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						 क्रिसमस 
						के अगले दिन आज बॉक्सिंग डे सेल का दिन होने की वजह से 
						बाज़ार की रौनक देखने लायक थी, हर कोई दुम में रॉकेट लगाए 
						भाग रहा था। लगता था मानो ज़रा सी देर हुई नहीं कि दुनिया 
						का आखिरी सामान बिक चुका होगा और उनके हिस्से कुछ ना आएगा। 
 सिटी सेंटर के पास की संकरी गली के अन्दर बने कपड़ों के जिस 
						छोटे से शो-रूम में आम दिनों में इक्का-दुक्का ग्राहक ही 
						जाते थे, आज की सुबह उसकी भी किस्मत जागी थी। शो-रूम के 
						भीतर कई जगह बड़े-बड़े और मोटे अंग्रेज़ी अक्षरों में 'सेल 
						में बिका हुआ माल ना वापस होगा और ना ही बदला जाएगा' की 
						उद्घोषणा करते पम्पलेट चिपकाए गए थे। शायद यह वाक्य ही 
						दुकान के कपड़ों की क्वालिटी का साक्षी बना हुआ था जिसका 
						नतीजा यह हुआ कि सुबह के दस बजते-बजते एक को छोड़कर शो-रूम 
						में टँगे बाकी सभी कोट बिक चुके थे।
 
						तभी एक के बाद एक दो नवयुवक शोरूम में घुसे और सीधे कोट 
						सेक्शन की ओर बढ़ गए. उनमे से एक थोड़ा तेज़ निकला, उसने कोट 
						हैंगर समेत निकाला और ट्रायल-रूम की तरफ बढ़ गया। दूसरे को 
						देखकर लगता था कि वह भी अगले ही पल उसी कोट को देखने वाला 
						था। खैर पहले नवयुवक को वह कोट पहनकर देखने पर बिलकुल फिट 
						आया। उसने सेल में आधी कीमत में मिल रहे उस कोट का काउंटर 
						पर भुगतान किया और बाहर आ गया। वह खुश था कि उसने बढ़िया 
						सौदा किया, उसे अपने पसंदीदा रंग और डिजाइन का कोट इतने 
						सस्ते में मिल गया। 
 कोट की तरफ बढ़ने वाला दूसरा नवयुवक मन मसोस कर रह गया, 
						उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि क्यों वह ज़रा सी देर 
						से रह गया। उसे गुस्सा इस बात पर भी था कि वह आज सुबह 
						जल्दी सोकर क्यों ना उठा। अगर वह उठ गया होता तो इतना 
						अच्छा सौदा उसके हाथ से ना निकलता. इस वक़्त उसे लग रहा था 
						जैसे कोहिनूर हीरा उसके हाथ से फिसल किसी और की झोली में 
						जा गिरा हो।
 
 दुकान मालिक खुश था कि आठ महीने से दुकान में पड़ा वह 
						पुराना कोट आखिरकार सही कीमत में बिक गया वर्ना दोपहर बाद 
						वह उस कोट की कीमत और भी कम करने की सोच रहा था। मगर अब तो 
						उसे लागत निकलने के अलावा कुछ फायदा भी हो गया था, अच्छा 
						सौदा रहा।
 
 दुकान के सेल्स-मैन के चेहरे पर भी इस सौदे से खुशी झलक 
						रही थी क्योंकि कल रात की क्रिसमस पार्टी में वह यही बिक 
						चुका कोट पहन कर गया था जहाँ किसी से टकराने से रेड वाइन 
						से भरा पैग उस कोट पर गिर गया था, लेकिन गहरे रंग का होने 
						की वजह से उस पर पड़ा दाग ग्राहक की नज़र में न आया और वह 
						मालिक की डाँट खाने व खुद कोट का भुगतान करने से बच गया।
 
                      २२ दिसंबर २०१४ |