ दस वर्षों पूर्व की सागर-यात्रा सजीव हो
उठी थी। ''सुनो, तुम्हारा वो छोटा ब्रीफ़केस कहाँ है?'' मनीष की
आवाज पर चौंककर सिर उठाती सौम्या की खोई-सी दृष्टि देख मनीष
खीज उठे थे।
''क्या बात है? ठीक तो हो? न जाने कहाँ खो जाती हो! शायद
कहानी का कोई प्लाट मिल गया है!'' स्वर में व्यंग्य घुल गया
था।
पूरी कहानी पढ़ें...
*
अविनाश
वाचस्पति का व्यंग्य
अब मैं रिक्शा खरीद ही लूँ
*
डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव से जानें-
पंचवटी- इतिहास से विज्ञान तक
*
गीता शर्मा के
सौजन्य से साक्षात्कार में
हंगरी
में हिंदी की गंगोत्री : मारिया नेज़्यैशी
*
गणगौर के अवसर पर प्रमिला
कटरपंच
के साथ-
भँवर म्हाने
खेलण दो गणगौर |
|
|
पिछले सप्ताह होली विशेषांक
में
अनूप कुमार
शुक्ला का व्यंग्य
भीगे चुनर वाली
*
अवधेश कुमार
शुक्ल का आलेख
ऋतु वसंत फूली सरसों
*
डॉ. दीपक
आचार्य की कलम से
घोटिया अंबा
में झरता नव वर्ष का संगीत
*
उपहार में-
एक
दो
तीन
जावा आलेख होली की शुभकामनाओं के साथ
*
समकालीन कहानियों में
यू.एस.ए. से
सुधा ओम ढींगरा की कहानी-
ऐसी भी होली
लैब का काम
जल्दी- जल्दी निपटा कर, वह एयरपोर्ट पहुँचा, तो पता चला कि
न्यूयार्क से राले-डरहम की फ्लाईट विलंब से है, चलने से पहले
तो उसने कई बार कंम्प्यूटर पर अमेरिकन एयर लाईन के सूचना विभाग
से पता किया था, फ्लाईट समय पर थी. प्रत्यावर्तन के परिवर्तन
से यह रोज़ की बात हो गई है.. कभी देर से, तो कभी फ्लाइट्स
पहुँचतीं ही नहीं..उसकी दादी और माँ पहली बार अमेरिका आ रहीं
हैं और वह उद्विग्न है, कोई उत्साह नहीं है उसमें... जिनको
अपने पास बुलाने के लिए वह कभी बहुत उत्सुक था...आज उन्हीं
रिश्तों से निर्लिप्त हो गया है वह... बस एक कर्तव्य की तरह सब
कार्य कर रहा है। फ्लाईट एक घंटा देर से आ रही है, इस बीच वह
घर वापिस नहीं जा सकता, आने जाने में ज़्यादा समय लग जायेगा,
उसे यहीं बैठ कर फ्लाईट के आने की प्रतीक्षा करनी है...
पूरी कहानी पढ़ें...
|