सप्ताह का विचार-
महापुरुषों का सर्वश्रेष्ठ
सम्मान हम उनका अनुकरण कर के ही कर सकते हैं।
- महात्मा गांधी |
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अनुभूति
में-
महेश अनघ, प्राण शर्मा, आर. पी. शुक्ल, प्रतापनारायण सिंह, और
नीलम श्रीवास्तव की रचनाएँ। |
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इस सप्ताह
कथा महोत्सव में पुरस्कृत
मनमोहन भाटिया की कहानी
शिक्षा
मुख्य
राजमार्ग से कटती एक संकरी सड़क आठ किलोमीटर के बाद नहर पर
समाप्त हो जाती है। नहर पार जाने के लिए कच्चा पुल एकमात्र
साधन है। जब नहर में अधिक पानी छोड़ा जाता है, तब पुल टूट जाता
है और नाव से नहर पार जाया जाता है। अस्थायी पुल जिसे नहर पार
के गाँव निवासी खुद बनाते है, बरसात के महीनों में और अधिक
पानी के आ जाने पर टूट जाता है। सरकार ने कभी पुल को पक्का
करने की नहीं सोची। नहर के पार गाँवों में गरीब परिवारों की
संख्या अधिक है। आधे छोटे खेतों में फसल बो कर गुज़ारा करने
वाले हैं और आधे दूध बेचने का काम करते हैं। गाय, भैंसें पाल
रखी हैं, जिनका दूध वे मुख्य राजमार्ग पर बसे शहर में बेचने
जाते हैं। शिक्षा से गाँव वालों का दूर-दूर तक को वास्ता नहीं
है। ऐसा लगता था, कि नहर पार आधुनिक सभ्यता ने अपने पैर अभी तक
नहीं रखे हैं।
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अविनाश
वाचस्पति
का व्यंग्य
भिखारियों से भेदभाव
क्यों
*
स्वदेश राणा का धारावाहिक
नचे मुंडे दी माँ
का तीसरा भाग
*11
आज सिरहाने उषा
वर्मा द्वारा संपादित
प्रवास में पहली कहानी
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फुलवारी में कस्तूरी मृग के विषय में
जानकारी,
शिशु गीत और
शिल्प
1 |
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पिछले सप्ताह-
प्रेम जनमेजय का
व्यंग्य
अँधेरे के पक्ष में
उजाला
*
स्वदेश राणा का
धारावाहिक
नचे मुंडे दी माँ का दूसरा भाग
*1
वेद प्रताप
वैदिक का दृष्टिकोण
इंदिरा गांधी ने बनाया भारत को महाशक्ति
*
नरेन्द्र
पुंडरीक का आलेख
जीवन सत्य के
उद्घोषक कवि केदारनाथ
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समकालीन कहानियों में
भारत से
रूपसिंह चन्देल
की कहानी
हादसा
पर्यावरण के
संबन्ध में उसे इंडिया इंटरनेशनल सेण्टर में वक्तव्य देना था।
हारवर्ड विश्वविद्यालय से 'पर्यावरण प्रबन्धन' की उपाधि लेकर
जब एक साल पहले वह स्वदेश लौटा, सरकार के पर्यावरण विभाग ने
उसकी सेवाएँ लेने के लिए कई प्रस्ताव भेजे। लेकिन स्वयं कुछ
करने के उद्देश्य से उसने सरकारी प्रस्तावों पर उदासीनता
दिखाई। वह जानता है कि ऐसी किसी संस्था से बँधने से उसकी
स्वतंत्रोन्मुख सोच और विकास बाधित होंगे। वह स्वयं को अपने
देश तक ही सीमित नहीं रखना चाहता, बावजूद इसके कि वह अपना
सर्वश्रेष्ठ देश के लिए देना चाहता है।
पर्किंग से गाड़ी निकालते समय पिता ने पूछा,
''अमि,
(उसका
पूरा नाम अमित है ) कब तक लौट आओगे?''
''दो
घण्टे का सेमीनार है बाबू जी।.... नौ तो बज ही जाएँगे।''
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