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कलम गही नहिं हाथ  


 

 

कचरा करे कमाल

पिछले पचीस वर्षों में संयुक्त अरब इमारात देश निर्माण के भयंकर दौर से गुजरा है। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की इमारतों में अपना नाम शामिल करने की दौड़, व्यापार में विस्तार की महत्त्वाकांक्षा और विकास की उड़ान में सहायता देने के लिए इस देश में बसनेवाले लगभग ७० प्रतिशत लोग विदेशी हैं। इतने सारे लोगों के लिए आवासीय इमारतों का निर्माण भी युद्धस्तर पर हुआ है, बगीचे लगे हैं और रेगिस्तान को हरा भरा कर दिया गया है। आबादी भी तेजी़ से बढ़ी है और साथ ही बढ़ा है कचरा। हाल ही में प्रकाशित आँकड़ों में यह तथ्य सामने आया है कि सारे विश्व की तुलना में एक इमाराती चार गुना अधिक कचरा फेंकता है। जहाँ विकसित विश्व में प्रति व्यक्ति १.५ किलो कचरा फेंका जाता है वहीं इमारात में हर व्यक्ति प्रतिदन ४.२ किलो कचरा फेंकता है। इस कचरे का सदुपयोग अभी तक जमीन को समतल करने और गड्ढों को भरने में होता आया है। लेकिन अब सरकार को इस बढ़ते हुए कचरे से पर्यावरण के विनाश का भय सताने लगा है।

इससे निबटने के लिए अबूधाबी के वेस्ट मैनेजमेंट केंद्र ने इमाराती नागरिकों के लिए पुनर्प्रयोग (रिसायकलिंग) की सरल, प्रभावी और लोकप्रिय विधियों को प्रस्तुत किया है। इसके अंतर्गत शीशा, प्लास्टिक और कागज के कचरे को इकट्ठा करने के अलग-अलग प्रकार के सुंदर डिब्बे सड़कों की शोभा बढ़ाने लगे हैं। इन्हें इस प्रकार वितरित किया गया है कि हर सड़क और हर घर तक इनकी पहुँच बनी रहे। इन डिब्बों की ऊँचाई इस प्रकार की है कि छोटे बच्चे भी सुविधा से मीठे पेय के कैन और पानी वाली प्लास्टिक की बोतलें इनमें फेंक सकते हैं। इस कूड़े को अलग अलग ट्रकों में भरकर रिसायकिल करने के लिए सही स्थान पर पहुँचाया जाएगा। वेस्ट मैनेटमेंट प्रबंधक का कहना है कि इस प्रकार कचरे को नीची जमीन भरने की बजाय अधिक महत्त्वपूर्ण कामों में लगाया जाएगा और अनुपयोगी शीशा-प्लास्टिक-कागज की रिसायकलिंग पर्यावरण को सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।  कुल मिलाकर यह कि कचरे ने कमाल कर दिया है। इसके कारण सड़कों पर सजावट तो हुई ही है, बच्चों को सारे दिन के लिए एक नया काम मिल गया है (नए रंगीन कूड़े के डिब्बे में बोतल फेंककर आने का), साथ ही रिसायकलिंग के व्यवसाय को भी विस्तार मिल गया है।

रिसायकलिंग के लिए अखबार और गत्तों को इकट्ठा करने की योजना इमारात में पहले ही शुरू की जा चुकी है। सुपर मार्केट में प्लास्टिक के लिफ़ाफों की स्थान पर जूट से बने बार-बार प्रयोग में लाए जाने वाले थैलों का प्रयोग भी शुरू हो गया है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय दूकाने पहले ही रिसायकिल किए गए कागज से बने मोटे और मजबूत थैलों का प्रयोग कर रही हैं। इन सभी योजनाओं को सफल बनाने में समाचार पत्रों और स्वयंसेवी संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही ही। आशा है यह अभियान भी सफल होगा और अनेक विकसित देशों की तरह इमारात में भी लोग कचरा घर में ही अलग अलग कर के फेंकने के तरीके को जल्दी ही अपना लेंगे। आखिर सरकारी योजनाएँ तो तभी सफल होती हैं जब जन सामान्य उसका ठीक से पालन करते हैं।

पूर्णिमा वर्मन
९ नवंबर २००९
 

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