पिछले
सप्ताह
कहानियों
में
चंडीगढ़ पंजाब से डा नरेश की कहानी
पराजित क्षण
वह उठ
खड़ी हुई। उसने अपने कपड़े ज़रासे दुरूस्त किए, दरवाज़ा खोला
और बाहर निकल गई। मैं उसी तरह अधलेटासा पड़ा रहा।
कमरे के बाहर वाले बरामदे में से मुझे उसकी आवाज़ सुनाई दी,
"टैक्सी।"
किसी टैक्सी के पोर्टिको में रूकने की,
टैक्सी का दरवाज़ा खुलने की, बन्द होने की, फिर से स्टार्ट होने की,
चल देने की आवाज़ भी मैंने सुनी। लेकिन मैं अपनी जगह
से हिला नहीं, उठा नहीं।
°
परिक्रमा
में
लंदन पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल का आलेख
एक था राजा
और नार्वे निवेदन में शरद आलोक
का आलेख
और नहीं युद्ध
°
पर्यटन
में
हैदराबाद के ऐतिहासिक
किले की
विशेषताओं से एक परिचय
कोहिनूर
का घर गोलकुंडा
°
संस्मरण
में
तारकेश्वरी सिन्हा का आलेख
संसद में नहीं
हूं झक मार रही हूं
°
कला
दीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
नारायण
श्रीधर बेंद्रे
अपनी दो कलाकृतियों के साथ
°
1सप्ताह
का विचार
शाश्वत
शान्ति की प्रााप्ति के लिए शान्ति की इच्छा नहीं . बल्कि
आवश्यक है इच्छाओं की शान्ति।
ॐस्वामी ज्ञानानन्द
|
|
|
|
इस
सप्ताह
पर्व परिचय में
1 मार्च महाशिवरात्रि के
अवसर पर
उषा खुराना का आलेख
मॉरिशस में शिवरात्रि
°
विज्ञान वार्ता में
क्लोनिंग के विषय में डा गुरूदयाल
प्रदीप से कुछ और जानकारी
डाली रे डाली
°
हास्यव्यंग्य
में
महेश द्विवेदी का ताज़ा व्यंग्य
हरभजन
सिंह का जूता
°
गौरव
गाथा में
सआदत हसन मंटो की कहानी
टोबा टेक सिंह
किसी को भी मालूम नहीं था कि
टोबा टेक सिंह पाकिस्तान में हैं या
हिंदुस्तान में, जो बताने की कोशिश
करते थे वह खुद इस उलझाव में
गिरफ्तार हो जाते
थे कि सियालकोट
पहले हिंदुस्तान में होता था, पर अब
सुना है कि
पाकिस्तान में हैं . . .क्या पता
है कि लाहौर जो आज पकिस्तान
में हैं,
कल हिंदुस्तान में चला जाए . . .या सारा
हिंदुस्तान
ही पाकिस्तान बन जाए . .
.और यह भी कौन सीने पर हाथ रखकर
कह सकता है कि हिंदुस्तान और
पाकिस्तान, दोनों किसी दिन सिरे से
गायब ही हो जाएं . . .!
°
धारावाहिक में
'सागर के इस पार से उस पार से'
की अगली किस्त
हाथ
झारि के चले जुआरी
निमंत्रण
अभिव्यक्ति 'कथा महोत्सव 2003' के प्रतियोगियों को
धन्यवाद। विजेता प्रतियोगियों कहानियां पहली अप्रैल
से प्रकाशित
होंगी।
विस्तृत
विवरण
|
|
|
°
पिछले अंकों से °
आज
सिरहाने में
कृष्ण बिहारी का कहानी संग्रह
दो
औरतें
°
निबंध
में
नेपाल से संजीता वर्मा का
आलेख
कला और सौंदर्य
°
प्रेरक
प्रसंग में
शैल अग्रवाल की
बोध कथा
दिन और रात
°
रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई का मस्त
ज़ायका
खोया
मटर
°
कहानियां
साहित्य संगम
में
जीवित
और मृतरवींद्रनाथ ठाकुर
महानगर की कहानियों में
कुकिंग
क्लासेज.सूरज प्रकाश
गौरव गाथा में
पहेलीउपेन्द्रनाथ
अश्क
कहानियों में
प्रोग्रामिंगराजेश जैन
°°
परिक्रमा
में
दिल्ली दरबार में बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख अलविदा
कल्पना! अलविदा बच्चन!!
°
|