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ईसा का जन्मदिन- अनेक विचार
संकलित


विश्व के कुछ हिस्सों को छोड़ कर अधिकांश विश्व ईसा मसीह का जन्मदिन मुख्यतः २५ दिसम्बर को क्रिसमस के रूप में मनाता है। उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार सर्व प्रथम जीसस का जन्म दिन त्योहार के रूप में रोम में सन ३३६ में मनाया गया था। जबकि रोम के ही साम्राज्य के पूर्वी भाग में ६ जनवरी को यह त्योहार अब भी मनाया जाता है, किन्तु मात्र कुछ लोगों द्वारा ही। यरूशलम में जीसस के जन्म दिन का प्रारम्भ में बहुत विरोध हुआ। आरमेनियम के गिरजा घरों ने तो २५ दिसम्बर को जन्मदिन स्वीकार ही नहीं किया था और वे ६ जनवरी को ही क्रिसमस मनाते थे। बाद में इसे प्रभु प्रकाश के रूप में मनाया जाने लगा। कोई तथ्य या लिखित अथवा सर्वपुष्ट प्रमाण ईसा के जन्म के सम्बन्ध में उपलब्ध नहीं है। विभिन्न विद्वानों ने भी उलझाने वाले प्रमाण या साक्ष्य अथवा तर्क ही प्रस्तुत किये हैं।

प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक आ' इजैक असीमोव की चर्चित पुस्तक "आइजैक - असीमोव्स बुक आफ फैक्टस" में उन्होंने स्पष्ट किया है कि ईसा के स्वर्गारोहण के ५३ वर्ष बाद जिस भी व्यक्ति ने ईसा की जन्म तिथि की गणना की उसने गलत गणना कर यह तिथि निर्धारित की। ईसा की जन्म तिथि पर शोध कर रहे भारतीय अन्वेषक श्रीहरि भी इस तिथि को विवादित मानते हुए जीसस के जन्म दिवस को वैज्ञानिक तरीके से - खोजने पर बल देते हैं।

रूस के यात्री “निकोलस नोटोविच ने एक पुस्तक प्रकाशित की थी जिसका नाम है- "ईसा का अज्ञात जीवन चरित्र" पुस्तक में उन्होंने “हिमिज" के पुस्तकालय से ईसा का एक जीवन चरित्र प्राप्त कर के छापा था।

यह जीवन चरित्र, नोटोविच का कथन है कि पाली भाषा में था और हिन्दुस्थान में लिखा गया था। उस की पाली भाषा की लिपि (तिब्बत) के पुस्तकालय में है। उसी कॉपी से यह अनुवाद तिब्बती भाषा में किया गया था। जो उन्हें हिमिज के पुस्तकालय में मिला। जीवन चरित्र पद्यमय है। जो नोटोविच ने पुस्तक का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया था। तो उस पर स्वाभाविक रीति से पादरियों और कुछेक अन्य पुरुषों में जिन में मैक्समुलर साहिब भी सम्मिलित थे, आक्षेप किये और पुस्तक का प्रभाव दूर करने का यत्न किया गया। यह भी कहा गया कि नोटोविच न तिब्बत गये, न वहाँ कोई पुस्तकालय “हिमिज” नाम का स्थान है इत्यादि .परन्तु पुस्तक के अंग्रेजी भाषा के संस्करण में (मूल रूप से वह फ्रेंच भाषा में था) नोटोविच ने समस्त आक्षेपों का सफलता के साथ परिहार किया है। उन्होंने अंग्रेज कर्मचारियों के नाम भी दिये हैं जिनसे वे इस यात्रा में मिले थे उन में अंग्रेजी सेना के एक मुख्य कर्मचारी “यंगहस्वेंड" भी सम्मिलित हैं जिन के नेतृत्व में अंग्रेजों की ओर से तिब्बत पर चढाई हुई थी – “हिमिज" स्थान का भी उन्होंने सविवरण पता दिया है और उस का मार्ग भी बतलाया है।

जहाँ तक २५ दिसम्बर के निर्धारण का प्रश्न है ईसाई धर्म ग्रन्थों में कोई सटीक व्याख्या उपलब्ध न होने के कारण इसे त्योहार के रूप में मनाने का निर्णय मात्र सुविधा के अनुरूप मनाने के लिये कुछ विद्वानों की गोष्ठी में सर्वसम्मति से लिया गया एक निर्णय मात्र था।

वर्ष २००५ में पोप चुने जाने से पहले से ही कार्डिनल जोसेफ रात्सिंगर (अब पोप बेनेडिक्ट १६वें) ने ‘जीसस ऑफ नजरथ : द इन्फेंसी नरेटिव्स’ में लिखा है कि ‘ईसाई कैलेंडर ईसा मसीह की जन्मतिथि पर आधारित है। यह छठी शताब्दी में डायोनीसियस एक्सीगस की गणना के आधार पर बना। इसी के आधार पर ईस्वी सन् माना जाता है। उन्होंने अपनी गणना में कई साल की गलती की है। ईसा की असल जन्मतिथि कई साल पहले की है।’ पोप के द्वारा उठाए गए इस सवाल ने ईसाइयों को दुविधा में डाल दिया है। माना जाता है कि ईसा राजा हेरोद के समय जन्मे थे और राजा हेरोद १ ईस्वी से पहले मर गए थे। कई इतिहासकारों ने भी ईसा मसीह के जन्म का समय ७ ईसा पूर्व से २ ईसा पूर्व के बीच का बताया है। बाजार में आने से पहले ही इस पुस्तक का नौ भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। साथ ही ११ और भाषाओं में अनुवाद की योजना है।

ईसा के जन्म काल के विषय में अनेक कोशों और विश्वकोशों में दी गई जानकारी भी अनिश्चित और विरोध पूर्ण है। चेंबर के विश्वकोश (चेंबर्स एन्साइक्लोपीडिया) में ईसा का जन्म ईसवी संवत से कुछेक वर्ष और कम से कम चार वर्ष पहले बतलाया गया है। एप्लेटॉन के नये साइक्लोपीडिया में ६ वर्ष पहिले का जन्म बतलाया गया है। द ट्रेजरी ऑफ बाइबल नालेज न्यू एडिशन पृष्ठ १९१ पर, परट महोदय ने जन्म तिथि ७ वर्ष पाहिले अक्टुम्बर मास में निश्चित की है।

क्रिसमस की तिथि का सुझाव क्लीमेंट आफ अलेक्जेन्ड्रिया ने २० मई को -तथा डे पाश्चा कम्प्यूट्स ने इसे २८ मार्च को मनाने का सुझाव दिया था। इसके अतिरिक्त ग्रीक विद्वानों ने भगवान डायोनिसस की जन्म तिथि ६ जनवरी को ही मनाने पर जोर दिया था तो मिस्र के विद्वानों ने अपने आराध्य देवता आसिरिस के ही साथ जीसस का जन्म दिन मनाने पर बल दिया था। इन विद्वानों के एक मत न हो पाने पर समस्त विद्वानों ने हल निकाला और रोम में २५ दिसम्बर को मनाए जाने वाले एक त्योहार को ही ईसा का जन्म दिन मानते हुए क्रिसमस के रूप में उसे मनाने का निश्चय किया।

सम्पूर्ण विश्व के क्रिश्चियन अब २५ दिसम्बर को ही जीसस का जन्म दिन मानते हुए क्रिसमस मनाते हैं। मात्र ग्रीक क्षेत्रों और उपरोक्त उल्लिखित क्षेत्रों के अतिरिक्त यीशू मसीह का जन्मदिवस (एपिफनी डे) रूस, बुल्गेरिया आदि देशों के कुछ भागों में आज भी क्रिसमस के रूप में ६ जनवरी को मनाया जाता है।

२२ दिसंबर २०१४

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