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 १. १०. २०१७

इस माह-

1
अनुभूति में-
दीपावली के अवसर पर अनेक विधाओं में विभिन्न रचनाकारों की मनमोहक रचनाएँ।

-- घर परिवार में

रसोईघर में- इस माह दीपावली के अवसर पर हमारी रसोई संपादक शुचि प्रस्तुत कर रही हैं- दीपावली के पकवान

स्वास्थ्य में- मस्तिष्क को सदा स्वस्थ, सक्रिय और स्फूर्तिदायक बनाए रखने के २४ उपाय- १३- सिर की सुरक्षा पर ध्यान दें

बागबानी- के अंतर्गत घर की सुख स्वास्थ्य और समृद्धि के लिये शुभ पौधों की शृंखला में इस पखवारे प्रस्तुत है- १३- पचीरा पौधा

भारत के सर्वश्रेष्ठ गाँव- जो हम सबके लिये प्रेरणादायक हैं- ३- भारत का पहला नकद मुक्त गाँव अकोदरा।

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- इस माह (अक्तूबर) की विभिन्न तिथियों में) कितने गौरवशाली भारतीय नागरिकों ने जन्म लिया? ...विस्तार से

संग्रह और संकलन- में प्रस्तुत है- जगदीश पंकज की कलम से अवध बिहारी श्रीवास्तव के नवगीत संग्रह- ''बस्ती के भीतर'' का परिचय।

वर्ग पहेली- २९४
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
जयनंदन-की-कहानी- छठ तलैया

सुगनी जो रोब हुई वियोग से
आदित होऊ न सहाय
सुगवा जो मारबो धनुख से
सुगा गिरे मुरुझाय

दशहरा के बाद कातिक हेलते ही हुलसी मम्मा (दादी) के भीतर अपने आप छठी-मैया के गीत बजने और उसी तर्ज पर होंठ फड़फड़ करने लगे हैं। बार-बार उसका ध्यान उसी पर जाकर टिकने लगा है। कैसे निभेगा ई बच्छर (इस वर्ष) मैया का बरत उसकी जर्जर बूढ़ी देह से और कैसे वह इस पराधीन शहर में भिड़ा पायेगी कोई जुगत? गाँव में रहती तो कोई न कोई रास्ता वह निकाल ही लेती। जबसे उसने अपनी सास द्वारा हस्तांतरित कई पुश्तों से चले आ रहे इस व्रत को घर की अन्य जिम्मेदारियों के साथ ग्रहण किया है तब से आज तक एक बार भी नागा नहीं किया। हालाँकि पिछले साल उसकी हिम्मत ने जवाब दे दिया था, फिर भी उसने जोखिम उठाकर किसी तरह पूरा कर लिया। मगर इस बीच एक साल में उसकी असमर्थता ने उसे बड़ी तेजी से बहुत बुरा दबोचा है। मम्मा को अपने इस दुर्भाग्य पर रोना आता है कि उसके बेटे-बहू छठ अथवा अन्य...आगे-
*

रघुविन्द्र यादव की लघुकथा
उपकार का बदला
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रवीन्द्र उपाध्याय का आलेख-
द्यूत-क्रीडा इतिहास के पन्नों से

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महेन्द्र भानावत से संस्कृति में
गोवर्धन-पूजा, गोबर और गो संस्कृति
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चिरंतन से पर्व परिचय में जानें
दीपोत्सव के प्रारंभ का इतिहास

पिछले माह-

राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी का
 प्रेरक प्रसंग- गाँव क्यों उजड़ा
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अर्पण कुमार का आलेख-
वैश्विक हिंदी साहित्य
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राहुल खटे का दृष्टिकोण
भारत की शिक्षा और राजभाषा नीति
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पुनर्पाठ में सुषम बेदी का आलेख
प्रवासियों में हिन्दी- दशा और दिशा

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
सुशांत सुप्रिय-की-कहानी- पिता के नाम

चालीसवें जन्मदिन पर आपका बधाई-कार्ड मिला। आपके अक्षर सत्तर साल की उम्र में भी वैसे ही गोल-गोल मोतियों जैसे हैं जैसे पहले होते थे। आपकी हर चिट्ठी को मैंने सहेज कर रखा है, अपने ख़ज़ाने में। ये चिट्ठियाँ मेरी धरोहर हैं, विरासत हैं। भाग-दौड़ भरे जीवन के संघर्षों में कभी अकेला या कमज़ोर पड़ने लगता हूँ तो आपकी चिट्ठियाँ खोल कर पढ़ लेता हूँ। बड़ा सम्बल मिलता है। पिताजी, उम्र के इस पड़ाव पर आकर पीछे मुड़ कर देखना अच्छा लगता है। आज मैं आपको कुछ बताना चाहता हूँ। कुछ अनकही बातें हैं जिन्हें कहना चाहता हूँ। कुछ अनछुए कोने हैं जिन्हें छूना चाहता हूँ। पिताजी, मुझे हमेशा इस बात का गर्व रहा कि मुझे आप जैसा पिता मिला। जब मैं छोटा था तो आपने मुझे गहरी जड़ें दीं। जब मैं बड़ा हुआ तो आपने मुझे पंख दिए। आपने मुझे प्रेरित किया कि मैं अपनी आँखों से सपने देखूँ, दूसरों की आँखों से नहीं। जब मैं ख़ुद को ढूँढ़ने की यात्रा पर निकला तो आपने मुझे उम्मीद दी। जब मैं अपनी नियति को पाने निकला तो आपने मुझे उत्साह दिया। आपने मुझे अपने हृदय की...आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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