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२९. १२. २०१४

इस सप्ताह-

अनुभूति में- 11
नव वर्ष के अवसर पर विविध रंगों से सजे गीतों का सुंदर संकलन।

- घर परिवार में

रसोईघर में- नये साल की तैयारी में हमारी रसोई-संपादक शुचि लाई हैं पहले से तैयार करने के लिये- लेमन केक

गपशप के अंतर्गत-- सर्दी का मौसम है और अलावों की जरूरत शुरू हो गई है आइये पुराने अंकों में गृहलक्ष्मी के साथ देखें- अलाव के नये अंदाज

जीवन शैली में- १५ आसान सुझाव जो हमारे जीवन को स्वस्थ, सुखद और संतुष्ट बना सकते हैं - १४. होड़ से सावधान रहें

सप्ताह का विचार- कोई भी भाषा अपने साथ एक संस्कार, एक सोच, एक पहचान और प्रवृत्ति को लेकर चलती है। - भरत प्रसाद

- रचना व मनोरंजन में

क्या-आप-जानते-हैं- आज के दिन (२९ दिसंबर को) १९०० में दीनानाथ मंगेशकर, १९१७ में रामानंद सागर, १९४२ में राजेश खन्ना का जन्म... विस्तार से

लोकप्रिय लघुकथाओं के अंतर्गत- अभिव्यक्ति के पुराने अंकों से- २४ मार्च २००५ को प्रकाशित प्रमोद राय की लघुकथा — 'कानूनन'

वर्ग पहेली-२१७
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि-आशीष
के सहयोग से


हास परिहास
में पाठकों द्वारा भेजे गए चुटकुले

साहित्य एवं संस्कृति में- नव वर्ष के अवसर पर

समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है भारत से
संजना कौल की कहानी- शहर दर शहर

पतझड़ के मौसम में चिनार के पत्ते अब भी लाल-सुर्ख हो उठते थे, लेकिन उनकी रोमानियत गायब हो गई थी। उनकी वह सिंदूरी रंगत अब जाड़ों के मौसम की पूर्व सूचना बन गई थी। कश्मीर का ठंडा मौसम! आत्मा को तोड़ने वाले अवसाद, वीरानी और अकेलेपन का दूसरा नाम!
और जाड़ों की शुरुआत के साथ ही सुजाता का मन अपने शहर से भागने लगता था। नए साल के पहले महीने में ही वह दफ्तर से छुट्टी लेकर एक छोटी सी अटैची तैयार कर लेती थी और जम्मू की बस मे सवार होकर अपने शहर से दूर चली जाती थी।
उस दिन सफर के लिए कुछ जरूरी सामान लेकर वह ऑटो से घर लौट रही थी। तेज चाल से सड़क पार करती हुई एक बनी-सँवरी जवान लड़की ऑटो के पहिए के नीचे आते-आते रह गई। सुजाता के मुँह से हल्सी सी चीख निकल गई जिस पर बातूनी ऑटो ड्राइवर ने उसकी तरफ देखा, "बहनजी, देखा आपने? कैसे आँखों पर पट्टी बाँधे चल रही थी? कट कर मर जाती तो हमारी कौन सुनने वाला था? एक ऊपर वाले को छोड़कर।" आगे-
*

भावना सक्सेना का व्यंग्य
नया नौ दिन

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मुक्ता की कलम से
तिब्बत का नव वर्ष लोसर
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डॉ. जगदीश व्योम का निबंध
हाइकु कविता में नया साल

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पुनर्पाठ में राहुल देव का आलेख
समकालीन कहानियों में नया साल

पिछले सप्ताह-

दीपक मशाल की लघुकथा-
अच्छा सौदा
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सतीश जायसवाल का यात्रा विवरण
नागालैण्डः इस बार सांताक्लाज
*

दृष्टिकोण के अंतर्गत
ईसा की जन्मतिथि-अनेक विचार

*

पुनर्पाठ में सरोज मित्तल का आलेख
देश विदेश में क्रिसमस

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समकालीन कहानियों में प्रस्तुत है यू.एस.ए. से
पुष्पा सक्सेना की कहानी- क्रिसमस की एक शाम

क्रिसमस की खुशी और उल्लास में डूबा पूरा शहर रंग-बिरंगी बिजली की झालरों से सजा दीवाली मनाता लग रहा था अतुल ने उसे पहले ही बता दिया था- “तुम बहुत अच्छे समय पर अमरीका पहुँच रही हो पूजा, दिसंबर का महीना शुरू होते ही क्रिसमस की गूँज हर घर तक पहुँच जाती है इतने दिलकश नज़ारे देख कर अपना देश भूल जाओगी।”
“नहीं ऐसा नहीं हो सकता अतुल, अपने देश की तो माटी तक से प्यार होता है” पूजा ने सच्चाई से कहा
एयरपोर्ट से ही अतुल की बात की सच्चाई स्पष्ट हो गई टैक्सी से जगमगाते शहर को देखती पूजा मंत्रमुग्ध थी सड़कों पर भीड़ की वजह से टैक्सी धीमी गति से चल रही थी सर्दी का मौसम होते हुए भी लोगों की उत्साहित भीड़ सडकों पर नाचती-गाती चल रही थी लाल कपडे पहिने सेंटा क्लॉज बना एक व्यक्ति हाथ में ली घंटी बजा कर बच्चों को आकर्षित कर रहा था अपनी बड़ी सी जेब से चॉकलेट निकाल कर बच्चों को दे रहा था बच्चों की खुशी देखते ही बनती थी छोटे बच्चों को... आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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