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 १५. ४. २०१६

इस पखवारे-

अनुभूति-में-
कृष्ण मुरारी पहारिया, शंभुनाथ तिवारी, असीमा भट्ट, सरोजिनी प्रीतम और सावित्री शर्मा की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- झटपट खाना शृंखला के अंतर्गत-हमारी-रसोई संपादक शुचि लाई हैं जल्दी से तैयार होने वाली पौष्टिक व्यंजन विधि- सब्जी काजू वाला चाऊमीन

फेंगशुई में- २४ नियम जो घर में सुख समृद्धि लाकर जीवन को सुखमय बना सकते हैं- ८- फेंगशुई और रंग

बागबानी- के अंतर्गत लटकने वाली फूल-टोकरियों के विषय में कुछ उपयोगी सुझाव- ८- बिगोनिया की सिंदूरी छवियाँ

सुंदर घर- शयनकक्ष को सजाने के कुछ उपयोगी सुझाव जो इसके रूप रंग को आकर्षक बनाने में काम आएँगे- ८- सबकी पसंद सफेद

- रचना व मनोरंजन में

क्या आप जानते हैं- आज के दिन (१५ अप्रैल को) गुरु तेगबहादुर, केदारनाथ अग्रवाल, अजीत वाडेकर और पलक जैन जन्म हुआ था... विस्तार से

नवगीत संग्रह- में प्रस्तुत है- संजीव सलिल की कलम से राजा अवस्थी के नवगीत संग्रह- जिस जगह यह नाव है का परिचय।

वर्ग पहेली- २६६
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और
रश्मि-आशीष के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- 

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है ट्रिनिडाड और टोबेगो से आशा मोर की कहानी दोषी कौन

आज बहुत दिनों बाद आभा अचानक पोर्ट ऑफ स्पेन के, इंडियन ग्रोसरी स्टोर में मीना से टकरा गयी। दोनों ही एक दूसरे को देखकर चौंक गयीं। दोनों ने एक दूसरे को जोर से गले लगाया। आभा ने कहा, "तुम अचानक कहाँ गायब हो गई थीं। मैंने तुम्हें एक दो बार फोन भी किया, लेकिन तुम्हारा फोन बंद था। फिर बाद में किटी पार्टी में किसी ने बताया कि तुम हिंदुस्तान चली गयी हो। मेरे पास तुम्हारा इंडिया का नंबर भी नहीं था। मुझे समझ ही नहीं आया, क्या हुआ, सब ठीक तो है न। कब वापस आयीं? बच्चे कैसे है? प्रदीप के क्या हाल हैं? किटी पार्टी में आना क्यों बंद कर दिया?" आभा ने एक साथ कई प्रश्नों की बौछार कर दी। मीना इस अप्रत्याशित स्थिति के लिए तैयार न थी। उसने आभा से कहा, "फिर कभी बात करेंगे, अभी में जरा जल्दी मैं हूँ"। वह इस समय यहाँ आभा के किसी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहती थी। आभा ने कहा, कोई बात नहीं, कल दोपहर किटी पार्टी हमारे घर पर है।...आगे-
*

सूर्यबाला का व्यंग्य
या इलाही ये माजरा क्या है
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सुशील कुमार शर्मा की कलम से
प्रकृति और पर्यावरण में नर्मदा की कहानी

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रचना प्रसंग में शशि पुरवार का आलेख
मुहावरों का मुक्तांगन - एक अरण्यकाल
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पुनर्पाठ में कृष्ण बिहारी की आत्मकथा
सागर के इस पार से उस पार से का चौदहवाँ भाग

पिछले पखवारे-

कल्पना मनोरमा की
लघुकथा- शिक्षा का विधान
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राम निहाल शुक्ल का आलेख
केदारनाथ अग्रवाल के गीत

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गुणशेखर की चीन से पाती
जनसंख्या और भाषा नीतियाँ
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सामयिकी में डॉ. वेदप्रताप वैदिक का दृष्टिकोण
आतंक की दवा इस्लाम ही करे

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
स्वाती तिवारी की कहानी स्त्री मुक्ति का यूटोपिया

प्रथम दृष्टया सब कुछ अद्भुत अलौकिक असाधारण था उसके घर में। सर्वप्रथम तो जान लीजिए कि उसके घर की पारिवारिक व्यवस्था ऐसी बनी थी जिसकी ना पितृसत्तात्मकता थी ना मातृ-सत्तात्मकता। वहाँ व्यक्तिवादी सत्ता का साम्राज्य था। एक सुन्दर सा फ्लैट जिसके ड्राइंग रूप में स्लेटी मेटेलिक कलर वाले साटन प्लस सुपर फाईन नेट के कांन्ट्रास परदों ने मुझे पहली ही नजर में आकर्षित कर लिया था। एक पल को मेरी नजरों में खुद के ड्राइंगरूम में लगे हेण्डलूम के खादीवाले परदे फैल गए। फैले इसलिए कि वे सरसराते तो थे ही नहीं अपनी रफ खद्दर भारी भरकम सरफेस की वजह से। उसके घर में परदे सरसराते हुए अपने परदा होने का और परदा लहराने का अहसास कराते हुए मुझे मेरी पसंद पर ही शर्मिन्दा कर रहे थे। एक शानदार सोफा सेट और कार्नर पर फूलों का बड़ा सा गुलदस्ता। साफ सुथरा करीने से सजा ड्राइंगरूम अपने साजो सामान के साथ अपनी भव्यता और ऐश्वर्य का प्रमाण...आगे-

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी
 

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