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२४. १. २०११

इस सप्ताह- गणतंत्र दिवस के अवसर पर

अनुभूति में- 1
गणतंत्र दिवस के अवसर पर विविध विधाओं में देश प्रेम की रचनाओं से सजा संकलन- मेरा भारत।

- घर परिवार में

सप्ताह का व्यंजन- मारिशस की सुप्रसिद्ध पाक विशेषज्ञ मधु गजाधर की स्वास्थ्यवर्धक रसोई से- चटपटी चीज़ टिकिया

बचपन की आहट- संयुक्त अरब इमारात में शिशु-विकास के अध्ययन में संलग्न इला गौतम की डायरी के पन्नों से- नवजात शिशु का चौथा सप्ताह

स्वास्थ्य सुझाव- भारत में आयुर्वेदिक औषधियों के प्रयोग में शोधरत अलका मिश्रा के औषधालय से- भोजन से पहले अदरक

वेब की सबसे लोकप्रिय भारत की जानीमानी ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी के संगणक से- १५ जनवरी से ३० जनवरी २०११ का भविष्य फल।

- रचना और मनोरंजन में

कंप्यूटर की कक्षा में- प्लगिन- किसी भी अनुप्रयोग विशेषतः ब्राउज़र में लग जाने वाला एक अंश जो उस अनुप्रयोग की क्षमताओं को बढ़ा सकता है।  ...

नवगीत की पाठशाला में- कार्यशाला १३ की रचनाओं का प्रकाशन प्रारंभ हो गया है। रचनाएँ अभी भी भेजी जा सकती है।... आगे पढ़ें...

वर्ग पहेली- ०१३
गोपालकृष्ण-भट्ट-आकुल और रश्मि आशीष के सहयोग से

शुक्रवार चौपाल- अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस की धूम जो इमारात में ७ जनवरी को प्रारंभ हुई थी, १६ जनवरी तक जारी रही। ... आगे पढ़ें

सप्ताह का कार्टून-             
कीर्तीश की कूची से

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साहित्य और संस्कृति में-


समकालीन कहानियों में भारत से
हर्ष कुमार की कहानी फौजी

इंदौर स्टेशन पर खड़ी इंदौर-निज़ामुद्दीन एक्सप्रेस में अपनी सीट पर बैठ कर आराम से किताब पढ़ रहा था कि अचानक फर्श पर पड़ रहे किसी के कड़क जूतों की आवाज़ से उसका ध्यान बँट गया। अगर आप किसी ट्रेन यात्रा कर रहे हों तो ट्रेन चलने से पहले स्टेशन लोगों के इधर-उधर भागने से जूतों की आवाज़ होती ही रहती है और उससे आपका ध्यान नहीं बँटता। पर यह आवाज एक अलग तरह की थी – सालों की कवायद के बाद पड़ी आदत से सख्ती से तन कर चलते हुये किसी फौजी की चाल की आवाज़। वह भी अकेली एक आवाज़ नहीं। एक साथ दो लोगों के चलने की आवाज़। आवाज़ मेरे पास आकर रुक गई थी। शायद यही कारण था कि मैं चौंक गया था। पर मैंने सिर ऊपर नहीं उठाया और आँखों को किताब पर ही रखा। बस आँखों के कोने से देखने की कोशिश की कि कौन है। दो लोग थे एक के पीछे एक। अगला आदमी बड़ा अफसर था और...  पूरी कहानी पढ़ें...
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रमाशंकर श्रीवास्तव का व्यंग्य
देशभक्ति और सरसों का साग

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डॉ.चंद्रप्रकाश त्रिवेदी का आलेख
सांस्कृतिक विरासत का अंग अशोक स्तंभ

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ओमप्रकाश कश्यप का आलेख
भारत में गणतंत्र की परंपरा
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समाचारों में
देश-विदेश से साहित्यिक-सांस्कृतिक सूचनाएँ

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पिछले सप्ताह-

1
देवेन्द्र इन्द्रेश का व्यंग्य-
वी आई पी कबूतर
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डॉ. ए. के. अरुण से जानें
होमियोपैथी की विकास यात्रा

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रवीन्द्र प्रभात की पड़ताल
हिंदी भाषा और साहित्य में चिट्ठाकारिता की भूमिका
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पुनर्पाठ में पद्मप्रिया का आलेख
अनूदित साहित्य एवं पठनीयता

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समकालीन कहानियों में भारत से
जीवन सिंह ठाकुर की कहानी सरासर

जिन हालात में मुझे लगभग अचानक दिल्ली के लिए रवाना होना पड़ रहा था। वह बेहद त्रासद था और लग रहा था, अब मेरे जीवन में लम्बे समय तक शिकारी कुत्तों की तरह पीछा करने वाली परेशानियों का एक लम्बा सिलसिला शुरू हो जाएगा। दरअस्ल हुआ यह था कि दिल्ली के मुख्यालय से अप्रत्याशित संदेश मेरे उच्चाधिकारी के पास आया था कि मुझे किसी खास वजह से मुख्यालय में अविलम्ब उपस्थित होना है। आदेश के न पालने की स्थिति में विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही भी हो सकती है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि मुख्यालय ने मेरी ताबड़तोड़ उपस्थिति के फरमान अचानक जारी कर दिये। पिछले बीस साल के सेवाकाल में मुझसे अपने दायित्वों को विधिवत निभाने में कहीं कोई रत्ती भर भी चूक नहीं हुई थी।  पूरी कहानी पढ़ें...

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यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
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सहयोग : दीपिका जोशी

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