अभिव्यक्ति-समूह : फेसबुक पर

पुरालेख तिथि-अनुसार पुरालेख विषयानुसार हमारे लेखक
तुक कोश // शब्दकोश // पता-

लेखकों से
 १. १०. २०१६

इस पखवारे-

1
अनुभूति-में
- राकेश चक्र, आभा सक्सेना, अनिता मांडा, मनोहर अभय और अमृत खरे की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई संपादक शुचि लाई हैं नवमी की पूजा के लिये सूजी के हलवे और पूरी के साथ बिना प्याज लहसुन के- काले चने

फेंगशुई में- २४ नियम जो घर में सुख समृद्धि लाकर जीवन को सुखमय बना सकते हैं- १९- फेंगशुई पौधे

बागबानी- के अंतर्गत लटकने वाली फूल-टोकरियों के विषय में कुछ उपयोगी सुझाव- १९- नैस्टर्शम की सिंदूरी आभा

सुंदर घर- शयनकक्ष को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो इसके रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- १९- एक रंग में प्रिंट और प्लेन

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- आज के दिन (१ अक्तूबर को) १९०१ में प्रताप सिंह कैरों, १९०६ में सचिनदेव बर्मन, १९१९ में मजरूह सुल्तानपुरी... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में प्रस्तुत है- जगदीश पंकज तथा वेद प्रकाश शर्मा की कलम से मयंक श्रीवास्तव के नवगीत संग्रह- ठहरा हुआ समय का परिचय।

वर्ग पहेली- २७७
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
सुधा अरोड़ा की कहानी उधड़ा हुआ स्वेटर

यों तो उस पार्क को लवर्स पार्क कहा जाता था पर उसमें टहलने वाले ज्यादातर लोगों की गिनती वरिष्ठ नागरिकों में की जा सकती थी। युवाओं में अलस्सुबह उठने, जूते के तस्मे बाँधने और दौड़ लगाने का न धीरज था, न जरूरत। वे शाम के वक्त इस अभिजात इलाके के पंचसितारा जिम में पाए जाते थे- ट्रेडमिल पर हाँफ-हाँफ कर पसीना बहाते हुए और बाद में बेशकीमती तौलियों से रगड़-रगड़ कर चेहरे को चमकाते और खूबसूरत लंबे गिलासों में गाजर-चुकन्दर का महँगा जूस पीते हुए। लवर्स पार्क इनके दादा-दादियों से आबाद रहता था। सुबह-सबेरे जब सूरज अपनी ललाई छोड़कर गुलाबी चमक ले रहा होता, छरहरी-सी दिखती एक अधेड़ औरत अपनी बिल्डिंग के गेट से इस पार्क में दाखिल होती, चार-पाँच चक्कर लगाती और बैठ जाती। अकेली। बेंच पर। वह बेंच जैसे खास उसके लिए रिज़र्व थी। तीन ओर छोटे पेड़ों का झुरमुट और सामने बच्चों का स्लाइड और झूला, जिसके इर्द-गिर्द जापानी मिट्टी के रंगबिरंगे सैंड पिट खाँचे बने थे, जहाँ बच्चे... आगे-
*

डॉ. सरोजिनी प्रीतम का व्यंग्य
फिर से सुर्खियों में
*

सतीश जायसवाल की नगरनामा
इलाहाबाद अब उदास करता है
*

चीन से गुणशेखर की पाती
स्त्रीशक्ति भारत और चीन
*

पुनर्पाठ में अतुल अरोरा के संस्मरण
''बड़ी सड़क की तेज गली में'' का दूसरा भाग

पिछले पखवारे-

डॉ. सरस्वती माथुर की
लघुकथा- राजदार
*

डॉ॰प्रसन्न कुमार बराल द्वारा
कवि सीताकान्त महापात्र से साक्षात्कार
*

डॉ विद्युल्लता का ललित निबंध
लालचंपा का पेड़

*

पुनर्पाठ में अतुल अरोरा के संस्मरण
''बड़ी सड़क की तेज गली में'' का पहला भाग

*

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
दीप्ति मित्तल की कहानी एक थी बिन्नो

एक थी बिन्नो, उसके बचपने में देखा था उसे...साँवले दुबले तन पर मैले-कुचैले चिथड़े, तेल चिपुड़े बालों की कस कर गुंथी चोटी और उसमें लगे लाल रिबन, आँखों में लिपा ढेर सारा काजल, माथे के बीचों-बीच बडा सा काला टीका, तुनक भरी चाल, खीजती आँखेँ, झल्लाये बोल... लगा ही नहीं था कि जीवन के संघर्षों में जूझती-पिसती स्त्री की सी भावभंगिमा लिये यह लड़की महज आठ-नौ साल की है।
एक दिन घर के बाहर बैठी थी
"बिन्नो जरा साबुन तो पकड़ा दे",
नल पर कपड़े धो रही माँ ने पुकारा, मगर खेलने में मस्त बिन्नो कहाँ सुनने वाली थी। माँ का दिमाग गरमाया तो पास पड़ा एक कंकर उठा कर उसकी पीठ पर दे मारा..
“क्या है जब देखो तंग करती रहती है, दो घड़ी सुकून से खेल भी नहीं सकते इस घर में",
कह कर बिन्नो धाँय-धाँय कर रोने लगी।
आगे-

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग घर–परिवार दो पल नाटक
परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण
चुटकुलेडाक-टिकट संग्रहअंतरजाल पर लेखन साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वाद और स्वास्थ्य हास्य व्यंग्यडाउनलोड परिसररेडियो सबरंग

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

Loading