समकालीन कहानियों में प्रस्तुत
है ट्रिनिडाड और टोबेगो से आशा मोर की कहानी
दोषी कौन
आज बहुत दिनों बाद आभा अचानक पोर्ट ऑफ स्पेन के, इंडियन
ग्रोसरी स्टोर में मीना से टकरा गयी। दोनों ही एक दूसरे को
देखकर चौंक गयीं। दोनों ने एक दूसरे को जोर से गले लगाया। आभा
ने कहा, "तुम अचानक कहाँ गायब हो गई थीं। मैंने तुम्हें एक दो
बार फोन भी किया, लेकिन तुम्हारा फोन बंद था। फिर बाद में किटी
पार्टी में किसी ने बताया कि तुम हिंदुस्तान चली गयी हो। मेरे
पास तुम्हारा इंडिया का नंबर भी नहीं था। मुझे समझ ही नहीं
आया, क्या हुआ, सब ठीक तो है न। कब वापस आयीं? बच्चे कैसे है?
प्रदीप के क्या हाल हैं? किटी पार्टी में आना क्यों बंद कर
दिया?" आभा ने एक साथ कई प्रश्नों की बौछार कर दी। मीना इस
अप्रत्याशित स्थिति के लिए तैयार न थी। उसने आभा से कहा, "फिर
कभी बात करेंगे, अभी में जरा जल्दी मैं हूँ"। वह इस समय यहाँ
आभा के किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहती थी। आभा ने कहा, कोई बात नहीं, कल
दोपहर किटी पार्टी हमारे घर पर है।...आगे-
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सूर्यबाला का व्यंग्य
या इलाही ये माजरा क्या
है
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सुशील कुमार शर्मा की कलम से
प्रकृति और पर्यावरण में
नर्मदा की कहानी
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रचना प्रसंग में शशि पुरवार का
आलेख
मुहावरों का
मुक्तांगन - एक अरण्यकाल
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पुनर्पाठ में कृष्ण बिहारी की
आत्मकथा
सागर के इस
पार से उस पार से का चौदहवाँ भाग |