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२४ दिसंबर २००२

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इस सप्ताह

कहानियों में
अन्विता अब्बी की कहानी
रबरबैंड

उसने सोने से पहले मीनू की तरफ देखा था जो बेखबर उसकी साथ वाली चारपाई पर सो रही थी।  फिर उसे भाई का खयाल हो आया था और इससे पहले कि वह भाई के निश्चय की बात याद करती उसने आंखें बन्द कर ली थीं।  वह केवल सो जाना चाहती थी... वह भूल जाना चाहती थी कि भाई कल रात के प्लेन से कनाडा जा रहे हैं और उन्होंने मां से स्पष्ट कह दिया है कि वे आर्थिक तौर पर अब कुछ भी सहायता नहीं कर पाएंगे। भाई ने ऐसा निश्चय क्यों कर लिया, उसे समझ नहीं आ रहा था।

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पर्व परिचय में
क्रिसमस के विषय में जानकारियों से
भरपूर गीतांजलि सक्सेना
का लेख
क्रिसमस : कुछ तथ्य

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संस्मरण में
रानी पात्रिक की कलम से अमरीकी ससुराल में मनाए गए पहले क्रिसमस की मधुर स्मृतियां
क्रिसमसः जो ढोलक की थाप पर पूरा हुआ

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पर्यटन में
आस्टि्रया की राजधानी वियना के दार्शनिक स्थलों की जानकारी पर्यटक की कलम से
विचरना वियना में

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परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यूके से शैल अग्रवाल प्रस्तुत कर रही हैं बीते साल पर एक विहंगम दृष्टि
अल्विदा दो हज़ार दो

सप्ताह का विचार

लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही
 में पनपना संदेहास्पद है।
— जयप्रकाश नारायण
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पिछले सप्ताह

कला दीर्घा में
कला और कलाकार के अंतर्गत
के के हेब्बार  का परिचय उनकी दो कलाकृतियों के साथ
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धारावाहिक में
सुपचरित लेखक अभिज्ञात की आत्मकथा का अगला भाग
सुख है कि उनके जाने का यकीं नहीं
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प्रेरक प्रसंग में
प्रख्यात कथाकार व उपन्यासकार प्रेमचंद के जीवन से एक प्रेरणाप्रद प्रसंग
प्रेमचंद की गाय
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फिल्म इल्म में
 इस माह की प्रमुख फिल्मों 
कर्ज, रिश्ते, मसीहा और साथिया  
से परिचय दीपिका जोशी के साथ 
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सहित्य संगम में
लक्ष्मी रमणन की तमिल कहानी का हिंदी रूपांतर- टूटा हुआ स्वर

उनकी गुरू गंभीर और सुस्पष्ट वाणी
मंदिर के घंटे की नाद–ध्वनि के सहज
गूंज उठी।  सभी स्वर उचित स्थान पर व्यक्त हुए।  मैं स्वभाव से ही बहुत सकुचाने वाली थी उन दिनों।  इसलिए जब संगीतज्ञ गुरूमूर्तिजी मुझे संगीत की शिक्षा देने के लिए आये तो बस उनकी वाणी सुनती रही, सिर उठाकर उन्हें देखने से डरती रही।  पूरा–पूरा ध्यान उन्हीं की वाणी पर केंद्रित था। अचानक उन्होंने प्रश्न किया। "कितने कीर्तन सीखे हैं तुमने?"

निमंत्रण

अभिव्यक्ति की ओर से 'कथा महोत्सव 2003' के लिये भारत के नागरिक व भारत के निवासी हिन्दी कथाकारों की कहानियाँ आमंत्रित की जाती हैं। चुनी हुयी कहानियों को अभिव्यक्ति के जाल संकलन 'माटी की गंध' में संकलित किया जायेगा।
       
1विस्तृत सूचना1

पिछले अंक से-

कहानियों में

गौरवगाथा में लोकप्रिय लेखक
अमरकांत की कहानी 
दोपहर का भोजन

महानगर की कहानियाँ
में सूरज प्रकाश की लघुकथा
ग्लोबलाइज़ेशन

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हास्य व्यंग्य में महेश द्विवेदी 
का लेख
सू पुराण

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निबंध में आशीष गर्ग का
विचारोत्तेजक लेख
भारतीय भाषाओं
का पुनरून्थान कैसे?

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फुलवारी के पाठकों के लिये
शिशुगीतों का एक पूरा संकलन
जग का मेला

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रसोई घर में मिठाइयों के क्रम में
रसीले
गुलाब जामुन और 
चटपटी
भेल पूरी

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परिक्रमा में
दिल्ली दरबार
के अंतर्गत बृजेशकुमार
द्वारा
भारत से गत माह की घटनाओं
का लेखाजोखा
पुतिन की भारत यात्रा

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कनाडा कमान
के अंतर्गत कैनेडा के
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक सुमन घई की कलम से
हिन्दी साहित्य सभा की वार्षिक सांस्कृतिक संध्या

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन, सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला

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