पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव उर्फ रवि रतलामी की
हार्दिक
बधाई
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पर्व
परिचय में
दीपिका जोशी मना रही हैं
करवाचौथ
°
रसोईघर
में
अभी से तैयार हो रहे हैं
दीपावली
के पकवान
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घर
परिवार में
अर्बुदा ओहरी कर रही हैं
सुबह
के नाश्ते को सलाम
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नाटकों
में
भारत से शिबन
कृष्ण रैणा का नाटक
श्रीभट्ट
सुलतान जैनुलाबदीन 'बड़शाह'
कश्मीर के बड़े ही लोकप्रिय शासक हुए
हैं। जनता प्यार से
उन्हें 'बड़शाह' के नाम से
पुकारती थी। एक बार उनकी छाती पर एक जानलेवा
फोड़ा हुआ जिसका इलाज बड़े से बड़े हकीम और वैद्य भी न कर सके। देश
विदेश से नामवर हकीमों को
बुलाया गया मगर वे सभी नाकाम रहे। तब कश्मीर के ही एक हकीम पंडित
श्रीभट्ट ने अपनी समझदारी और अनुभव से 'बड़शाह' का इलाज किया और उन्हें सेहत बख़्शी। बादशाह सलामत ने
इस एहसान के बदले में श्रीभट्ट के लिए शाही खज़ानों के मुंह खोल दिए और उन्हें कुछ
मांगने के लिए अनुरोध किया। श्रीभट्ट ने जो मांगा वह कश्मीर के इतिहास
का एक ऐसा बेमिसाल पन्ना है जिसपर समूची कश्मीरी पंडित बिरादरी को
गर्व है।
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इस
सप्ताह
1
दीपावली
विशेषांक में
डॉ हरिसुमन बिष्ट की
कहानी
हवाघर
"दीपावली
के अभी दो दिन बाकी हैं।"
"हां साब! दो दिन दो माह दो साल भी हो सकते
हैं, बहुत बड़ा देश है नेपाल, मुझे तो अपना मुल्क
डोटी तक ही जाना है।" उसका सदा मुस्कराने वाला
चेहरा सफ़ेद फीका पड़ गया, वह कुछ कहना चाहता था पर
कह नहीं सका, बचपन से वह हमारी कॉलोनी में आता-जाता
था, यहां की हवा-पानी में उसकी पहचान शामिल हो
गई थीं, कॉलोनी से उसका जीवन जुड़ गया था।
माल, लोअर बाज़ार से घर- गृहस्थी का बोझ ही
नहीं, जीवन-मरण के काम भी वह स्नोडन तक करता था,
किंतु आज उसके सफ़ेद चेहरे को देखकर सारी
उम्मीदें बेमानी लग रही थी। "आओ, वहां बैंच
पर बैठते हैं।" मैंने कहा, मन हुआ कि उसकी बांह
थामकर हवाघर तक ले चलूं।
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हास्य
व्यंग्य में
अभिनव शुक्ल का राजनीतिविश्लेषण
विभीषण
की सरकार
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साहित्यिक
निबंध में
मनोहर पुरी का विस्तृत विवरण
पर्व
पुंज दीपावली
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ललित
निबंध में
रमेश तिवारी 'विराम' का आलेख
ज्योतिपर्व
की जय
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दृष्टिकोण
में
रमेश गौतम के विचार
तुलसी
कथा
रघुनाथ की
सप्ताह का
विचार
केवल
प्रकाश का अभाव ही अंधकार नहीं, प्रकाश की अति भी मनुष्य
की आंखों के लिए अंधकार है।स्वामी
रामतीर्थ
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दिवाली की
रौशनी से झिलमिलाती ढेर सी
दीपावली कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
तलवारमधुसूदन आनंद
पुराने
कपड़ेशरद सिंह
लौटते हुएसी पी श्रीरामन
बाबू
जीडा शिबन कृष्ण रैणा
भटकनसंतोष गोयल
गुलाबी हाथीदीपक
शर्मा
°
हास्य
व्यंग्य में
रहस्य
रामवनवास काजवाहर चौधरी
कहां रहती
हो तुम, जाना समीर लाल
हिंदी
की स्थितिअनूप कुमार शुक्ल
समाजसेवाअंतरा करवड़े
°
पर्व
परिचय में
रणवीर सेठी का आलेख
नेपाल
का दशहरा
°
कला
दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष
दीर्घा
लोक
कलाकृतियों में दुर्गा
°
फुलवारी में
दशहरे के लिए बनाएं
दुर्गा
का मुखौटा
°
विज्ञान
वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप के साथ मंगल ग्रह पर
रोवर
बग्घियों के आगे
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर
श्रीवास्तव सिखा रहे हैं
दाहिने क्लिक का कमाल
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फिल्म
इल्म में
भावना कुंअर परख रही हैं
हृषिदा
का फिल्म संसार
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