समकालीन
कहानियों में यू.के. से
कादंबरी मेहरा की कहानी
एक खत
इंटरनेट पर किसी ने एक नसीहती
सन्देश भेजा है।
'' हैपी बर्थडे! आप आज सत्तर वर्ष के हो गए! अब समय आ गया है
कि गैरज़रूरी सामान को अपने हाथों से दान कर दें। पुराने,
बेकार कागज़ पत्तर छाँट कर फाड़ दें। आपके शरीर की ताक़तें
दिन-बा दिन कम होती जायेंगी। बची हुई ताक़त व समय को सेहत
बनाने पर खर्चें ...''
सन्देश तो बहुत लंबा है। मेरी बीवी निशा चाय ले आई है। सुबह का
दस बज रहा है। बर्थडे का तोहफा ---ब्रेकफास्ट इन बेड! रोज़
महारानी सोई रहती है। बेहद वज़नदार नौकरी करती थी। सुबह तारों
की छाँव जाती थी और शाम को तारों की छाँव घर पहुँचती थी। अब
उसे हक है देर तक सोने का। सर्दी भी तो देखिये! बाहर बर्फ जमी
है। माईनस चार तापमान! बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं उठता।
मैंने उसे लैपटॉप पर आया सन्देश पढवा दिया। महा गलती करी...
आगे-
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डॉ. सुरेश अवस्थी का व्यंग्य
चौराहे पर ठंड पेट
में अलाव
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घर परिवार में-
डॉ. भावना कुँअर
का आलेख- सर्दियों में सर्दी
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डॉ. अशोक उदयवाल से जानें
सर्दी की दुआ बथुआ
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बच्चों के लिये फुलवारी में
पूर्णिमा वर्मन
की कविता- सर्दी में
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