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२. १२. २०१३

इस सप्ताह-

अनुभूति में-
सुरेन्द्र शर्मा, राम मेश्राम, स्वदेश भारती, नरेन्द्र त्रिपाठी और अमरेन्द्र नारायण की रचनाएँ।

- घर परिवार में

रसोईघर में- हमारी रसोई-संपादक शुचि द्वारा प्रस्तुत है- सर्दियों के मौसम की तैयारी में गरम शोरबों की शानदार यात्रा का आनंद- टमाटर की रसम

रूप-पुराना-रंग नया- शौक से खरीदी गई सुंदर चीजें पुरानी हो जाने पर फिर से सहेजें रूप बदलकर- चुंबक के नये प्रयोग

सुनो कहानी- छोटे बच्चों के लिये विशेष रूप से लिखी गई छोटी कहानियों के साप्ताहिक स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है कहानी- कैमरा

- रचना और मनोरंजन में

नवगीत की पाठशाला में- नई कार्यशाला- ३१ का विषय है- नव जीवन, नव ताल छंद और नव उत्साह से भरे नये साल के स्वागत का। विस्तार से...

साहित्य समाचार में- देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचारों, सूचनाओं, घोषणाओं, गोष्ठियों आदि के विषय में जानने के लिये यहाँ देखें।

लोकप्रिय कहानियों के अंतर्गत- इस सप्ताह प्रस्तुत है १६ दिसंबर २००६ को प्रकाशित ऋषिकुमार शर्मा पंडित की कहानी- 'ठूँठ

वर्ग पहेली-१६२
गोपालकृष्ण-भट्ट
-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

सप्ताह का कार्टून-
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य एवं संस्कृति में-

समकालीन कहानियों में यू.के. से
दीपक शर्मा की कहानी बाप वाली

“बाहर दो पुलिस कांस्टेबल आए हैं, “घण्टी बजने पर बेबी ही दरवाजे पर गयी थी,
“एक के पास पिस्तौल है और दूसरे के पास पुलिस रूल। रूल वाला आदमी अपना नाम मीठेलाल बताता है। कहता है, वह अपनी लड़की को लेने आया है।” सुनीता महेंद्रू की माँ को मोजे पहना रहे मेरे हाथ काँपे।
“तू चिन्ता न कर,” शाम की अखबार देख रही सुनीता महेन्द्रू ने अखबार समेट कर मेरी ओर देखा, “मैं तुझे नहीं जाने दूँगी।”
पाजी समझता है, तेरी माँ नहीं रही तो वह तुझे यहाँ से हाँक ले जाएगा,” सुनीता महेन्द्रू की माँ अपने चेहरे पर अपनी टेढ़ी मुस्कान ले आयी।
“लड़की को सामने तो लाइए,” बाहर के बरामदे की चिल्लाहट अन्दर हमारे पास साफ पहुँच ली।
“तू बिल्कुल मत जाना,” जूते पहन चुकी सुनीता महेन्द्रू की माँ धीमे से बुदबुदायी, “याद है, तुझे उससे दूर रखने की खातिर तेरी माँ आखिरी दम तक कचहरी के चक्कर काटती रही?”... आगे-

*

सत्यप्रकाश हिंदवाण की
लघुकथा- दलाली
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पूर्णिमा वर्मन का आलेख
प्रवासी कहानी कुछ प्रश्नों के उत्तर
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लीना मेंहदले का आलेख
न्यूजीलैंड हाउस की एक शाम
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पुनर्पाठ में-घनश्यामदास आहूजा का
संस्मरण- धुएँ से आजादी

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पिछले सप्ताह-


गोपाल चतुर्वेदी का व्यंग्य
और हैं जो महान होते हैं
*

सतीश जायसवाल का संस्मरण
साठोत्तरी कहानी के समर्थ हस्ताक्षर अमर गोस्वामी
*

अजामिल का संस्मरण
याद आएँगे अमर गोस्वामी
*

पुनर्पाठ में- सूर्यबाला का
कहानी संग्रह- इक्कीस कहानियाँ

*

समकालीन कहानियों में यू.के. से
कादंबरी मेहरा की कहानी एक खत

इंटरनेट पर किसी ने एक नसीहती सन्देश भेजा है।
'' हैपी बर्थडे! आप आज सत्तर वर्ष के हो गए! अब समय आ गया है कि गैरज़रूरी सामान को अपने हाथों से दान कर दें। पुराने, बेकार कागज़ पत्तर छाँट कर फाड़ दें। आपके शरीर की ताक़तें दिन-बा दिन कम होती जायेंगी। बची हुई ताक़त व समय को सेहत बनाने पर खर्चें ...''
सन्देश तो बहुत लंबा है। मेरी बीवी निशा चाय ले आई है। सुबह का दस बज रहा है। बर्थडे का तोहफा ---ब्रेकफास्ट इन बेड! रोज़ महारानी सोई रहती है। बेहद वज़नदार नौकरी करती थी। सुबह तारों की छाँव जाती थी और शाम को तारों की छाँव घर पहुँचती थी। अब उसे हक है देर तक सोने का। सर्दी भी तो देखिये! बाहर बर्फ जमी है। माईनस चार तापमान! बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। मैंने उसे लैपटॉप पर आया सन्देश पढवा दिया। महा गलती करी। वह ऐसे मुस्कुराई कि जैसे कोई मैच जीत लिया हो मुझसे। .. आगे-

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।


प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

 
सहयोग : कल्पना रामानी -|- मीनाक्षी धन्वंतरि
 

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